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उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल विस्तार पर परिवारवाद रहा हावी, बीजेपी ने उठाए थे इस पर सवाल

इस मंत्रिमंडल विस्तार में सूबे की राजनीति के समीकरणों के लिहाज से कई नाटकीय बदलाव देखने में आए. हालांकि सबसे ज्यादा ध्यान जिसने खींचा, वह रहा परिवारवाद का साया.

Updated on: 30 Dec 2019, 06:50 PM

highlights

  • ताजा विस्तार के बाद महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में कुल 43 मंत्री हो गए.
  • पिता के किसी राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए उसके बेटे को मंत्रिमंडल में जगह.
  • एनसीपी और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटी भी मंत्रिमंडल में.

नई दिल्ली:

उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 32 दिनों बाद अंततः बहुप्रतिक्षित पहला मंत्रिमंडल विस्तार हो गया. शिवसेना सरकार को समर्थन दे रही एनसीपी-कांग्रेस के बीच लंबी माथापच्ची के बाद कैबिनेट विस्तार में शामिल होने वाले मंत्रियों के नामों पर मुहर लगी और 36 विधायकों ने सोमवार को मंत्री पद की शपथ ली. ताजा विस्तार के बाद उद्धव सरकार में कुल 43 मंत्री हो गए हैं. इस मंत्रिमंडल विस्तार में सूबे की राजनीति के समीकरणों के लिहाज से कई नाटकीय बदलाव देखने में आए. हालांकि सबसे ज्यादा ध्यान जिसने खींचा, वह रहा परिवारवाद का साया. दशकों तक बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना संभवतः 'सत्ता का संतुलन' साधने में भूल गई कि बीजेपी ने तमाम अन्य मसलों के साथ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 'परिवारवाद' के नाम पर ही सबसे ज्यादा घेरा था.

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शिवसेना सरकार में पिता सीएम बेटा मंत्री
इस मंत्रिमंडल विस्तार का सबसे बड़ा चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि पिता के किसी राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए उसके बेटे को मंत्रिमंडल में जगह दी गई. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने 29 वर्षीय सुपुत्र और वर्ली से विधायक आदित्य ठाकरे को भी कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई. चर्चा है कि आदित्य को प्रधानमंत्री कार्यालय की तर्ज पर महाराष्ट्र में बनाए जा रहे सीएमओ यानी मुख्यमंत्री कार्यालय विभाग का जिम्मा सौंपा जाएगा. ऐसी चर्चा है कि भविष्य की राजनीति के लिए उनकी तैयारी के लिए सीएमओ का गठन किया जा रहा है ताकि वह राजनीति के खासकर गठबंधन सरकार के दांव-पेंच से अच्छे से वाकिफ हो जाएं.

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एनसीपी में चाचा-भतीजा
अब बात करते हैं एनसीपी की. शरद पवार के भतीजे अजित पवार महीने भर में दो अलग-अलग सरकारों में दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बनने वाले संभवतः पहले विधायक देश में होंगे. हालांकि वह सूबे की राजनीति में चौथी बार डिप्टी सीएम बने हैं. बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही अजित पवार ने भी उनके साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. एनसीपी ने उद्धव ठाकरे सरकार में भी इसी पद से उन्हें उपकृत किया. गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे को भी मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिली है. गौर करने वाली बात यह है कि धनंजय ने हालिया विधानसभा चुनाव में गोपीनाथ मुंडे की बेटी और अपनी चचेरी बहन पंकजा मुंडे को ही हराया था. उद्धव ठाकरे ने अदिति तटकरे को भी मंत्रिपरिषद में जगह दी है. सुनील तटकरे की जगह इस बार श्रीवर्धा से चुनाव लड़ी अदिति के लिए पहली बार विधायक बनते ही मंत्री पद किसी तोहफे से कम नहीं.

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कांग्रेस सत्ता के लिए कुछ भी करेगी
कांग्रेस ने तो एक बार फिर जाहिर कर दिया है कि सत्ता के लिए वह कुछ भी कर सकती है. महाराष्ट्र कांग्रेस में बड़ा कद रखने वाले शंकरराव चव्हाण के सुपुत्र और आदर्श घोटाले में सूबे की मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले अशोक चव्हाण शिवसेना के उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री बने हैं. आदर्श घोटाला सामने आने के बाद शिवसेना ने सबसे ज्यादा तीर अशोक चव्हाण सरकार पर चलाए थे. यह अलग बात है कि उन 'घावों की टीस' भूलकर अशोक चव्हाण शपथ ग्रहण के बाद उद्धव ठाकरे से हाथ मिलाते नजर आए. इसी तरह एक और कांग्रेसी मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के सुपुत्र और लातूर से विधायक चुने गए अमित देशमुख भी सरकार में मंत्री बने हैं. इसी तरह कांग्रेस के ही दिग्गज नेता एकनाथ गायकवाड की सुपुत्री वर्षा गायकवाड, तो पतंगराव कदम के सुपुत्र विश्वजीत कदम भी उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल के चेहरे बने.

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बीजेपी ने परिवारवाद का नारा दे घेरा था कांग्रेस को
गौर करने वाली बात तो यही है कि परिवारवाद का यह खेल शिवसेना की उद्धव ठाकरे की गठबंधन सरकार में जमकर खेला गया. उस शिवसेना की सरकार में जो अपने दशकों पुराने साथी बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को परिवारवाद के नाम पर भी कोसती नजर आई थी. इसे संभवतः गठबंधन सरकार की मजबूरी कहेंगे कि उन्हें अपने पुराने शत्रुओं से न सिर्फ हाथ मिलाना पड़ा, बल्कि उन मुद्दों को भी तजना पड़ा, जो कभी शिवसेना की पहचान से जुड़े हुए थे. कम से कम पहले मंत्रिमंडल विस्तार में परिवारवाद के हावी होने और इसके पहले वीर सावरकर समेत नागरिकता कानून पर शिवसेना का यू-टर्न तो यही कहता है कि राजनीति उद्धव ठाकरे से भी 'त्याग' मांग रही है.