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चीन ने HQ-17A डिफेंस सिस्टम का किया परीक्षण, भारत के लिए इसलिए है चुनौती

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक एचक्यू 17-ए एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम सर्च रडार, गाइडेंस रडार, एय़र डिफेंस रडार और कमांड सिस्टम का संयुक्त रूप है. इसे एक सैन्य वाहन पर तैनात किया जा सकता है, जो चलते हुए ही लंबी दूरी से मिसाइल की पहचान कर उसे नष्ट कर सकता है.

Updated on: 18 Aug 2022, 09:42 AM

highlights

  • 15 किमी तक मार करने में सक्षम है चीन का HQ-17A डिफेंस सिस्टम
  • इसे एलएसी पर तैनात शिनजियांग मिलिट्री कमांड में शामिल किया गया
  • शिनजियांग मिलिट्री कमांड पर ही है भारत-चीन एलएसी की जिम्मेदारी

नई दिल्ली:

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर सीमा विवाद के बीच चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भारतीय सीमा से लगे अपने सैन्य बेसों पर आधुनिक हथियारों का लगातार जमावड़ा करती जा रही है. इस कड़ी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की शिनजिंयाग मिलिट्री कमांड ने HQ-17A नाम से सतह से हवा में मार करने वाले डिफेंस मिसाइल (Defense Missile) सिस्टम का बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्र में परीक्षण किया है. चीन (China) ने एचक्यू 17-ए का परीक्षण वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास भारत-अमेरिका (Indo-America) के संयुक्त सैन्य अभ्यास के शुरू होने से पहले किया है. एचक्यू 17 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का ड्रैगन ने पहली बार प्रदर्शन अपनी नेशनल  मिलिट्री डे परेड में अक्टूबर 2019 में किया था. सामरिक विशेषज्ञों के मुताबिक भारत-अमेरिका अगले महीने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास उत्तराखंड में सैन्य अभ्यास करने वाले थे. यही नहीं, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) की ताईपे यात्रा के बाद आक्रामक ड्रैगन ने ताइवान स्ट्रेट में बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास किया था. 

HQ-17A शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस आखिर है क्या
पीएलए की शिनजियांग मिलिट्री कमांड ने इसी साल एचक्यू 17-ए एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को सेना में शामिल किया है. बीजिंग प्रशासन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक एचक्यू 17-ए एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम सर्च रडार, गाइडेंस रडार, एय़र डिफेंस रडार और कमांड सिस्टम का संयुक्त रूप है. इसे एक सैन्य वाहन पर तैनात किया जा सकता है, जो चलते हुए ही लंबी दूरी से मिसाइल की पहचान कर उसे नष्ट करने के लिए मिसाइल दागने में सक्षम है. इसे लेकर कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया  कि ड्रैगन की एचक्यू 17-ए मिसाइल वास्तव में रूस की टॉर एम-1 सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल डिफेंस सिस्टम की ही प्रतिकृति है. इसकी अन्य खूबी अन्य चीनी उपकरणों से डेटा लिंक शेयर करने की भी है. एचक्यू 17-ए मिसाइल का वजन 165 किग्रा के लगभग है. यह 2.9 मीटर लंबी है, जिसका व्यास .23 मीटर है. यह 1.5 किमी से 15 किमी दूरी से उड़ान भर रही वस्तुओं की पहचान कर उन्हें नष्ट करने में सक्षम है. इसका निर्माण चीन सरकार के नियंत्रण वाली चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ने किया है. इसे लो एल्टीट्यूड एयरक्राफ्ट हंटर के नाम से भी जाना जाता है. 

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शिनजिंयाग मिलिट्री कमांड के पास ही क्यों
शिनजिंयाग मिलिट्री कमांड के जिम्मे ही भारत-चीन सीमा का इलाका है. आंकड़ों के संदर्भ में देखें तो 3,488 किमी लंबी सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा करार दिया जाता है, जबकि चीन इसे महज 2 हजार किमी ही मानता है. दोनों देशों के बीच जून 2020 से सशस्त्र संघर्ष के बाद तनाव चरम पर है. इस संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद रहे थे. चीन ने कभी भी अपने हलाक रहे सैनिकों का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन रिपोर्ट बताती हैं कि ड्रैगन को इस संर्घष में भारतीय पक्ष से कहीं ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा. सिर्फ एचक्यू 17-ए सिस्टम ही नहीं पीएलए की शिनजियांग मिलिट्री कमांड को इसी साल जनवरी में होवित्जर तोपखाने और मल्टीपल रॉकेट लांच सिस्टम से भी लैस किया गया है. इनमें सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तोपखाना समेत अत्याधुनिक रॉकेट लांचर सिस्टम है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक भारतीय सीमा पर अपनी पीएलए सेना को आधुनिक हथियारों से लैस कर रहा है. ऐसे में इस इलाके में तैनात चीनी यूनिट्स को आने वाले समय में और भी आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया जाएगा. इसके मद्देनजर भारत के लिए भी जरूरी हो जाता है कि वह एलएसी पर अपनी सुरक्षा पंक्ति और मजबूत करे.