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Arjun भारतीय सेना का नया 'हथियार'! कैसे पाकिस्तान की कुत्सित चाल को कर देगा कुंद

संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान 'अर्जुन' कोड नाम वाली एक चील के जरिये दुश्मन ड्रोन को मार गिराया गया. इससे पता चलता है कि भारतीय सेना इनके जरिये पाकिस्तान की ड्रोन से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी के नए पैंतरे को काटने में सक्षम होगी.

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Nihar Saxena
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दुश्मन ड्रोन को मार गिराने के लिए सेना कर रही चीलको प्रशिक्षित.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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उत्तराखंड (Uttarakhand) के औली में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुए संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास 'युद्ध अभ्यास' (Yuddh Abhyas) के दौरान भारतीय सेना ने एक अनोखा नजारा पेश किया. भारतीय सेना (Indian Army) ने दिखाया कि किस तरह प्रशिक्षित चील (Eagle) पाकिस्तान की सीमा पार से आने वाले ड्रोन का शिकार करेगी.  संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान 'अर्जुन' कोड नाम वाली एक चील के जरिये दुश्मन ड्रोन (Drone) को मार गिराया गया. इस कार्रवाई से पता चलता है कि भारतीय सेना इनके जरिये पाकिस्तान की ड्रोन से हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी के नए पैंतरे को काटने में सक्षम होगी. भारतीय सेना पहली बार चील का प्रयोग अपने सैन्य अभियानों में करेगी. इन अभियानों में चील के मददगार बनेंगे प्रशिक्षित कुत्ते भी. गौरतलब है कि हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब पाकिस्तान (Pakistan) से आए ड्रोन ने जम्मू-कश्मीर समेत पंजाब (Punjab) में मादक पदार्थ, हथियार और नगद रकम गिराई. हाल ही में 24 नवंबर को जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) पुलिस ने जम्मू के सांबा जिले में एक पाकिस्तानी ड्रोन द्वारा गिराए गए हथियारों और भारतीय मुद्रा की एक खेप बरामद की थी. भारत-अमेरिका के संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास 'युद्ध अभ्यास' का 18वां संस्करण हाल ही में उत्तराखंड में संपन्न हुआ है. 

'युद्ध अभ्यास' में भारतीय सेना ने दिखाया चील का दमखम
दोनों देशों के प्रशिक्षण 'युद्ध अभ्यास' के दौरान भारतीय सेना ने एक ऐसा माहौल रचा, जिसमें एक कुत्ते और चील की सहायता से दुश्मन ड्रोन का पता लगा उसे सफलता के साथ नष्ट कर दिया गया. यह माहौल सीमा पार से यर्थाथ में ड्रोन रूपी खतरे का रियल टाइम परिदृश्य कहा जा सकता है. दुश्मन ड्रोन की सटीक लोकेशन का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित चील उड़ाई गई. इसके पहले प्रशिक्षित कुत्ता ड्रोन की आवाज सुनकर भारतीय सेना को इस खतरे के बारे में सचेत कर चुका होता है. कुत्ते के साथ भारतीय सेना के जवानों के ड्रोन की संभावित दिशा में बढ़ने के साथ-साथ चील भी ड्रोन को खोज लेती है. इसके बाद वह उड़ रहे ड्रोन के ऊपर ही चक्कर काटने लगती है. फिर उसे हवा से नीचे गिरा देती है. भारतीय सेना के सूत्रों के मुताबिक अगर ड्रोन बड़ा है और उसके साथ ही खतरा भी, तो प्रशिक्षित चील द्वारा सही लोकेशन का पता लगाते ही सेना के जवान नीचे से भी उसे गिरा सकते हैं.

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चील को ही प्रशिक्षित क्यों किया जा रहा 
भारतीय सेना में अपनी तरह की पहली तैनाती के तहत जवान चील को दुश्मन ड्रोन का शिकार करने के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं. चील से पहले भारतीय सेना विभिन्न अभियानों में प्रशिक्षित कुत्तों की मदद लेती आ रही थी. ऐसे में यदि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को यह क्षमता मिल जाती है, तो वे सीमा पार से उड़ान भर इन दो राज्यों में आने वाले ड्रोन से जुड़े खतरे को कम करने में सक्षम हो जाएंगे. विगत में ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं कि पाकिस्तानी ड्रोन ने सीमा पार कर भारतीय राज्यों जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ पंजाब में भी मादक पदार्थों, हथियारों और नकदी की खेप पहुंचाई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ड्रोन के जरिये ये शिपमेंट पाकिस्तान से आए थे.

