जल संकटः आज चेन्नई, कल आपके घरों के नल सूखे रहेंगे, जानें क्यों..
देश के कई इलाक़ों से पानी को लेकर झड़पों की ख़बरें भी सूनने को मिल रहे हैं. दक्षिणी भारत के कुछ इलाक़ो में लोगों को औसतन सात-आठ किलोमीटर तक पानी लेने के लिए जाना पड़ रहा है.
नई दिल्ली:
देश के कई हिस्सों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है. भारत के कई राज्यों में दिनोंदिन जल संकट (water crisis) गहराता जा रहा है. पानी के स्रोत सूखे पड़े हैं. देश के कई इलाक़ों से पानी को लेकर झड़पों की ख़बरें भी सुनने को मिल रहे हैं. सच पूछें तो भविष्य में आपके घरों के नल एक-एक बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे.इसकी झलक अभी से दिखनी शुरू हो गई है. दक्षिणी भारत के कुछ इलाक़ो में लोगों को औसतन सात-आठ किलोमीटर तक पानी लेने के लिए जाना पड़ रहा है. अभी सिर्फ चेन्नई ही जल संकट से जूझ रहा है, लेकिन देश में जिस तरह के हालात हैं और जलाशय, पोखरे और नदियां सूखती जा रही हैं, उससे तो यही लगता है कि कई अन्य शहर भी जल्द ही सूखे और प्यास की चपेट में आ जाएंगे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडू के चेन्नई में 65 फ़ीसदी तक रेस्त्रां जल संकट से प्रभावित हैं और यकीन मानिए अगर ऐसा ही रहा तो इस देश में पानी के लिए खून बहेगा. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के दूसरे कार्यकाल में पानी के लिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है. पीएम मोदी ने वादा किया है कि वह साल 2024 तक देश के गांव के हर घर में पानी पहुंचाएंगे. फिलहाल आइए पहले ये जान लें कि कितना विकराल होता जा रहा है ये संकट....
देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में एक प्रतिशत की कमी
जल शक्ति मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट
- 13 जून, 2019 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 29.189 बीसीएम जल संग्रह हुआ.
- इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 18 प्रतिशत है.
- 06 जून, 2019 को समाप्त सप्ताह में जल संग्रह 19 प्रतिशत के स्तर पर था.
- 13 जून, 2019 को समाप्त सप्ताह में यह संग्रहण साल 2018 की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 104 प्रतिशत तथा बीते दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 101 प्रतिशत है.
- इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है.
- इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली लाभ देते हैं.
इन शहरों में जल संकट
दिल्ली
- दिल्ली के एक बड़े इलाके में भूजल स्तर 40-80 मीटर तक चला गया है.
- दिल्ली के भूगर्भ में 13,491 मिलियन क्यूसेक मीटर (एमसीएम) पानी मौजूद है.
- इसमें से 10,284 एमसीएम पानी लवण व रसायन युक्त है सिर्फ 3207 एमसीएम पानी ही साफ है.
- दिल्ली में हर साल 392 एमसीएम भूजल का दोहन होता है जबकि मात्र 287 एमसीएम पानी ही रिचार्ज किया जाता है.
- भूजल के स्टॉक से हर साल 105 एमसीएम पानी अधिक दोहन हो रहा है.
- सप्लाई वॉटर का 60 प्रतिशत पानी यमुना से आता है.
- दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार दिल्ली को 3,859 मिलियन लीटर पानी हर दिन की ज़रूरत है.
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने एनजीटी में एक रिपोर्ट पेश किया, जिसके मुताबिक, वर्ष 2000 तक दिल्ली के करीब 27 फीसद इलाके में भूजल स्तर पांच मीटर तक था. 17 सालों में अब करीब 11 फीसद इलाका ही ऐसा बचा है जहां जमीन के अंदर पांच मीटर की गहराई तक पानी उपलब्ध है.
गुड़गांव
- शहर को 90 एमजीडी पानी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 80 एमजीडी मिलता है.
