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World Blood Donor Day 2022: शरीर को ऐसे रिचार्ज करता है रक्तदान, जानें फायदे

दुनियाभर में कहीं भी जरुरतमंद इंसान को समय पर रक्त या खून ( Blood) मुहैया करने-करवाने के लिए विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जाता है. दुनिया में रक्तदान की वजह से हरेक दिन लाखों लोगों की जान बचा ली जाती है.

Updated on: 14 Jun 2022, 04:09 PM

highlights

  • विश्व रक्तदाता या रक्तदान दिवस महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन को समर्पित
  • जनसंख्या में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश भारत रक्तदान के मामले में पीछे
  • कोरोना टीका लगवा चुका व्‍यक्ति रक्‍त, प्‍लेटलेट्स या प्‍लाज्‍मा दान कर सकता है

नई दिल्ली:

हर साल 14 जून को दुनियाभर में विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) या विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. इस साल अपने नेशनल ब्लड सेंटर के माध्यम से मेक्सिको विश्व रक्तदाता दिवस 2022 (World Blood Donor Day 2022) की मेजबानी कर रहा है. इस साल विश्व रक्तदाता दिवस की थीम है, 'रक्तदान एकजुटता का काम है. प्रयास में शामिल हों और जीवन बचाएं. ( 'Donating blood is an act of solidarity. Join the effort and save lives.)' इस खास दिवस के लिए हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organization) एक विषय ( Theme) तय करता है.

क्यों मनाया जाता है विश्व रक्तदाता दिवस

दुनियाभर में कहीं भी जरुरतमंद इंसान को समय पर रक्त या खून ( Blood) मुहैया करने-करवाने के लिए विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. दुनिया में रक्तदान की वजह से हरेक दिन लाखों लोगों की जान बचा ली जाती है. रक्तदान के बाद दाता और जरूरतमंद दोनों की खुशी और संतोष का हिसाब नहीं मिल सकता. आधिकारिक तौर पर विश्व रक्तदाता दिवस उन सबके योगदान का सम्मान करता है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में स्वेच्छा से बिना पैसे लिए रक्तदान करते हैं. 

यह दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना, जीवन रक्षक रक्त के दान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना और रक्तदाताओं के प्रति आभार जताना है. इसके अलावा रक्तदान को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करना भी इस दिवस को मनाए जाने का एक मकसद है. जैसे ये बताना कि रक्तदान करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती है और हर तीसरे महीने में कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है.

वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन को समर्पित 

दुनियाभर में मनाया जाने वाला विश्व रक्तदाता या रक्तदान दिवस महान शरीर वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन को समर्पित है. 14 जून 1868 को महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्‍म हुआ था. उन्होंने मानव रक्त में मौजूद एग्‍ल्‍युटिनि‍न के आधार पर रक्‍तकणों का ए, बी और ओ समूह ( Blood Groups) की पहचान की थी. रक्त के इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में अहम योगदान दिया. इसकी वजह आज हर दिन करोड़ों से ज्यादा यूनिट सुरक्षित रक्तदान होते हैं जिससे लाखों जिंदगियां बचाई जाती हैं. इसी बेमिसाल खोज के लिए साल 1930 में कार्ल लैंडस्टाईन को नोबल पुरस्कार दिया गया था. साल 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रक्तदान दिवस मनाने की शुरुआत की थी.

रक्तदान में भारत की मौजूदा स्थिति

जनसंख्या के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश होने के बावजूद भारत रक्तदान के मामले में पीछे है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है, लेकिन मात्र 75 लाख यूनिट ही उपलब्ध हो पाता है. इसका मतलब है कि लगभग 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों जरूरतमंद मरीज दम तोड़ देते हैं. दुनिया के सबसे बड़े और महान लोकतंत्र  में अभी भी बहुत से लोग इस भ्रम के शिकार हैं कि रक्तदान से शरीर में कमजोरी आ जाती है.

रक्तदान करने के लिए क्या करें

भारत के ब्‍लड बैंक रक्‍तदान की योग्‍यता के लिये नेशनल ब्‍लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (NBTC) के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है. इसके लिए रक्तदाता व्यस्क यानी उसकी उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए. रक्तदान करने के लिए वजन 45 किलोग्राम से ज्यादा होना चाहिए. एक इंसान के शरीर में लगभग 5 लीटर खून होता है. इसमें से लगभग 500 मिलीलीटर की छोटी-सी मात्रा में ही रक्‍तदान किया जाता है. तीन महीने में शरीर में रक्‍त फिर से सामान्य हो जाता है. इसलिए अगर रक्‍तदान के सभी मापदंड पूरे हों, तो तीन महीने बाद दोबारा सुरक्षित रक्‍तदान किया जा सकता है. 

कोविड-19 वैक्सीन से जुड़ी जानकारी

NBTC के मुताबिक, पहले कोविड-19 के लिये टीका लगवाने वाले शख्स को पहला डोज लगने के बाद 28 दिनों तक रक्तदान से मना किया जाता था. तब दो डोज के बीच 28 दिनों अंतर का होता था. इसलिये पहला डोज लेने के बाद 56 दिनों तक रक्‍तदान नहीं किया जा सकता था. नई गाइडलाइंस के मुताबिक अब टीका लगवा चुका व्‍यक्ति पहला या दूसरा डोज लेने के 14 दिन बाद रक्‍तदान कर सकता है. वहीं, रेड क्रॉस के मुताबिक भी कोविड-19 के लिये टीका लगवाने के बाद इंसान रक्‍त, प्‍लेटलेट्स या प्‍लाज्‍मा दान कर सकता है. रक्‍तदान की प्रक्रिया से किसी व्‍यक्ति को कोविड-19 होने का जोखिम नहीं है.

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रक्तदान से होने वाले कई फायदे

क्‍तदान कैंसर पीड़ित मरीजों, रक्‍तस्राव विकार, एनीमिया और दूसरी खून की कमी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में मदद करता है. रक्तदान से प्राप्त करने वाले जरूरतमंद मरीजों के लिए फायदा जगजाहिर है. साथ ही यह रक्‍तदाता के लिए भी फायदेमंद होता है. डॉक्टर्स के मुताबिक रक्तदाताओं को होनेवाले फायदे हैं-

- नियमित रक्तदान करते रहने से अपने वजन को बहुत ही आसानी से कंट्रोल में रखा जा सकता है. क्योंकि एक बार रक्तदान करने 650 से 700 कैलोरी तक कम कर सकते हैं. इसलिए स्वस्थ व्यक्ति को हर तीन महीने में रक्तदान करते रहना चाहिए.
-  नियमित रूप से रक्तदान करते रहने से रक्त में आवश्यकता से अधिक आयरन इकट्ठा नहीं होता. इससे दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
- शरीर में ज्यादा आयरन हार्ट के साथ-साथ लीवर और पैनक्रियाज में भी जमा होता है. इसके चलते लीवर और पैनक्रियाज को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. नियमित रक्तदान से लीवर में आयरन की मात्रा नियंत्रित रहती है. यह लीवर और पैनक्रियाज कैंसर से बचाव में मददगार है.
- रक्तदान के बाद शरीर में रक्त की कमी पूरा करने के लिए रेड ब्लड सेल्स नई कोशिकाओं का निर्माण करती हैं. इससे शरीर को नई उर्जा मिलती है.
- नियमित रक्तदान करते रहने से शरीर में मौजूद गंदगी बाहर निकलती रहती है. इससे कई सारी गंभीर बीमारियों का खतरा टल जाता है.
-  रक्तदान के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है. इससे शरीर चुस्त-दुरूस्त बना रहता है.