Devoleena ने पहली बार दिखाया बेटे का चेहरा, बंगाली टोपी में जॉय की क्यूटनेस देख हर कोई ले रहा बलाएं
खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर समान, होती हैं कई समस्याएं
Assam: क्यों हिंदू बहुल क्षेत्रों में फेंके जाते हैं गोमांस-मांस के टुकड़े? असम के मुख्यमंत्री ने बताया कारण
NATIONAL CORN ON THE COB DAY पर जानिए रोजाना 100 ग्राम स्वीट कॉर्न खाने से मिलते हैं ये गजब के फायदे
Weather Update: उत्तर भारत में भीषण गर्मी, राजस्थान-पंजाब में 47 पार हुआ पारा
ईरान ने इजरायल के न्यूक्लियर ठिकाने​ को ढूंढ़ निकाला, दे दी धमकी
Haryana: चरित्र शक में पिता ने चार बच्चों संग दी जान, ट्रेन के आगे कूदकर की खुदकुशी
राजस्थान : रवि प्रकाश मेहरड़ा को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार मिला
Kerala Lottery Result: केरल लॉटरी के पहले मनी प्राइज ने चौंकाया, एक करोड़ रुपये का पुरस्कार

जम्मू-कश्मीर की घाटी में चल रही बदलाव की बयार

अनुच्छेद 370 और धारा 35Aकी समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर के वर्षों से उपेक्षित वंचित वर्गों को न्याय देने की परियोजना प्रारंभ हुई है.

अनुच्छेद 370 और धारा 35Aकी समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर के वर्षों से उपेक्षित वंचित वर्गों को न्याय देने की परियोजना प्रारंभ हुई है.

author-image
Pradeep Singh
एडिट
New Update
Jammu kashmir

जम्मू-कश्मीर( Photo Credit : News Nation)

जम्मू-कश्मीर में  बदलाव की बयार बह रही है. यह बयार 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति में हुए परिवर्तन के बाद संभव हुआ है.  घाटी में विकास की रफ्तार बढ़ी है और राज्य में शांति का वातावरण होने के साथ वंचित रहे समाज के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है. आज़ादी से लेकर 5 अगस्त, 2019 तक जम्मू-कश्मीर प्रदेश का अधिसंख्य समाज कश्मीर के नेतृत्व वाली सरकार की कश्मीर-केंद्रित भेदभावपूर्ण नीति का शिकार रहा था. यह भेदभाव विकास-योजनाओं से लेकर लोकतांत्रिक भागीदारी तक और SC, ST और  OBC के संवैधानिक अधिकारों तक व्याप्त था. इसी के चलते जम्मू-कश्मीर में बसे हुए लाखों दलितों विशेषकर वाल्मीकि समाज, पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों, गोरखाओं और पीओके के विस्थापितों को सम्मान, समान अवसर और मतदान जैसे मूल अधिकार और सुविधाएं से वंचित रखा गया था. अब उन्हें बराबरी का हक मिला है.

Advertisment

publive-image

अनुच्छेद 370 और धारा 35Aकी समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर के वर्षों से उपेक्षित वंचित वर्गों को न्याय देने की परियोजना प्रारंभ हुई है. बाबा साहब अम्बेडकर का यह स्वप्न देश के अन्य भागों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी साकार हो रही है. जम्मू-कश्मीर में अधिकारों से वंचित बहनों-बेटियों को न्याय मिला है. इससे पहले जिनका विवाह प्रदेश से बाहर हो जाता था, उन्हें उनके जन्मजात अधिकारों तक से वंचित कर दिया जाता था. स्वाधीन भारत में लैंगिक भेदभाव का यह शर्मनाक उदाहरण था. हमारे सभी संविधान-निर्माताओं ने संविधान बनाते समय ‘एक व्यक्ति-एक मत’का प्रावधान करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका से भी पहले महिलाओं को मताधिकार देकर दूरदर्शिता, प्रगतिशीलता और लोकतांत्रिक मूल्यों में गहरी आस्था का परिचय दिया था. किसी भी प्रकार के भेदभाव के विरुद्ध स्वतंत्रता, समानता और बंधुता ही उनके मार्गदर्शक सिद्धांत थे. अब वे भी समान अधिकार की हकदार हो गयी हैं.

