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चीन के शिनजियांग में उइगर मुसलमान बंधुआ मजदूर बन नारकीय जीवन जी रहे, जानें सच

बीजिंग सरकार प्रेरित अनिवार्य बंधुआ मजदूरी नीति के तहत शिनजियांग में उइगर, कजाख़ और तुर्किक समूहों के लोग मानवीय आधार पर दमनकारी और निकृष्ट जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

Updated on: 25 Aug 2022, 05:16 PM

highlights

  • शिनजियांग प्रांत के उइगर मुसलमान बंधुआ मजदूर बन नारकीय जिंदगी जी रहे
  • व्यावसायिक कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र के नाम पर उइगर पर हो रहे जुल्म
  • संयुक्त राष्ट्र की दूत और उच्चायुक्त की रिपोर्ट से चीन का असल चेहरा होगा उजागर

नई दिल्ली:

ताइवान के खिलाफ आक्रामक रवैये का परिचय देकर अमेरिका को आंख दिखा रहा ड्रैगन संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत की शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों के दमन से जुड़ी रिपोर्ट से मुश्किल में आ सकता है. बीजिंग की इस मुश्किल को और बढ़ाने का काम कर सकती है संयुक्त राष्ट्र (United Nations) उच्चायुक्त मिशेल बॉचलेट की अगले हफ्ते आने वाली रिपोर्ट. यह रिपोर्ट शिनजियांग (Xinjiang) से बच कर भागे उइगर मुसलमानों और उनके परिवारों से तथ्यात्मक बातचीत के आधार पर तैयार की गई है. हालांकि बॉचलेट पर ड्रैगन का हितैषी होने का आरोप लगता रहा है. इसके पहले भी मानवाधिकार कार्यकर्ता उइगर (Uyghur) मुसलमानों पर ढाए जाने वाले जुल्मों की जांच की मांग करते आए हैं. समय-समय पर बंधुआ मजदूर बनाए गए उइगर मुसलमानों द्वारा तैयार खिलौनों के बहिष्कार की मांग भी उठती रही है. एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) और ह्यूमन राइट्स वॉच भी पीड़ित उइगर मुसलमानों से बातचीत कर कई रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं, जिनमें मानवता (Humanity) के खिलाफ चीन के अपराध का खुलासा होता है. फिर भी संयुक्त राष्ट्र में अपनी 'पहुंच' के बलबूते ड्रैगन शिनजियांग के उइगर मुसलमानों (Uyghur Muslims) के 'सच को दबाने' में अब तक कामयाब रहा है. 

निकृष्ट जिंदगी जीने को मजबूर उइगर मुसलमान
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट शिनजियांग में अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों के प्रति चीन की दमनकारी नीतियों पर 'द्वंद्व' हमेशा के लिए खत्म कर देगी. इस रिपोर्ट के आधार यह 'निष्कर्ष निकालना उचित' है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में बंधुआ मजदूरी कराई जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग सरकार प्रेरित अनिवार्य बंधुआ मजदूरी नीति के तहत शिनजियांग में उइगर, कजाख़ और तुर्किक समूहों के लोग मानवीय आधार पर दमनकारी और निकृष्ट जिंदगी जीने को मजबूर हैं. यूएन की विशेष दूत टोमोया ओबोकाटा ने यहां तक पाया कि चीनी अधिकारियों ने ताकत का प्रयोग हद की सीमा से परे जाकर किया है. इस वजह से कुछ मामलों को तो गुलामी के समकक्ष रखा जा सकता है, जो हालिया दौर में मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आता है. चीनी शोधकर्ता एड्रियान जैंज की ट्वीट के मुताबिक, 'संयुक्त राष्ट्र के दूत की ओर से तैयार रिपोर्ट बंधुआ मजदूरी के समसामयिक तौर-तरीके सामने लाती  हैं. खासकर चीन के शिनजियांग में किस तरह बंधुआ मजदूरी करा उइगर मुसलमानों की जिंदगी नर्क की जा रही है.' 

