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Corona से जंग में भारत ने कीं ये चीजें सही, नहीं आएगा China जैसा COVID Surge

विगत कई दिनों से चीन में कोविड मामलों में बढ़ोतरी के साथ एक बार फिर वैश्विक लहर की खतरे की घंटी बज रही है. फिर भी ऐसा लगता है कि भारत आज शेष दुनिया की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में है.

Updated on: 23 Dec 2022, 10:41 PM

highlights

  • भारत में चीन जैसा कहर नहीं बरपा पाएगा ओमीक्रॉन का सब-वैरिएंट BF.7
  • कोरोना से जंग में भारत ने कुछ कदम ऐसे उठाए, जो उसे देते हैं बड़ी राहत
  • अभी भी पीएम मोदी का इसीलिए ट्रैकिंग, ट्रेसिंग, ट्रीट और वैक्सीनेशन पर जोर 

नई दिल्ली:

चीन (China) में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में हर दिन आ रही उछाल को दुनिया सांसें थामे देख रही है, लेकिन भारत (India) की स्थिति शेष दुनिया से आज बिल्कुल उलट है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) समेत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ट्रैकिंग, ट्रेसिंग, ट्रीट और वैक्सीनेशन के पुराने मंत्र पर ही चल रहे हैं. लगभग तीन साल पहले वुहान में कोरोना वायरस (Corona Virus) पहली बार फैला, फिर उसने चीन के अन्य शहरों को चपेट में लिया. इसके बाद तो दुनिया के बाकी हिस्सों में फैल गया. सभी कोरोना से जंग का प्रभावी हथियार नहीं होने के डर से जकड़े हुए थे. प्रभावी वैक्सीन और तंत्र नहीं होने से इस संक्रमण को समय रहते प्रभावी ढंग से रोका नहीं जा सका. अब स्थिति काफी बदल चुकी है. कोरोना महामारी के एक साल बाद ही वैज्ञानिक ऐसे टीके विकसित करने में कामयाब रहे हैं, जो कोरोना वायरस के प्रभाव को कम कर इंसानी जान बचाने में सक्षम थे. प्रभावी वैक्सीन (Corona Vaccine), फेस मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और हैंड सैनिटाइजर जैसे कोविड-उपयुक्त व्यवहार वायरस को फैलने से रोकने का हथियार बन गए. इन सबके साथ भारत ने भी यह सुनिश्चित किया कि वह इन सभी तरीकों को अपनाए. इस कारण कोरोना महामारी से नुकसान थोड़ा कम हुआ. अब विगत कई दिनों से चीन में कोविड मामलों में बढ़ोतरी के साथ एक बार फिर वैश्विक लहर की खतरे की घंटी बज रही है. फिर भी ऐसा लगता है कि भारत आज शेष दुनिया की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में है. साथ ही किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है. ऐसे में यह जानना बेहतर रहेगा कि आखिर भारत ने कोविड-19 (COVID-19) को नियंत्रण में लाने के लिए क्या सही कदम उठाए.

टीके पर वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया
भारत ने कोरोना महामारी के शुरुआती दौर अप्रैल 2020 में ही कोरोना टीके विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. यही वजह है कि महामारी के कहर के डेढ़ साल से कुछ समय बाद भारत के पास दो कोरोना वैक्सीन थीं. चीन के बाद दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सीन. आज भारत में कोरोना के खिलाफ दर्जन भर टीके इस्तेमाल के लिए स्वीकृत हैं. वैज्ञानिकों, सरकार और निजी क्षेत्र के ठोस प्रयासों से किसी टीके के विकास के सामान्य 10 वर्षीय चक्र को अभूतपूर्व गति दी गई, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए. नतीजा यह निकला कि भारत में कोविड का पहला मामला सामने आने के लगभग एक साल बाद देश ने जनवरी 2021 में टीकाकरण अभियान शुरू किया. एक साल बाद जनवरी 2022 में भी व्यापक स्तर पर टीकाकरण जारी रहा. इसके बावजूद पीएम मोदी कोविड संक्रमण पर रोकथाम के लिए सतत् परीक्षण, टीके और फार्माकोलॉजिकल हस्तक्षेप में निरंतर वैज्ञानिक अनुसंधान पर बल दिए रहे. इसके अलावा कोविड के लिए दुनिया का पहला इंट्रा-नेजल वैक्सीन भारत में विकसित हुआ. इसे इस महीने शीर्ष दवा नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने 18 और उससे अधिक आयु वर्ग पर इस्तेमाल के लिए हरी झंडी भी दे दी.