पक्षियों को कैसे प्रशिक्षित किया जाता है?
भारतीय सेना भले ही दुश्मन के पैंतरों को धता बताने के लिए प्रशिक्षित चील का इस्तेमाल पहली बार कर रही है, लेकिन यह वैश्विक लिहाज से पहला कदम बिल्कुल नहीं है. डच पुलिस 2016 से ड्रोन को मार गिराने के लिए प्रशिक्षित चील का इस्तेमाल करती आ रही है. लैबमेट ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार डच पुलिस  शिकार प्रशिक्षण समूह गार्ड्स के साथ मिलकर उड़ रही वस्तुओं को शिकार की तरह पहचानने के लिए प्रशिक्षित करती है. फिर प्रशिक्षित चील अपने तीखे नाखूनों वाले पंजों से ड्रोन को मार गिराती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेरठ में रिमाउंट वेटरनरी कॉर्प्स (आरवीसी) सेंटर आसमान में क्वाडकॉप्टर्स को मार गिराने के लिए गुप्त रूप से काली चीलों और बाजों को प्रशिक्षण दे रहा है. क्वाडकॉप्टर एक प्रकार का हेलीकॉप्टर है, जिसमें चार रोटार होते हैं. हालिया दौर में यह छोटे मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के लिए खासे लोकप्रिय है. इन्हें ही हम ड्रोन भी कहते हैं. द प्रिंट की एक रिपोर्ट में रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्र के हवाले से कहा गया है, 'चीलों ने प्रशिक्षण के दौरान ही सैकड़ों क्वाडकॉप्टर को नीचे गिराने में सफलता दिखाई है. कुछ मामलों में तो क्वाडकॉप्टरों को पूरी तरह से नष्ट भी कर दिया. चूंकि ये क्वाडकॉप्टर थे, तो चील को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा.' प्रशिक्षण ले रहे चील और बाज में अधिसंख्य वे हैं जिन्हें बचाव अभियान के तहत बचाया गया था. अब इनकी देखभाल फाल्कन रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में की जा रही है. 2020 से इस मिशन के लिए बड़ी संख्या में पक्षी प्रशिक्षण ले रहे हैं.

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सीमाओं की निगरानी भी करेगी चील और प्रशिक्षित बाज
भारत के दोनों तरफ ही दुश्मन देश हैं, जिनका न सिर्फ सीमा क्षेत्र बड़ा है, बल्कि वे आधुनिक ड्रोन का भी इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में मेऱठ के आरवीसी सेंटर के प्रशिक्षक इन पक्षियों को निगरानी के उद्देश्य से भी प्रशिक्षित कर रहे हैं. प्रशिक्षण पूरा होने पर पक्षियों के सिर पर वीडियो कैमरा लगाए जाएंगे ताकि वे निगरानी करते हुए फुटेज भी रिकॉर्ड कर सकें. प्रशिक्षण के लिए चील और बाज ही क्यों का जवाब जानने के लिए इनका मनोविज्ञान समझना होगा. पक्षी अपने इलाके को लेकर बहुत अधिक पजेसिव होते हैं. ऐसे में उन्हें जब एक निश्चित क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है, तो वे तुरंत उड़ान भर अपने चारों ओर एक घेरा बनाकर अपना क्षेत्र स्थापित करना शुरू कर देते हैं. समय बीतने के साथ-साथ यह घेरा बढ़ता जाता है. इस तरह ये प्रशिक्षित पक्षी एक बड़े क्षेत्र की निगरानी करने में सक्षम हो जाते हैं. प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हरएक पक्षी के लिए अलग-अलग हैंडलर नियुक्त किए गए हैं. हालांकि अभी यह अभियान प्रशिक्षण के चरण में है. फिलहाल इसे परिचालन क्षमता में नहीं लाया गया है, लेकिन जल्द ही ये प्रशिक्षित चील और बाज दुश्मन देश की साजिशों को नाकाम करते नजर आएंगे. 

HIGHLIGHTS

  • प्रशिक्षित चील और बाज मार गिराएंगे दुश्मन देश के ड्रोन
  • मेरठ के आरवीसी में गुप्त तरीके से दिया जा रहा प्रशिक्षण
  • डच पुलिस ड्रोन मार गिराने में 2016 से ले रही चील की मदद
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