Budget 2023: केंद्र आम बजट के जरिये पेश करता है विभिन्न प्रकार के बजट, जानें इनके बारे में

राजस्व और व्यय में अंतर के अनुसार बजट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है. ये हैं संतुलित, अधिशेष और घाटे वाला बजट.

राजस्व और व्यय में अंतर के अनुसार बजट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है. ये हैं संतुलित, अधिशेष और घाटे वाला बजट.

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Nihar Saxena
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Budget 2023

मोदी सरकार 2.0 का अंतिम पूर्ण बजट आएगा 1 फरवरी को.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

इस वक्त सभी की निगाहें 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के बजट 2023 (Budget 2023) पर टिकी हैं. सामान्यतः आम बजट आगामी वित्तीय वर्ष (Financial Year) के लिए सरकार को होने वाली अपेक्षित प्राप्तियों और खर्चों का वित्तीय विवरण पेश करता है. सरल शब्दों में कहें तो केंद्रीय बजट (Union Budget 2023) अर्थव्यवस्था (Economy) की स्थिति का एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है. स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था. पिछले पांच वर्षों से मोदी सरकार (Modi Government) 1 फरवरी को केंद्रीय बजट जारी कर रही है. हालांकि बजट नीतियां वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल से अमल में आनी शुरू होती हैं. राजस्व और व्यय में अंतर के अनुसार बजट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है. ये हैं संतुलित, अधिशेष और घाटे वाला बजट. जानें इनके बारे में...

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संतुलित बजट
एक बजट को संतुलित तब माना जाता है जब अनुमानित सरकारी व्यय एक वित्तीय वर्ष में अपेक्षित राजस्व के समान होता है. यह खर्चों के शास्त्रीय अर्थशास्त्र सिद्धांत पर आधारित है, जो प्राप्तियों से अधिक नहीं होकर साधनों के भीतर रहता है. हालांकि जब अर्थव्यवस्था वित्तीय उथल-पुथल की स्थिति में होती है, तो एक संतुलित बजट हमेशा स्थिरता सुनिश्चित नहीं करता है.

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अधिशेष बजट
जब सरकारी राजस्व एक वित्तीय वर्ष में अपेक्षित व्यय से अधिक हो जाता है, तो इसे अधिशेष बजट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. यह देश के स्वस्थ वित्तीय अनुशासन का प्रतीक है. सीधे शब्दों में कहें तो सार्वजनिक कल्याण पर सरकार का खर्च करों से होने वाली आय से अधिक होता है. अर्थशास्त्रियों के अनुसार अतिरिक्त बजट का उपयोग मुद्रास्फीति के बीच मांग को कम करने के लिए किया जा सकता है.

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घाटे का बजट
एक घाटे का बजट तब होता है जब सरकार के खर्चे एक वित्तीय वर्ष के दौरान राजस्व से अधिक हो जाते हैं. मंदी के दौरान सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए अतिरिक्त खर्च करती है, जिससे मांग बढ़ती है और आर्थिक विकास को गति मिलती है.
केंद्रीय बजट को आगे दो खंडों में बांटा गया है: राजस्व बजट और पूंजीगत बजट. राजस्व बजट करों और गैर-करों के साथ-साथ प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए अर्जित धन से संबंधित है. पूंजीगत बजट में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और इसी तरह की सुविधाओं पर खर्च शामिल होता है, जबकि जनता, विदेशी सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण प्राप्तियों के अंतर्गत आते हैं. 

HIGHLIGHTS

  • राजस्व और व्यय में अंतर के अनुसार बजट को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है
  • आम बजट की ये श्रेणियां हैं संतुलित, अधिशेष और घाटे वाले बजट की
  • केंद्रीय बजट को आगे दो खंडों में बांटा गया है: राजस्व बजट और पूंजीगत बजट
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