publive-image

पिछले 2 वर्षों की अल्पावधि में ही जम्मू-कश्मीर में ज़मीनी बदलाव नज़र आने लगा है. 28 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद यहां पिछले साल से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह लागू हो गयी है. स्थानीय निकायों को वे सभी अधिकार और संसाधन मिल गये हैं जो देशभर में मिलते हैं.  जम्मू-कश्मीर में ST वर्ग (गुज्जर बक्करवाल, गद्दी, सिप्पी आदि) को राजनीतिक आरक्षण का लाभ मिला है, जिससे इस वर्ग के विकास के रास्ते खुले हैं. ग्राम पंचायत, क्षेत्र विकास परिषद् और जिला विकास परिषद् चुनावों के माध्यम से ज़मीनी लोकतंत्र में STवर्ग की उल्लेखनीय भागीदारी हुई है. 

publive-image
जम्मू-कश्मीर में नयी सुबह हुई है और अनेक सकारात्मक बदलावों की शुरुआत हुई है . डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी,  प्रेमनाथ डोगरा, महाराजा हरिसिंह, ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह और ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान जैसे महान सपूतों के संघर्ष और त्याग के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर की एकात्मता और विकास का सपना साकार हो सका है. कश्मीर में “एक विधान, एक निशान, सबको समता और सम्मान” की मांग पुरानी है. देश के नीति-नियंताओं ने न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में इसे लागू किया था. अब लाल चौक पर तिरंगा फहरा रहा है.

publive-image

ई-फाइलिंग के जरिये अर्धवार्षिक ‘दरबार-मूव’ की भारी-भरकम और खर्चीली कवायद को समाप्त किया गया है. शासन-प्रशासन को जवाबदेह और संवेदनशील बनाया जा रहा है. विभिन्न कार्यों के समयबद्ध निपटारे और समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए ‘सिटिजंस चार्टर’ लागू किया गया है. इससे निष्क्रिय और टालू सरकारीकर्मी हरकत में आ रहे हैं. सरकारी नौकरियों, मेडिकल, इंजीनियरिंग और प्रबंधन जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और विकास-योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और भेदभाव की भी समाप्ति की जा रही है. 

publive-image

नयी औद्योगिक नीति लागू होने और निवेशक सम्मेलनों के आयोजन से स्थानीय लोगों को रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने की शुरुआत हुई है। साथ ही, नई भाषा नीति लागू करके अधिसंख्य जम्मू-कश्मीरवासियों की मातृभाषाओं-डोगरी, कश्मीरी और हिंदी को राजभाषा (शासन-प्रशासन की भाषा) का दर्जा देकर स्थानीय लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का काम हुआ है. अभी तक आतंकवाद और भेदभाव के शिकार रहे पर्यटन उद्योग को पुनः विकसित किया जा रहा है. हाल तक उपेक्षित और नज़रंदाज़ किये गए पर्यटन-स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इस श्रृंखला में जम्मू-कश्मीर शासन और तिरुपति तिरुमल देवस्थानम् के संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप श्री वेंकटेश्वर भगवान के भव्य मंदिर का निर्माण, देविका नदी और शिवखोड़ी गुफा जैसे पवित्र-स्थलों का पुनरुद्धार किया जा रहा है.

publive-image

HIGHLIGHTS

  • धारा-370 हटने के बाद कश्मीर में  हो रहा चहुंमुखी विकास
  • राज्य से बाहर के पुरुषों से विवाह करने वाली लड़कियों को मिला संपत्ति का अधिकार
  • लाल चौक पर फहराया तिरंगा झंडा, दरबार मूव को किया बंद

Source : News Nation Bureau

Article 370 amit shah Valley of Jammu and Kashmir PM Narendra Modi
      
Advertisment