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Kejriwal की 'झाडू' पंजाब की तरह गुजरात में स्वीप नहीं कर सकती, केवल बीजेपी-कांग्रेस के वोट काटेगी... जानें

आम आदमी पार्टी ने इस बार गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ा है. फिर भी उसका 30 से 40 फीसदी वोट हासिल करने का दावा हवा में लगता है, जो गुजरात चुनाव जीतने के लिए एक आदर्श स्थिति है.

Updated on: 07 Dec 2022, 10:48 PM

highlights

  • गुजरात में आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 92 सीट जीतने का दावा किया
  • विधानसभा परिणाम के तहत इतनी सीटों के लिए चाहिए होगा 30 से 40 फीसद वोट
  • इतना वोट शेयर आप को दिल्ली और पंजाब में लड़े पहले विधानसभा चुनाव में नहीं मिला

नई दिल्ली:

1990 में जनता दल के पतन के बाद गुजरात (Gujarat) के प्रमुख राजनीतिक दल के तौर पर उभरी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के लिए इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के आने से अपना वोट शेयर बनाए रखना मुश्किल हो सकता है. कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के 'भारत जोड़ो यात्रा' में व्यस्त रहने से देश की सबसे पुरानी पार्टी का चुनाव अभियान आक्रामक नहीं रहा, तो भाजपा के 'गुजरात मॉडल' को पंजाब विधानसभा चुनाव में जादू दिखाने वाले अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के 'दिल्ली मॉडल' से चुनौती का सामना करना पड़ा है. पंजाब चुनाव में परिणाम आप के पक्ष में करने वाले वादों की तर्ज पर आप ने गुजरात में सत्ता में आने पर सरकारी स्कूलों की स्थिति में आमूलचूल बदलाव, मुफ्त बिजली, किसानों को मुफ्त पानी और मुफ्त स्वास्थ्य सेवा देने का वादा किया है. केजरीवाल की पार्टी ने 18 वर्ष से अधिक आयु की सभी महिलाओं को 1,000 रुपये मासिक भत्ता देने का भी वादा किया है. साथ ही पंजाब की तरह सत्ता में आने पर गुजरात में भी पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने का संकल्प जताया है. इसके बावजूद गुजरात चुनाव (Gujarat Assembly Elections 2022) में आप की संभावनाओं पर एक नजर डालते हैं और समझते हैं कि क्यों परिणाम उसकी अपेक्षाओं से अलग होगा.

गुजरात में आंकड़ों का खेल समझें
गुजरात में बीजेपी के लिए चुनाव किसी क्रिकेट मैच से कम नहीं है. क्रिकेट मैच में मेजबान होने का जिस तरह टीम को फायदा मिलता है, वैसे ही गुजरात में 2001 से 2014 तक मुख्यमंत्री रहे पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से बीजेपी को. इस बार भी पीएम मोदी ने गुजरात में बीजेपी का प्रचार अभियान 'आ गुजरात मैं बनाव्यु छे' के इर्द-गिर्द बुनकर शुरू किया. गुजरात में भाजपा महज कोई एक राजनीतिक दल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा तंत्र है जो 1995 से सत्ता पर काबिज है. इसमें डेढ़ साल का वह समय अंतराल शामिल नहीं है जब शंकरसिंह वाघेला ने 47 विधायकों के साथ भाजपा से नाता तोड़ राष्ट्रीय जनता पार्टी की स्थापना की और फिर कांग्रेस के समर्थन से सरकार चलाई. गुजरात में पिछले छह विधानसभा चुनाव परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1995 से जीत की लय बरकरार रखने वाली बीजेपी 42.51 फीसदी से 49.05 प्रतिशत के बीच वोट शेयर हासिल करने में सफल रही है. भाजपा ने 2002 के चुनावों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया था, जब 49.85 फीसदी वोट शेयर के साथ 127 सीटों पर जीती थी. दूसरी ओर पिछले 27 वर्षों से लगातार बीजेपी से हारने के बावजूद कांग्रेस 1995 के 32.86 फीसदी वोट शेयर का 2017 में 41.44 फीसद तक बढ़ाने में कामयाब रही. 2017 विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के आक्रामक प्रचार अभियान से कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो 1985 के बाद से राज्य में सबसे अच्छा प्रदर्शन भी रहा था. 