- बीते 10 वर्षों में भूजल स्तर 80 फीसदी तक नीचे जा चुका है.
- बीते पांच वर्षों में भूजल स्तर 3 मीटर तक नीचे गिरा है.
कोलकाता
- पश्चिम बंगाल के 44 प्रतिशत लोग 21वीं सदी में भी आर्सेनिक रूपी जहर युक्त पानी पीने को मजबूर हैं.
- कोलकाता के अलग अलग इलाक़ों में भू जलस्तर 5 -16 मीटर तक नीचे जा चुका है.
- पीने के पानी की सप्लाई का 25 से 30 फीसदी भूमिगत पानी से आता है.
- राज्य के 8 जिलों के 68 ब्लॉक का भू-जल आर्सेनिक प्रदूषित है.
- मालदह, मुर्शिदाबाद, नदिया, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना , बर्दवान, हावड़ा और हुगली जिले के 68 ब्लॉक के भू-जल में निर्धाति मानक से अधिक आर्सेनिक है. आंकड़ों के मुताबिक, उक्त इलाके की आबादी 63 लाख है.
- यहां भू-जल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से तय मानक 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से काफी अधिक मात्रा में (0.05-3.2 मिलीग्राम)आर्सेनिक है.
चेन्नई
- चेन्नई देश के उन मेट्रो शहरों में से एक हैं जहां पानी की आपूर्ति सिर्फ भू-जल से किया जाता है.
- चेन्नई को रोज़ाना 830 MLD (million litres per day) पानी की ज़रूरत है.
- चेन्नई को 550 MLD पानी ही सप्लाई मिल पा रहा है.
- चेन्नई में भू जल का स्तर पिछले कुछ सालों में 7 मीटर नीचे जा चुका है.
- चेन्नई में कुल 88 बड़े जलाशय हैं , जिनमें 70 फीसदी सूख चुके हैं.
लखनऊ
- आधे लखनऊ में भूजल स्तर 40 मीटर से नीचे पहुंचा
- अस्सी-नब्बे के दशक में शहर में भूजल 10 मीटर की गहराई तक मिल जाता था.
- शहर के कई इलाकों में भूजल स्तर आज 50 मीटर की गहराई तक पहुंच गया है.
- शहर के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 45 फीसद भाग में भूजल स्तर की गहराई 30 से 50 मीटर तक पहुंच चुकी है, जो भू-पर्यावरणीय खतरे का संकेत है.
- बीते 10-15 वर्षों में ही कई क्षेत्रों में भूजल स्तर में 12 से 18 मीटर तक की भारी गिरावट देखी गई है, जिसमें लगातार इजाफा होता रहा है.
बेंगलुरु
- 2020 तक भारत की सिलिकन वैली बेंगलुरु बहुत जल्द भारत का केपटाउन भी बनने वाली है
- केपटाउन में लोगों के पीने का पानी ख़त्म हो चुका है
- बेंगलुरु भारत का पहला ऐसा शहर बन जाएगा जहां बिलकुल पानी नहीं बचेगा
- बेंगलुरु का भूजल स्तर पिछले दो दशक में 10-12 मीटर से गिर कर 76-91 मीटर तक जा पहुंचा है.
- कहीं कहीं तो जमीन से 1500 फीट से नीचे जाने पर भी पानी नहीं मिलता.
- शहर में बोर-वेल की संख्या तीस साल में पांच हजार से बढ़कर 4.5 लाख हो गयी है.
- शहर के करीब 1 करोड़ लोग बोरवेल और टैंकर्स पर निर्भर करते है.
महराष्ट्र
- भूजल सर्वेक्षण विभाग के सर्वे के मुताबिक, अप्रैल माह में राज्य के 10 हजार 366 गांवों में भूगर्भ जलस्तर बेहद कम हो गया है. इनमें से 2100 गांव में बेहद खराब स्थिति है.