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मिशन मोड पर लोगों का टीकाकरण अभियान
1.3 अरब की आबादी वाले देश में टीकाकरण कार्यक्रम एक बड़ी चुनौती था. शुरुआती स्तर पर भारत के पास न केवल टीकों की खुराक का कम स्टॉक था, बल्कि उसे सप्लाई चेन में अड़चनों और वैक्सीन लगवाने में आम लोगों की झिझक से भी जूझना पड़ा. इसके बावजूद भारत नवंबर 2022 तक अपनी 88 प्रतिशत से अधिक वयस्क आबादी को सफलतापूर्वक टीका लगा एक मील का पत्थर स्थापित करने में कामयाब रहा. महामारी के एक वर्ष से भी कम समय में जनवरी 2021 में भारत ने मार्च 2021 से एक बड़ा लक्ष्य तय किया. इसके तहत डॉक्टरों, स्वास्थ्य देखभाल और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं समेत 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और सह-रुग्णता वाले 45 से अधिक वय को चरणबद्ध तरीके से कोविड टीके लगाए जाने थे. यही नहीं, भारत ने अन्य आयु वर्गों के लिए टीकाकरण कब शुरू किया जाए, इस बारे में निर्णय लेने के लिए टीकों की उपलब्धता और संवेदनशील समूहों के टीकाकरण पर एक मॉडल का सख्ती से पालन किया. आलम यह है कि 2 दिसंबर 2022 तक कुल मिलाकर 2.19 अरब से अधिक खुराकें लोगों को दी जा चुकी हैं. इनमें पहली, दूसरी खुराक समेत बूस्टर डोज भी शामिल है. 

प्रभावी को-विन प्लेटफॉर्म तैयार करना
भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता का एक प्रमुख कारक डिजिटल प्लेटफॉर्म Co-WIN यानी Covid-19 Vaccine Intelligence Network था. इसे केंद्र सरकार ने विकसित किया था, जिसे 16 जनवरी 2021 को पीएम मोदी ने लांच किया. ऑनलाइन पोर्टल नागरिकों को कभी भी और कहीं भी टीकाकरण के लिए पंजीकरण और एप्वाइंटमेंट लेने में सक्षम बनाता है. अलग-अलग टाइम स्लॉट की पेशकश से लेकर टीकों के चयन और टीकाकरण केंद्रों की पसंद तक Co-WIN एप के जरिये की जा सकती हैं. इसने सुनिश्चित किया कि नागरिकों के लिए टीका लगवाना आसान हो जाए. इसकी सफलता देखकर कई देशों ने इस डिजिटल प्लेटफॉर्म में दिलचस्पी दिखाई थी. यह देख केंद्र सरकार ने इसे सभी देशों तक पहुंच और उपयोग में लाने के लिए ओपन-सोर्स बना दिया.

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भारत निर्मित Covaxin का समर्थन
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक का Covaxin भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-कोविड वैक्सीन था. जनवरी 2021 में सीडीएससीओ द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ संयुक्त रूप से विकसित वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई थी. यह अनुमति तब दी गई जब स्टेज-3 के ​​परीक्षण चल रहे थे. इसने व्यापक पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हमेशा यह कहा है कि Covaxin को पूरी तरह से वैज्ञानिक पुनरीक्षण और नियमों के अनुपालन के बाद मंजूरी दी गई. एक गतिरोध तब आया जब कोवैक्सीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मांगी. इससे जुड़े प्रारंभिक विवाद के चलते कई महीनों की देरी के बाद ही भारत निर्मित वैक्सीन को नवंबर 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिली. कोवैक्सीन से जुड़े विवादों का पटाक्षेप करने के लिए पीएम मोदी ने स्वदेशी वैक्सीन की खुद दोनों खुराकें लीं. कोविशील्ड के साथ कोवैक्सीन के रोल-आउट से भारत के टीकाकरण अभियान को गति मिली, जिसने एक बड़ी आबादी को कोविड संक्रमण से बचाने में मदद की.

लॉकडाउन और प्रतिबंधों पर लगातार सख्त निगाह
कोरोना महामारी पर रोकथाम और इस संक्रमण से जुड़ी मौतों को रोकने के लिए टीकाकरण जहां जरूरी कर दिया गया था, वहीं यह भी सुनिश्चित किया गया कि कोविड से जुड़े प्रतिबंधों पर लगातार अमल हो और लोग उनका सख्ती से पालन करें. बीते तीन सालों में केंद्र और राज्य सरकारें संक्रमण को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए लॉकडाउन समेत कोरोना प्रतिबंधों की समय-समय पर आवश्यकतानुसार घोषणा करते रहते हैं. माइक्रो लेवल पर संक्रमण को थामने के लिए कंटेनमेंट जोन बनाए जाते हैं. साथ ही सुनिश्चित किया जाता है कि उनसे जुड़े दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए. कोरोना के प्रचार-प्रसार को रोकने के लिए संक्रमण प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों के लिए ट्रेसिंग मॉडल का पालन करते हैं. इसके साथ ही प्रत्येक स्तर पर प्रशासन कोविड कल्स्टर बनने से रोकने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाए रहता है. केंद्र सरकार ने कोरोना परीक्षणों समेत जिनोम सीक्वेंस पर खासा जोर दिया है. मकसद सिर्फ यही है कि कोरोना वायरस के फैलाव को रोक नए म्यूटेंट का समय रहते पता लगाया जा सके. भारत ने कोरोना कहर को थामने के लिए जो प्रयास किए उससे देश किसी कोविड संकट को थामने के लिए तैयार है. उदाहरण के लिए जिस तरह चीन में फिर कहर फैला रहा ओमीक्रॉन का नया सब-वैरिएंट बीएफ.7. इसके अलावा भारत के शहरों समेत ग्रामीण इलाकों में व्यापक टीकाकरण से भी इस नए संकट से निपटने में भारी मदद मिलेगी. कोरोना महामारी से जूझते हुए पिछले तीन सालों के अनुभव ने भारत को कोरोना सं जंग में काफी सक्षम बना दिया है.