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अपेक्षा या दावे के अनुरूप आप की 'झाड़ू' गुजरात में क्यों नहीं चलेगी
गुजरात के 2017 के विधानसभा चुनावों में आप ने 29 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई और पार्टी को 0.10 फीसदी वोट शेयर मिला. हालांकि 2021 के नागरिक निकाय चुनावों में कांग्रेस के हिस्से में गिरावट से आप ने अपने पहले चुनावी प्रदर्शन में 13 फीसदी से अधिक वोट शेयर हासिल किए. 1990 के चुनावों के बाद जनता दल के कई महत्वपूर्ण नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा और कांग्रेस अपना वोट शेयर बढ़ाने में कामयाब रही थी. जनता दल ने 1990 में 70 सीटें जीती थीं और 29.36 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, लेकिन यह 1995 के चुनावों में महज 2.82 फीसदी वोट हासिल कर खाता खोलने में विफल रही. आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि उनकी पार्टी इस बार गुजरात में 92 से अधिक सीटें जीतेगी, यह भविष्यवाणी वास्तविकता से बहुत दूर है. गुजरात की 182 सीटों पर पहली बार चुनाव लड़ रही आप के लिए 30 फीसदी से 40 प्रतिशत के बीच वोट हासिल करना असंभव है. यह कुछ ऐसा प्रदर्शन है जिसे आप दिल्ली-पंजाब के अपने पहले चुनाव में भी नहीं कर पाई थी. आप ने 2013 में दिल्ली में अपने पहले चुनावों में 29.49 प्रतिशत वोट शेयर और 2017 में पंजाब में 23.72 फीसदी वोट हासिल किए थे. 

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एग्जिट पोल भी कुछ यही बयान कर रहे
गूजरात में दूसरे चरण का मतदान संपन्न होने के बाद 5 दिसंबर की शाम को आए तमाम एग्जिट पोल भी भाजपा की लहर का दावा कर रहे हैं. इनमें से कुछ ने बीजेपी के लिए इस बार परिणाम और बड़े होने की भी भविष्यवाणी की है. ये सभी एग्जिट पोल विपक्ष में कांग्रेस को ही बता रहे हैं. इन सभी ने भविष्यवाणी की है कि आप को गुजरात विधानसभा चुनावों में 2 से 21 के बीच सीटें मिलेंगी. रिपब्लिक टीवी-पी मार्क सर्वेक्षण ने आप के लिए 2-10 सीटों की भविष्यवाणी की, जबकि एक्सिस माई इंडिया के आप को 9-21 सीटें दे रहा है. न्यूज एक्स-जन की बात एग्जिट पोल के मुताबिक गुजरात में बीजेपी को 117-140 सीटें, कांग्रेस को 34-51 और आप को 6-13 सीटें मिल सकती हैं. टीवी9 गुजराती ने बीजेपी के लिए 125-130 सीटों, कांग्रेस के लिए 40-50 और आप के लिए 3-5 सीटों की भविष्यवाणी की. टाइम्स नाउ नवभारत ईटीजी एग्जिट पोल में कहा गया है कि बीजेपी को 131 सीटें, कांग्रेस को 41, आप को 6 और अन्य को 4 सीटें मिल सकती हैं. एबीपी सी-वोटर के सर्वेक्षण के अनुसार भाजपा 128-140 सीटों, कांग्रेस   31-43 और आप 3-11 सीटें हासिल कर सकती है. न्यूज 24-टुडे चाणक्य के मुताबिक बीजेपी को 150 सीटें मिलेंगी, कांग्रेस को 19 और आप को 11 सीटें मिलेंगी.

दिल्ली-पंजाब में आप की सफलता की राह
दिल्ली के 2013 विधानसभा चुनाव में एक नए राजनीतिक दल बतौर आप ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया, लेकिन बहुमत के आंकड़े को छूने में विफल रही. केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी भाजपा की तुलना में कांग्रेस के अधिक वोट काटकर 28 सीटें जीतीं थी और उसका वोट शेयर 29.49 फीसदी था. सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जिसने 31 सीटें जीतीं लेकिन उसका वोट शेयर 2008 के चुनावों के 34.12 प्रतिशत से घटकर  33.07 फीसदी पर आ गया. दूसरी ओर कांग्रेस महज 8 सीटों पर सिमट गई थी,जिसका वोट शेयर 2008 के 40.31 फीसदी से गिरकर 24.55 प्रतिशत पर आ गया था. 2015 के चुनावों में दिल्ली में आप ने शानदार जीत दर्ज की. 67 सीटों पर जीत हासिल कर 54.34 वोट पाए, जबकि बीजेपी 32.19 फीसदी और कांग्रेस का वोट शेयर 9.65 फीसद पर आ गया. आप ने 2020 में 62 सीटों पर जीत हासिल की और 53.57 फीसदी वोट शेयर हासिल पर कब्जा किया. बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं, लेकिन उसका वोट शेयर बढ़कर 38.51 फीसदी हो गया. कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली और केवल 4.26 फीसदी वोट हासिल किए. 
आप ने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में 112 उम्मीदवार खड़े किए और 20 सीटें जीतने के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 2022 में मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में भगवंत मान के साथ आप ने अपना वोट शेयर 2017 के 23.72 प्रतिशत से 42.01 फीसदी तक बढ़ाया और 92 सीटें हासिल कीं. आप के पंजाब में पैठ बनाते ही कांग्रेस का 2022 में वोट शेयर 2017 के 40.09 प्रतिशत से घटकर 22.98 पर आ गया. आप ने शिरोमणि अकाली दल को भी नुकसान पहुंचाया, जिसे 2012 के 34.73 फीसदी की तुलना में 2022 में 18.38 प्रतिशत वोटों से ही संतोष करना पड़ा.