अफगानिस्तान में तालिबान शासन का 1 वर्ष पूरा, जानें पहली सालगिरह पर क्या कहे तालिबान लड़ाके

आज के ठीक एक साल पहले, कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने काबुल पर कब्जा कर लिया था, जब सरकारी बलों के खिलाफ उनके देशव्यापी त्वरित हमले ने अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य हस्तक्षेप के 20 साल समाप्त कर दिए थे.

author-image
Pradeep Singh
New Update
afganistan

तालिबान लड़ाके( Photo Credit : News Nation)

अफगानिस्तान में आज यानि सोमवार को तालिबान शासन का 1 वर्ष  पूरा हो गया. तालिबान ने सत्ता में अपनी वापसी की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सोमवार को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था. लेकिन तालिबान अपने शासन के इस वर्ष को भले ही अपनी उपलब्धि मान रहा हो, अफगानिस्तान की महिलाओं के लिए यह किसी विभीषिका से कम नहीं रहा. इस एक अशांत वर्ष के बाद भी महिलाओं के अधिकारों को कुचलना बंद नहीं हुआ है. प्राथमिक शिक्षा के बाद लड़कियों के लिए स्कूलों के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं. महिलाओं के ऊपर तालिबान शासन के नियम-कानून मानवीय संकट के रूप में सामने आया है. 

Advertisment

आज के ठीक एक साल पहले, कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने काबुल पर कब्जा कर लिया था, जब सरकारी बलों के खिलाफ उनके देशव्यापी त्वरित हमले ने अमेरिका के नेतृत्व वाले सैन्य हस्तक्षेप के 20 साल समाप्त कर दिए थे. तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के कुछ ही घंटों बाद पिछले साल 15 अगस्त को काबुल में प्रवेश करने वाले एक लड़ाके नियामतुल्ला हेकमत ने कहा, "हमने जिहाद के दायित्व को पूरा किया और अपने देश को आजाद कराया."

विदेशी बलों की अराजक वापसी 31 अगस्त तक जारी रही, जिसमें हजारों लोग अफगानिस्तान से बाहर किसी भी उड़ान पर निकाले जाने की उम्मीद में काबुल के हवाई अड्डे पर पहुंचे. हवाईअड्डे पर धावा बोलने, विमान के ऊपर चढ़ने और रनवे से नीचे लुढ़कते हुए कुछ अमेरिकी सैन्य मालवाहक विमान से चिपके हुए भीड़ की छवियां  दुनिया भर के समाचार बुलेटिनों में प्रमुखता से दिखाए गए.

अधिकारियों ने अभी तक वर्षगांठ को मनाने के लिए किसी आधिकारिक समारोह की घोषणा नहीं की है, लेकिन राज्य टेलीविजन ने कहा कि यह विशेष कार्यक्रम प्रसारित करेगा. हालांकि, तालिबान लड़ाकों ने खुशी व्यक्त की कि उनका आंदोलन अब सत्ता में है-यहां तक कि सहायता एजेंसियों का कहना है कि देश के 3.8 करोड़ लोगों में से आधे लोग अत्यधिक गरीबी का सामना करते हैं. हेकमत ने कहा, "जिस समय हमने काबुल में प्रवेश किया और जब अमेरिकी चले गए, वे खुशी के क्षण थे."

महिलाओं के जीवन ने अपना अर्थ खो दिया है

लेकिन आम अफ़गानों के लिए -ख़ासकर महिलाओं के लिए-तालिबान की वापसी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के प्रारंभ में तालिबान ने कठोर इस्लामी शासन के एक नरम संस्करण का वादा किया था, जो 1996 से 2001 तक सत्ता में उनके पहले कार्यकाल की विशेषता थी. लेकिन इस्लाम के कट्टर स्वरूप का पालन करने के लिए महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं.

दसियों हज़ार लड़कियों को माध्यमिक विद्यालयों से बाहर कर दिया गया है, जबकि महिलाओं को कई सरकारी नौकरियों में लौटने से रोक दिया गया है. और मई में, उन्हें सार्वजनिक रूप से पूरी तरह से बुर्का के साथ आदर्श रूप से कवर करने का आदेश दिया गया था. काबुल में रहने वाली एक महिला  ने कहा, "जिस दिन से वे आए हैं, जीवन ने अपना अर्थ खो दिया है. हमसे सब कुछ छीन लिया गया है, वे हमारे निजी स्थान में भी घुस गए हैं."

शनिवार को तालिबान लड़ाकों ने काबुल में  महिला प्रदर्शनकारियों की  रैली को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं और महिलाओं को पीटा. तालिबान के सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद से अफ़गानों ने हिंसा में गिरावट को स्वीकार किया है, लेकिन इस दौरान मानवीय संकट में कई लोगों को असहाय छोड़ दिया है.तालिबान के वास्तविक शक्ति केंद्र कंधार के एक दुकानदार नूर मोहम्मद ने कहा, "हमारी दुकानों पर आने वाले लोग इतनी ऊंची कीमतों की शिकायत कर रहे हैं कि हम दुकानदार खुद से नफरत करने लगे हैं."

यह भी पढ़ें : PUBG के बाद आखिर क्यों लगा अब BGMI पर प्रतिबंध, समझें चीन का खेल

हालांकि, तालिबान लड़ाकों के लिए जीत की खुशी मौजूदा आर्थिक संकट पर भारी पड़ जाती है. काबुल में एक सार्वजनिक पार्क की रखवाली करने वाले एक लड़ाकू ने कहा, "हम गरीब हो सकते हैं, हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इस्लाम का सफेद झंडा अब हमेशा के लिए अफगानिस्तान में फहराएगा."

HIGHLIGHTS

  • पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल में प्रवेश किया था
  • विदेशी बलों की अराजक वापसी 31 अगस्त,2021 तक जारी रही
  • तालिबान की वापसी ने महिलाओं के लिए मुश्किलें बढ़ा दी

 

taliban Humanitarian Crisis Niamatullah Hekmat Kabul president Ashraf Ghani Jihad first anniversary
      
Advertisment