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ViZag Gas Tragedy: 5 हजार टन के दो टैंक से रिसी जहरीली गैस, आधा दर्जन गांव प्रभावित

इस दुर्घटना ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) की याद दिला दी है. गैस 5,000 टन के दो टैंकों से लीक हुई, जिसकी चपेट में पांच किमी के दायरे में स्थित आधा दर्जन गांव के कई हजार लोग आ गए हैं.

Updated on: 07 May 2020, 01:16 PM

highlights

  • इस दुर्घटना ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी.
  • 5 किमी के दायरे में आधा दर्जन गांव के हजारों लोग प्रभावित.
  • सड़कों पर भी जो जहां था, वहीं गिर पड़ा. मवेशी भी मारे गए.

नई दिल्ली:

आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विजाग में गुरुवार तड़के एक केमिकल यूनिट में गैस रिसाव (Gas Leak) ने भोपाल गैस त्रासदी का भयावह मंजर ताजा कर दिया. खबर लिखे जाने तक जहरीली गैस (Poisonous Gas) के रिसाव से एक नाबालिग सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी और 70 से अधिक लोग बेहोश हैं. गैस से प्रभावितों का आंकड़ा कई हजार में है. इस गैस रिसाव की जद में आसपास के कई किलोमीटर का दायरा आया है, जिसकी चपेट में आधा दर्जन गांव आए हैं. इस दुर्घटना ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) की याद दिला दी है. गुरुवार तड़के आरआर वेंकटपुरम में सुबह का नजारा दिल दहलाने वाला था. सड़क पर, नालों में लोग बेहोश पड़े हुए थे.

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सोते लोगों पर हुआ गैस का असर
गैस 5,000 टन के दो टैंकों से लीक हुई. यह फैक्ट्री मार्च से कोरोना लॉकडाउन के कारण बंद थी. इसके चलते केमिकल रिएक्शन हुआ और टैंकों के अंदर गर्मी बनी जिसकी वजह से रिसाव हुआ. गैस रिसाव के समय आसपास के क्षेत्रों में लोग अपने घरों में सो रहे थे. तभी अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ, भयानक खुजली और आंखों में जलन महसूस होनी शुरू हुई. सुबह कई स्थानों पर जहां एक ओर लोग बेहोश पड़े दिखे, तो वहीं सड़क किनारे मृत मवेशी भी नजर आए. बच्चों को कंधे पर रखकर घबराए लोग अस्पतालों की ओर भागते दिखे. कोरोना लॉकडाउन की वजह से घटना की जानकारी आसपास के लोगों को देर से मिली और इसी कारण राहत का काम भी देर से शुरू हुआ.

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5 किमी के दायरे में दहशत
जिस जगह पर गैस लीक हुई, उसके 5 किलोमीटर के दायरे में दहशत फैल गई. सड़कों पर लोग बेसुध पड़े हुए मिले. कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी तो कई शरीर पर चकत्ते पड़ने और आंखों में जलन की शिकायत कर रहे थे. टीवी फुटेज में मोटरसाइकल सवारों को उस पर गिरते हुए देखा जा सकता है. असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर स्वरूप रानी के मुताबिक पुलिस बल तुरंत मौके पर पहुंचा. उस वक्त हवा में गैस को महसूस किया जा सकता था और किसी के लिए भी वहां 5 मिनट या उससे कुछ मिनट ज्यादा समय तक टिकना संभव नहीं था.

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एथनीलबेन्जीन या स्टीरीन गैस लीक
लीक हुई रासायनिक गैस को स्टीरीन या एथनीलबेन्जीन कहते हैं. यह सिन्थेटिक केमिकल है, जो रंगहीन तरल के रूप में दिखती है. काफी समय तक इस गैस को रखा जाए तो यह हल्के पीले रंग की दिखती है. स्टीरीन बहुत ही ज्वलनशील होती है और जब यह जलती है तो बहुत ही जहरीली गैस छोड़ती है. होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के पूर्व निदेशक डॉक्टर डी रघुनाथ राव के मुताबिक स्टीरीन का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पॉलिस्टिरीन प्लास्टिक बनाने में किया जाता है.

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बहुत खतरनाक है यह गैस
इस गैस की चपेट में आने से सेंट्रल नर्वस सिस्टम बुरी तरह खराब हो सकता है. सुनने की क्षमता भी खत्म हो सकती है और दिमागी संतुलन खत्म हो सकता है. बाहरी वातावरण में आने के बाद स्टीरीन ऑक्सिजन के साथ आसानी से मिल जाती है. नतीजतन हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है. इसके संपर्क में आने के बाद लोगों के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और वे घुटन महसूस करने लगते हैं. यह गैस बाद में दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर भी असर डालती है. इस वजह से गैस के संपर्क में आने वाले स्थानीय लोग सड़कों पर इधर-उधर गश खाकर गिर पड़े. कुछ डॉक्टरों ने बताया कि स्टीरीन न्यूरो-टॉक्सिन गैस है, जिसके संपर्क में आने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है. इससे 10 मिनट के भीतर प्रभावित व्यक्ति की मौत हो सकती है.

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तड़के रात ढाई बजे हादसा
गौरतलब है कि गोपालपट्टनम के पास आरआर वेंकटपुरम में स्थित एलजी पॉलिमर यूनिट में गुरुवार तड़के करीब 2.30 बजे गैस रिसाव के कारण आस-पास के पांच गांव गैस रिसाव के चलते प्रभावित हुए हैं. गैर रिसाव से विशाखापट्टनम की गलियों और अस्पतालों में लोग दहशत में नजर आए. सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत के बाद लोगों को विभिन्न अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. भर्ती हुए मरीजों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं. गैर रिसाव की वजह से घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे 7 हजार 500 के करीब लोगों के लिए भोजन सहित अन्य सभी व्यवस्था की गई है.