संविधान, ईश्वर, धर्मग्रंथ या नेताओं का नाम, कैसे-क्यों होता है शपथ ग्रहण
डीएमके के संस्थापक और प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में एक सीएन अन्नादुरई का नाम ज्यादातर पार्षदों के शपथ पत्र में नहीं था. एआईएडीएमके के एक पार्षद ने चेन्नई में शपथ लेते हुए एमजीआर (एमजी रामचंद्रन) की फिल्म का एक गाना गुनगुनाया.
highlights
- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को दो बार शपथ लेनी पड़ी थी
- राबड़ी देवी, तेजप्रताप यादव और इमरती देवी की शपथ की होती है चर्चा
- तीसरी अनुसूची में संघ और राज्य के मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ
New Delhi:
लोकतांत्रिक देश में चुनाव प्रक्रिया चलती ही रहती है. चुनाव के बाद नए चुने गए जनप्रतिनिधि विधिवत शपथ ग्रहण करते हैं. शपथ ग्रहण समारोह (Oath Ceremony) आम तौर पर कार्यभार संभालने से पहले की अहम संवैधानिक प्रक्रिया होती है. हाल ही में संपन्न तमिलनाडु स्थानीय निकाय चुनाव (TN Local Bodies Election) में चुने गए पार्षदों ने एक नई परंपरा की शुरुआत कर दी है. यह पहले से चली आ रही व्यवस्था से ठीक अलग और अनोखी है. ईश्वर की शपथ और पद निर्वहन के लिए कर्तव्यनिष्ठा के अलावा इन पार्षदों की शपथ का मजमून अपनी पार्टी के नेताओं के नाम पर था.
अभी तक देश, राज्य और स्थानीय निकायों में लोगों की सेवा के साथ ही पद और गोपनीयता की शपथ एक तय प्रारूप (Set Format) में होती है. यह बदली नहीं जाती है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कोएक शब्द में हेरफेर की वजह से जनवरी 2009 में दो बार शपथ लेनी पड़ी थी. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने पर 2015 में राष्ट्रीय जनता दल के विधायक तेज प्रताप यादव को उपेक्षित और अपेक्षित शब्द को लेकर राज्यपाल के टोकने पर शपथ दोहराना पड़ा था. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार में मंत्री इमरती देवी या उसके पहले बिहार में ही राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की भी काफी चर्चा रही थी.
जयललिता, करुणानिधि, स्टालिन और उदयनिधि की याद
दूसरी ओर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 200 नवनिर्वाचित पार्षदों के शपथ ग्रहण के लिए लिए एक भव्य समारोह आयोजित किया गया. इस दौरान करुणानिधि परिवार के युवा चेहरे और सीएम एमके स्टालिन के पुत्र उदयनिधि स्टालिन का नाम लेते हुए शपथ ली गई. ज्यादातर डीएमके पार्षदों ने ऐसी शपथ ली. उनकी स्क्रिप्ट की शुरुआत में कहा गया, 'पार्टी के पूर्व नेता कलैगनार करुणानिधि, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और यूथ विंग के नेता उदयनिधि स्टालिन को मेरा आभार.' वहीं केके कन्नन और एन सेल्वराज जैसे युवा पार्षदों ने उदयनिधि के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए शपथ ली.
नहीं गूंजा डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुरई का नाम
दिलचस्प बात यह है कि डीएमके के संस्थापक और प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में एक सीएन अन्नादुरई का नाम ज्यादातर पार्षदों के शपथ पत्र में नहीं था. एआईएडीएमके के एक पार्षद ने चेन्नई में शपथ लेते हुए एमजीआर (एमजी रामचंद्रन) की फिल्म का एक गाना गुनगुनाया. कोयंबटूर में एक कांग्रेस पार्षद ने अन्नाई इंदिरा (इंदिरा गांधी) के नाम की शपथ ली. डीएमके के एक पार्षद ने कलैगनार (करुणानिधि का प्रचलित नाम) और मंत्री सेंथिल बालाजी का नाम बोलते हुए शपथ ली. मदुरै में बहुत से पार्षदों ने अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन के लिए करुणानिधि, जयललिता, राहुल गांधी और एमके स्टालिन का नाम लेते हुए शपथ की स्क्रिप्ट पढ़ी.
शब्दों की हेरफेर के चलते ओबामा ने दोबारा पढ़ी थी शपथ
अमेरिका में साल 2009 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को एक शब्द की गलती की वजह से शपथ दोबारा पढ़नी पड़ी थी. पहले दिन ओबामा ने शपथ लेते हुए कहा, 'मैं पूरी ईमानदारी के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति के ऑफिस का कार्यभार निभाऊंगा (I will faithfully execute the office of president of the United States).' बाद में उन्होंने इसमें सुधार करते हुए शपथ में कहा, 'मैं अमेरिका के राष्ट्रपति के ऑफिस का कार्यभार पूरी ईमानदारी के साथ निभाऊंगा (I will execute the office of president to the United States faithfully).'
बिहार और मध्य प्रदेश में भी चर्चा में रहा शपथ ग्रहण
साल 2015 में लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव पहली बार विधायक बनने के बाद मंत्री पद की शपथ ले रहे थे. उन्होंने 'अपेक्षित' को 'उपेक्षित' पढ़ दिया था. तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ध्यान से उच्चारण सुन रहे थे. उन्होंने तेजप्रताप को टोक दिया और दोबारा शपथ शुरू से पढ़वाया था. अपेक्षित का मतलब उम्मीद होता है, वहीं उपेक्षित का मतलब अनदेखी. रामनाथ कोविंद के टोकने के बाद तेजप्रताप यादव को फिर से शपथ लेनी पड़ी. वहीं, 25 जुलाई, 1997 को बिहार की पहली और अकेली महिला मुख्यमंत्री बनीं राबड़ी देवी आंखों में आंसू भरे अपने शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचीं थीं. साथ ही बड़े नाटकीय घटनाक्रम में वह शपथ पूरा कर पाई थीं. वहीं मध्य प्रदेश में साल 2018 में कमलनाथ सरकार में मंत्री पद की शपथ लेते हुए इमरती देवी भी चर्चाओं के केंद्र में रही थीं.
ये भी पढ़ें - Uniform Civil Code : चुनावों के बीच क्यों चर्चा में BJP का अधूरा तीसरा वादा
क्या है शपथ? मंत्री पद के लिए क्या है मजमून
शपथ (oath) किसी तथ्य या प्रतिज्ञा की ऐसी अभिव्यक्ति होती है जिसके सत्य होने का आश्वासन उसमें किसी पवित्र चीज़ का उल्लेख के आधार पर हो. संविधान की तीसरी अनुसूची के मुताबिक संघ और राज्य के मंत्री पद के निर्वाह और गोपनीयता की शपथ लेते हैं. दो वाक्यों में सिमटे ये 148 शब्द हैं. ये किसी भी राज्य के मंत्री पद और उससे जुड़े कामकाज को जिम्मेवारी से निभाने की शपथ है.
शपथ का तय मजमून है -'मैं, अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं... राज्य के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा. ’
‘मैं, अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि जो विषय राज्य के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जायेगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा.’
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