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Avatar: The Way of the Water 'अवतार' के केरल प्रशंसक नहीं देख सकेंगे सीक्वल, समझें विवाद को

केरल में मलयाली भाषा से इतर अन्य भाषाओं में बनी फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर कुछ नियम-कायदे हैं. इसके बावजूद 'अवतार' के सीक्वल से सिनेमाघरों में प्रदर्शन से पूरी तरह किनारा करना आसान नहीं होगा.

Updated on: 04 Dec 2022, 08:31 PM

highlights

  • फिल्म के प्रॉफिट शेयरिंग फॉर्मूले पर 'अवतार' के निर्माता से विवाद
  • जेम्स कैमरून की असामान्य शर्तों पर सहमत नहीं हैं एक्जीबिटर्स
  • अभी भी बातचीत के जरिये किसी सुलह-समझौते की है उम्मीद

नई दिल्ली:

हॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक जेम्स कैमरून (James Cameron) की वैश्विक स्तर पर जबर्दस्त सुपर-डुपर हिट फिल्म 'अवतार' (Avatar) के केरल में रहने वाले प्रशंसकों के लिए यह खबर बेहद मायूस करने वाली रही. उन्हें 'अवतारः वे ऑफ द वॉटर' सीक्वल को देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म एक्जीबिटर्स यूनाइटेड ऑर्गनाइजेशन ऑफ केरल (FEUOK) इस फिल्म को राज्य के थिएटर में रिलीज नहीं कर सकता है. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि FEUOK और 'अवतारः वे ऑफ द वॉटर' के निर्माता के बीच फिल्म को होने वाले फायदे के बंटवारे से जुड़ी शर्तों को लेकर यह विवाद खड़ा हुआ है. मलयालम फिल्म उद्योग (Film Industry) ने सामूहिक रूप से इस ब्लॉकबस्टर के निर्माता की ओर से पेश की गई शर्तों रूपी नई परिस्थितियों को असामान्य करार दिया है, जिसकी वजह से केरल (Kerala) में फिल्म के प्रदर्शन पर काले बादल मंडरा रहे हैं. यह फिल्म भारत में 16 दिसंबर को प्रदर्शित होने जा रही है.

निर्माता मुनाफे में चाहता है बड़ा हिस्सा
FEUOK के अध्यक्ष के विजयकुमार कहते हैं, ' जेम्स कैमरून की फिल्म 'अवतार' के सीक्वल को केरल में प्रतिबंधित नहीं किया जा रहा है. बस उनके नियम और शर्तें कुछ ऐसी नहीं हैं, जिन पर हम सहमत हो सकें. वे केरल के सिंगल-स्क्रीन थिएटरों में फिल्म के प्रदर्शन के लिए असामान्य भुगतान की मांग कर रहे हैं. यह ऐसा मसला है, जिसकी हम इजाजत नहीं दे सकते. हम 'अवतार' के सीक्वल के लिए किसी अन्य फिल्म को देखने पर प्रतिबंध नहीं लगाने जा रहे. हालांकि हम 'अवतारः वे ऑफ द वॉटर' का प्रदर्शन केरल में नहीं करेंगे. हमारा अनुमान है कि वे किसी समझौते पर पहुंचने के लिए बातचीत में शामिल होंगे.' प्राप्त जानकारी के मुताबिक केरल के फिल्म एक्जीबिटर्स ने फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं करने का निर्णय लिया है, क्योंकि इसके निर्माताओं ने फिल्म की रिलीज के पहले कुछ हफ्तों में मुनाफे में 60 फीसदी की मांग की है. यह निर्माताओं को जाने वाले 50 फीसदी के सामान्य प्रतिशत से काफी ऊपर है.

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सुलह की बातचीत संभव 
केरल में मलयाली भाषा से इतर अन्य भाषाओं में बनी फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर कुछ नियम-कायदे हैं. इसके बावजूद 'अवतार' के सीक्वल से सिनेमाघरों में प्रदर्शन से पूरी तरह किनारा करना आसान नहीं होगा. वह भी इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इस फिल्म ने रिलीज और फिर प्री-रिलीज से 2.92 बिलियन डॉलर की कमाई सिर्फ टिकटों की बिक्री से की है. फिल्म के सीक्वल की एडवांस बुकिंग को इस बार भी जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. इस कारण मल्टीप्लेक्स चेन ने घोषणा की कि वे भारत में फिल्म के प्रदर्शन पर बॉक्स ऑफिस धमाके की उम्मीद रखते हैं.  बहरहाल केरल के फिल्म एक्जीबिटर्स को चिंता है कि प्रॉफिट शेयरिंग की असामान्य शर्त मान लेने से एक गलत परंपरा पड़ेगी. विजयकुमार के मुताबिक, 'यहां ऐसा करना नियमों के खिलाफ नहीं होगा. उनके नियम और शर्तें ऐसी नहीं हैं जिनसे हम सहमत हो सकें. वे केरल में स्थित सिंगल-स्क्रीन थिएटरों पर असामान्य भुगतान की मांग कर रहे हैं. यह ऐसा मसला है जिसकी हम इजाजत नहीं दे सकते. हम किसी भी फिल्म को देखने पर प्रतिबंध नहीं लगाने जा रहे हैं, लेकिन हम 'अवतारः वेऑफ द वॉटर' का प्रदर्शन केरल में नहीं करेंगे. हम अब भी बातचीत की उम्मीद कर रहे हैं.'

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FEUOK के पास क्या केरल के सभी सिंगल थिएटर का प्रभार है
केरल में लगभग 700 सिंगल स्कीन सिनेमाघर हैं, जिनमें से 400 के संचालन का प्रभार FEUOK के पास है. केवल मूल मलयाली फिल्में ही  मुनाफे का मानक 60 फीसदी हिस्सा प्राप्त करने के लिए पात्र हैं. 'अवतारः वेऑफ द वॉटर' की एक और शर्त यह भी है कि फिल्म कम से कम तीन सप्ताह तक सिनेमाघरों में लगी रहनी चाहिए. ऐसे में फिल्म के वितरकों और प्रदर्शकों के लिए यह भी विवाद का एक बड़ा मुद्दा है. हालांकि कुछ सिनेमा एक्जीबिटर्स आशावादी हैं कि जल्द ही एक समझौता हो जाएगा. केरल फिल्म एक्जीबिटर्स फेडरेशन के अध्यक्ष लिबर्टी बशीर के अनुसार, 'अवतारः वे ऑफ द वॉटर' जैसी फिल्म दर्शकों की पूरे समय तक दिलचस्पी बनाए रखने में सक्षम है. फेडरेशन का लगभग 200 स्क्रीनों पर नियंत्रण है. बशीर के नियंत्रण वाले सिंगल स्क्रीन दो हफ्तों तक मुनाफे का 55 फीसदी हिस्सा देने के लिए तैयार भी थे.