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पंजशीर की घाटी में घुसने से डरता है तालिबान !

पंजशीर पर कब्‍जे की हर कोशिश नाकाम रही है. अफगानिस्‍तान पर जब अमेरिका बम बरसा रहा था, उस वक्‍त भी पंजशीर उससे अछूता रहा. सत्ता परिवर्तन और भारी उथलपुथल के बीच अफगानिस्‍तान में एक छोटी सी जगह पंजशीर में कोई अफरातफरी नहीं है.

Updated on: 19 Aug 2021, 03:06 PM

highlights

  • पंजशीर में है तालिबान विरोधी नॉर्दन अलायंस का दबदबा
  • पंजशीर इकलौता ऐसा राज्य जिस पर नहीं है तालिबान का कब्जा
  • पंजशीर का क्षेत्रफल 3610 वर्ग किमी और आबादी है लगभग 2 लाख  

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पंजशीर इकलौता ऐसा राज्य है जिस पर तालिबान कब्जा करने में सफल नहीं हो सका है. 3610 वर्ग किमी क्षेत्रफल और लगभग 2 लाख की आबादी वाला यह राज्य इस समय दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. अफगानिस्तान के पूर्व में स्थित इस प्रान्त की राजधानी बाज़ारक है. यहां के अधिकांश लोग फ़ारसी बोलने वाले ताजिक समुदाय के लोग हैं. पंजशीर प्रान्त में मशहूर पंजशीर वादी आती है और इसे अप्रैल 2004 में परवान प्रान्त को बांटकर बनाया गया था. पंजशीर को 'पंजशेर' भी कहते हैं जिसका मतलब 'पांच शेरों की घाटी' होता है. काबुल के उत्‍तर में 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस घाटी के बीच पंजशीर नदी बहती है.

पंजशीर पर कब्‍जे की हर कोशिश नाकाम रही है. अफगानिस्‍तान पर जब अमेरिका बम बरसा रहा था, उस वक्‍त भी पंजशीर उससे अछूता रहा. सत्ता परिवर्तन और भारी उथलपुथल के बीच अफगानिस्‍तान में एक छोटी सी जगह पंजशीर में कोई अफरातफरी नहीं है. पंजशीर के लोगों को युद्ध से डर नहीं लगता. अब हालात ऐसे हैं कि कभी भी हथियार उठाने पड़ सकते हैं. 

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कुछ लोगों का मानना है कि तालिबान सीधा हमला नहीं करेगा.तालिबान पंजशीर के चारों तरफ पहरे लगा देगा और हमारे खाने और जरूरी सामान की सप्‍लाई रोक देगा. पंजशीर के लोगों में अपनी जमीन बचाने का जज्‍बा कूट-कूटकर भरा है. वहां के निवासियों का कहना है, "हम मुकाबला बरेंगे, सरेंडर नहीं. हम कभी घुटने नहीं टेकेंगे. पंजशीर के लोग कभी आतंकियों के आगे कभी सरेंडर नहीं करेंगे... ऐसा होने से पहले हम मौत को गले लगा लेंगे."   

पंजशीर घाटी नॉर्दन अलॉयंस का गढ़ है. नॉर्दन अलॉयंस तालिबान के धुर विरोधी हैं. लेकिन सवाल यह उठता है कि जब अमेरिका जैसा देश तालिबान को सत्ता सौंप कर चला गया तो अब तालिबान से लोहा लेने की ताकत पंजशीर को कहां से मिल रही है?   

दरअसल, पंजशीर में नॉर्दन अलायंस का दबदबा है. अहमद शाह मसूद ने ही नॉर्दन अलायंस की नींव रखी. पश्चिमी देशों के साथ मसूद के बेहद करीबी रिश्‍ते थे. तालिबान को मसूद से इतना खतरा था कि 9/11 हमलों से कुछ दिन पहले अल-कायदा के एक लड़ाके ने टीवी पत्रकार का रूप लेकर उनकी हत्‍या कर दी थी. अब पंजशीर की सुरक्षा का जिम्‍मा उनके बेटे अहमद मसूद पर है. पंजशीर ही वो जगह है जहां से तालिबान के खिलाफ कोई आंदोलन शुरू हो सकता है.

नॉर्दन अलायंस का जन्‍म ही तब हुआ था जब तालिबान ने 1996 में काबुल पर कब्‍जा कर लिया था. इसका पूरा नाम 'यूनाइटेड इस्‍लामिक फ्रंट फॉर द सालवेशन ऑफ अफगानिस्‍तान' है. इस यूनाइटेड फ्रंट के बीच अफगानिस्‍तान के कई बड़े नाम थे जिसमें मसूद के अलावा राष्‍ट्रपति बुहानुद्दीन रब्बानी भी शामिल थे. शुरुआत में इसमें केवल ताजिक ही थे लेकिन अब अन्‍य नस्‍लीय समूहों के लोग भी इसका हिस्‍सा बन गए.

तालिबान के खिलाफ लड़ाई में नॉर्दर्न अलायंस को भारत के अलावा ईरान, रूस, तुर्की, तजाकिस्‍तान, उज्‍बेकिस्‍तान और तुर्कमेनिस्‍तान से साथ मिलता रहा. पंजशीर घाटी के हर जिले में ताजिक जाति के लोग मिलेंगे. सालंग में ये बहुमत में हैं. ताजिक असल में अफगानिस्‍तान के दूसरे सबसे बड़े एथनिक ग्रुप हैं. पंजशीर में हजारा समुदाय के लोग भी रहते हैं जिन्‍हें चंगेज खान का वंशज समझा जाता है. इसके अलावा पंजशीर में नूरिस्‍तानी, पशई जैसे समुदायों के लोग भी रहते हैं.