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रिपोर्ट अल्पसंख्यकों के दमन की करती है पुष्टि
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार विशेषज्ञ ने चीन के मुस्लिम उइगर आबादी के कथित नजरबंदी और बंधुआ मजदूरी पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. इस आलोक में मानवाधिकार विशेषज्ञ ने शिनजियांग प्रांत में सच्चाई जानने के लिए विशेषज्ञ समूहों की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया है. इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक और स्थानीय कंपनियों से आह्वान किया है कि वह उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला का गहराई से विश्लेषण करें. इस साल की शुरुआत में भी मानव तस्करी पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत ने शिनजियांग में बंधुआ मजदूरों की तस्करी से सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस मामले में चीन की अनदेखी करने पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. जेनेवा डेली के मुताबिक हालांकि हालिया रिपोर्ट चीन में बड़े पैमाने पर हो रहे मानवाधिकारों के हनन के आरोपों को मान्यता देने का काम करती है. जेनेवा डेली के मुताबिक चीन ने कथित व्यावसायिक कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र प्रणाली के नाम पर अल्पसंख्यकों को नजरबंद कर रखा है और उनसे बंधुआ मजदूरी करा रहा है. चीन इसके पक्ष में कहता है कि इस तरह उइगर मुसलमानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि अल्पसंख्यकों को इसकी आड़ में कम कौशल का काम करा बेहद कम मजदूरी दी जा रही है. 

अमानवीय जिंदगी जी रहे हैं उइगर मुसलमान
यही नहीं, इन कथित व्यावसायिक कौशल शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र में जिन स्थितियों में अल्पसंख्यक मजदूरों को रखा गया है वह बेहद अमानवीय हैं. इनमें भी उनकी अत्यधिक निगरानी, नर्क के बराबर रहने और काम करने की स्थितियां, नजरबंदी के नाम पर आवाजाही पर प्रतिबंध, धमकियां, शारीरिक शोषण, यौन हिंसा और इस तरह के अन्य अमानवीय और अपमानजनक तौर-तरीके शामिल हैं. शिनजियांग में अत्याचार को देखते हुए अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने कूटनीतिक स्तर पर बीजिंग ओलिंपिक का बहिष्कार किया था. सिर्फ यही नहीं अल्पसंख्यकों के दमन पर विरोध जताने के लिए अमेरिका ने शिनजियांग में निर्मित उत्पादों को खरीदना तक बंद कर दिया था. इसके साथ ही अमेरिका ने चीन से रुई खरीदना भी बंद कर दिया. कई अन्य देशों ने भी अमेरिका की तरह इस पर विचार किया था. हालांकि शिनजियांग में बंधुआ मजदूरी से चीन के लगातार इंकार पर ठोस निर्णय नहीं ले सके और दुविधाग्रस्त रहे. 

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चीन अभी से रिपोर्ट को झूठ बताने लगा
गौरतलब है कि शिनजियांग प्रांत रुई और सोलर पैनल का बड़ा आपूर्तिकर्ता है. यह अलग बात है कि चीन उइगर मुसलमानों पर अत्याचार के आरोपों को लगातार खारिज करता आया है. इस कड़ी में यह भी इतना सच है कि इस मसले पर बीजिंग प्रशासन ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया को स्वतंत्र तरीके से शिनजियांग की जांच करने की अनुमति भी नहीं दी. इस बीच चीन अलग-अलग देशों के राजदूतों के शिनजियांग के प्रायोजित दौरे जरूर आयोजित कराता रहा ताकि दुनिया को बता सके कि वहां अल्पसंख्यकों के साथ किसी तरह का कोई अत्याचार नहीं हो रहा है. अब संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत और यूएन उच्चायुक्त मिशेल बॉचलेट की प्रस्तावित रिपोर्ट को लेकर भी चीन ने अपना परंपरागत तर्क गढ़ना शुरू कर दिया है. चीन बॉचलेट समेत संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को झूठी करार दे इसके प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग कर रहा है. हालांकि बॉचलेट पर मानवाधिकार संगठन ड्रैगन के प्रति नर्म रवैया रखने का आरोप पहले से लगाते आए हैं. यह अलग बात है कि इस महीने खत्म हो रहे अपने कार्यकाल से पहले बॉचलेट ने इस रिपोर्ट को जारी करने की बात कही है.