महाराष्‍ट्र की सियासत में 'ढाई' का फेर, बीजेपी- शिवसेना में पड़ी दरार तो एनसीपी ने कर दी देर

24 अक्‍टूबर 2019 को महाराष्‍ट्र की जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्‍पष्‍ट जनादेश दिया लेकिन 'ढाई' के फेर में लोकतंत्र के नुमाइंदे कठघरे में हैं.

24 अक्‍टूबर 2019 को महाराष्‍ट्र की जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्‍पष्‍ट जनादेश दिया लेकिन 'ढाई' के फेर में लोकतंत्र के नुमाइंदे कठघरे में हैं.

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Drigraj Madheshia
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महाराष्‍ट्र की सियासत में 'ढाई' का फेर, बीजेपी- शिवसेना में पड़ी दरार तो एनसीपी ने कर दी देर

'ढाई' के चक्‍कर में बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस बने घनचक्‍कर( Photo Credit : न्‍यूज स्‍टेट)

Maharashtra Latest news, ajit pawar Latest news, Sharad pawar Latest news: 24 अक्‍टूबर 2019 को महाराष्‍ट्र की जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्‍पष्‍ट जनादेश दिया लेकिन 'ढाई' के फेर में लोकतंत्र के नुमाइंदे कठघरे में हैं. महाराष्‍ट्र की सियासत में इस बार 'ढाई' जहां बीजेपी के लिए कांटा बन गया वहीं शिवसेना के लिए अवसर. यही 'ढाई' एनसीपी के लिए भी एक अवसर बनकर उभरा, लेकिन देर हो गई. बाजी मार ली महाराष्‍ट्र के चाणक्‍य कहे जाने वाले शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने. लेकिन सबकुछ इतना आसान नहीं था जितना भतीजे ने समझ रखा था. 'ढाई' के चक्‍कर में बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस घनचक्‍कर बने हुए हैं.

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महाराष्ट्र चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान दरअसल यह 'ढाई' नेपथ्‍य में था, लेकिन जैसे ही 24 अक्‍टूबर को चुनाव के नतीजे आए, अचानक से यह 'ढाई' एक कांटा बनकर देवेंद्र फडणवीस की राह में खड़ा हो गया. ढाई अक्षर वाले सत्‍ता और शक्‍ति के मोह ने बीजेपी-शिवसेना की करीब 3 दशक पुरानी दोस्‍ती में दरार डाल दी. ढाई-ढाई साल मुख्‍यमंत्री की शर्त जब शिवसेना ने बीजेपी के सामने रखा तो ढाई अक्षर वाला प्रेम दोनों के बीच कड़वाहट में बदल गया. ढाई अक्षर वाली कुर्सी के लिए दोनों दलों में कड़वाहट पहले दरार और बाद में इतनी बड़ी खाई में तब्‍दील हो गई कि दोनों दलों की राहें जुदा हो गई.

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शिवसेना येन-केन-प्रकारेण सीएम पद चाहती थी लिहाजा उसने कट्टर हिंदुत्‍व का चोला उतारना पड़ा हाथ मिला लिया एनसीपी और कांग्रेस से. खेमा बदल गया लेकिन किस्‍मत नहीं बदली, यहां भी ढाई फिर अड़ गया कांटे की तरह. जो ढाई-ढाई साल सीएम की रट शिवसेना लगा रही थी वही मांग एनसीपी ने 20 नवंबर को शिवसेना और कांग्रेस के सामने रख दी. यानी ढाई साल सीएम शिवसेना का, ढाई साल सीएम एनसीपी का और डिप्‍टी सीएम का पद कांग्रेस को. 'ढाई' मुख्‍यमंत्री वाले इस फार्मूले पर बात चल ही रही थी 22 नवंबर को एक और फार्मूला आ गया. सीएम के लिए उद्धव ठाकरे नाम पर मुहर लगी और अगले दिन यानी 23 नवंबर को राज्‍यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने की बात सामने आई.

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लेकिन देखिए 'ढाई' अक्षर वाली सत्‍ता, इच्‍छा, कुर्सी और शक्ति का ऐसा मेल हुआ कि 23 नवंबर की सुबह के अखबारों की हेलाइन झूठी साबित होने लगीं. टीवी और डिजिटल मीडिया में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी के विधायक दल के नेता अजित पवार ने डिप्‍टी सीएम पद की शपथ ले ली. सुबह 8 बजे शपथ ग्रहण के ढाई घंटे बाद ही प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कह दिया कि बीजेपी से हाथ मिलाने का फैसला अजित पवार का निजी था.

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शाम तक अजित पवार को एनसीपी के विधायक दल के नेता की पदवी छीन ली गई और 23 नवंबर की रात मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. 25 नवंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया और मंगलवार को 10:30 बजे सुनाएगा. यानि करीब-करीब ढाई दिन बाद यह तय हो जाएगा कि फ्लोर टेस्‍ट कब होगा. कोर्ट में जब सुनवाई चल रही थी करीब-करीब उसी समय शिवसेना नेता संजय राउत ने मीडिया की खबरों के आधार पर एक नया दावा किया कि बीजेपी ने अजित पवार को ढाई साल सीएम पद का लालच देकर अपने पाले में किया है.

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अभी राउत के बयान आए ही थे कि ढाई के फेर के बारे में बड़ा खुलासा खुद एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कर दिया. सतारा में एनसीपी चीफ शरद पवार ने पहली बार खुलासा करते हुए कहा कि हमने शिवसेना से ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद की मांग की थी, लेकिन इस मसले पर मतभेद था और कोई सहमति नहीं बन पाई.

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क्रिकेट में टेस्‍ट की बोरियत दूर करने के लिए 50-50 का मैच शुरू हुआ तो दर्शकों से स्‍टेडियम भर गए. 50-50 से मन भरने लगा तो 20-20 शुरू हुआ लेकिन महाराष्‍ट्र की सियसत की पिच पर ढाई-ढाई का जो मैच चल रहा है उससे महाराष्‍ट्र के लोगों पर अच्‍छा-बुरा जो भी प्रभाव पड़ना है, वो तो पड़ ही रहा है, लेकिन देश की जनता को मजा भरपूर मिल रहा है.

Source : दृगराज मद्धेशिया

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