- 5640 गांवों में भूजल स्तर 1 से 2 मीटर तक नीचे गया है, जबकि 2556 गांवों में 2 से 3 मीटर नीचे तथा 2170 गांवों में 3 मीटर से अधिक नीचे चला गया है.
राज्यवार भूजलस्तर की स्थिति
- 2 अगस्त 2018 को लोकसभा में दिए जवाब के मुताबिक, 2008 से 2017 के दौरान प्री मानसून भूगर्भ जल स्तर में गिरावट दर्ज किया गया.
- देश भर के 52 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट किया गया.
- यूपी के 83 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट
- बिहार के 57 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट
- मध्य प्रदेश के 59 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट
- महाराष्ट्र के 53 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट
- गुजरात के 53 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट
- हिमाचल के 76 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट
- उत्तराखंड के 71 फीसदी कुएं के जल स्तर में गिरावट
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की रिपोर्ट
- जनवरी 2014 के दौरान भारत में भूजल स्तर परिदृश्य- उप-हिमलायी क्षेत्र, गंगा नदी के उत्तरी क्षेत्र, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओड़ीसा, त्रिपुरा एवं तटीय तमिलनाडू में समान्यतः जल स्तर की गहराई 2-5 मीटर भूतल से नीचे (एमबीजीएल) के मध्य है.
- महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश ,असम , उत्तरी उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश ,गुजरात एवं ओड़ीशा के अलग-थलग टुकड़ो में 2 एमबीजीएल से कम उथले जल स्तर पाये गए.
- उत्तर पश्चिम राज्यों के मुख्य भागों में जलस्तर की गहराई समान्यतया 10-40 एमबीजीएल के मध्य है.
- देश के पश्चिमी भागों में 20-40 एमबीजीएल गहरा एवं 40 एमबीजीएल से अधिक गहरा जल स्तर रिकॉर्ड किया गया.
- दिल्ली एवं राजस्थान के कुछ भागों में जल स्तर 40 एमबीजीएल से अधिक रिकॉर्ड किया गया.
- पूर्वी एवं पश्चिमी तट के साथ-साथ जलस्तर समान्यतया 10 एमबीजीएल से नीचे है.
- पश्चिम बंगाल के मध्य भाग में जल स्तर 5-10 एमबीजीएल अनयथा 10-20 एमबीजीएल के मध्य रिकॉर्ड किया गया.
- मध्य भारत मे जल स्तर समान्यतया 2 एमबीजीएल से 5 एमबीजीएल के मध्य है, कुछ छिट-पुट पाकेटों में जलस्तर 10 एमबीजीएल के नीचे पाया गया.
- देश के प्रायद्वीपीय भागों में जल स्तर 5 से 20 एमबीजीएल के मध्य आँका गया है.
कुओं के जलस्तर
- 7607 कुओं अर्थात लगभग 62% कुओं के जल स्तर में वृद्धि हुई है. इनमें से 46% कुओं में 2 मीटर से कम की वृद्धि, लगभग 11% कुओं के जलस्तर में 2-4 मीटर वृद्धि और लगभग 5% कुओं में 4 मीटर से अधिक की वृद्धि पायी गयी.
- 4618 कुओं अर्थात लगभग 38% कुओं के जलस्तर में गिरावट आई है. इनमे से 28% कुओं मे 0-2 मीटर की गिरावट, 5% कुओं के जल स्तर में 2-4 मीटर की गिरावट एवं शेष 2% कुओं में 4 मीटर से अधिक की गिरावट पायी गयी.
- जलस्तर में 4 मीटर से अधिक की गिरावट मुख्यतः दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान एवं तमिलनाडू में पायी गयी.
- जल स्तर मे 4 मीटर से अधिक वृद्धि मुख्य रूप से आंध्रप्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश में पायी गयी.
- भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1990 से 2000 के दौरान में भूजल स्तर 120 फीट था. यह वर्ष 2010 में 360 फीट पर पहुंच गया. और अब तो जिले में 600 फीट गहरा नलकूप खनन करने पर पानी मिलता है.
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