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साजिशन जमा किए गए पत्थर, पेट्रोल बम और पिस्टल ने बरपाया सबसे ज्यादा कहर!

हर एक के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या दिल्ली दंगा पहले से सुनियोजित था, या फिर अचानक लोगों ने सिर पर खून सवार हो गया. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (DMC) ने दिल्ली हिंसा प्रभावित इलाकों (Delhi Violence) का दौरा किया.

Updated on: 06 Mar 2020, 07:02 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली दंगों (Delhi Riots) के बाद जीवन अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. लेकिन दर्द की तासीर कम नहीं हो रही है. अस्पतालों में मौत का सिलसिला जारी है. गुरुवार को मौत की संख्या में इजाफा हो गया. दिल्ली हिंसा में मरनेवालों की संख्या 53 हो गई है. जीटीबी अस्पताल में 44, आरएमएल अस्पताल में 5, एलएनजेपी अस्पताल में 3 और जगप्रवेश चंद्र अस्पताल में 1 घायलों ने दम तोड़ है अब तक. वहीं, सैंकड़ों लोगों का इलाज चल रहा है.

वहीं, दिल्ली पुलिस दंगों के सिलसिले में उसने 600 से अधिक मामले दर्ज किए हैं. पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि 654 दर्ज मामलों में से 47 शस्त्र कानून से जुड़े हुए हैं. पुलिस ने कहा कि कुल 1820 लोगों को सांप्रदायिक दंगों के मामले में या तो हिरासत में लिया गया है या गिरफ्तार किया गया है.

दिल्ली दंगों का गुहनगार कौन?

तस्वीर बेहद ही भयावह है. हर एक के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या दिल्ली दंगा पहले से सुनियोजित था, या फिर अचानक लोगों ने सिर पर खून सवार हो गया. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (DMC) ने दिल्ली हिंसा प्रभावित इलाकों (Delhi Violence) का दौरा किया. डीएसी ने दौरा करने के बाद कहा कि यह दंगा अचानक नहीं हुआ. यह सब सुनियोजित तरीके से हुआ. इन दंगों में उन सभी बिल्डिंगों पर कब्जा किया गया, जो कि इन इलाकों में सबसे बड़ी और ऊंची थीं. उनको टारगेट करके वहां से सब कुछ किया गया है.

डीएमसी के सदस्य करतार सिंह ने बताया कि हिंसा में बाहर से लोग भी शामिल रहे और वे लोग दंगों के दौरान 24 घंटे इन बिल्डिंगों में रह रहे थे. ये सभी लोग दंगा भड़काने के लिए तैयार किए गए थे और उनके कपड़े भी अलग थे.'

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कई घरों को इन हथियारों ने उजाड़ कर रख दिया

दिल्ली दंगा की जांच हो रही है. लेकिन दंगों ने दिल्ली की तस्वीर बदल कर रख दी. दिलवालों की नगरी कही जानेवाली दिल्ली में तीन दिन तक खूनी खेल खेला गया. पथराव, पेट्रोल बम और तेजाब बम का इस्तेमाल उपद्रवियों ने इस कदर किया कि कई घर उजड़ गए, कई दुकानें जल कर राख हो गई और कई लोग असमय इस दुनिया से चले गए.

पथराव, पेट्रोल बम, तेजाब बम से करीब 220 लोग जख्मी बताए जा रहे हैं. वहीं धारदार और नुकीले हथियारों से भी लोगों पर हमला किया गया. 171 लोग धारदार हथियार और नुकीले हथियारों के शिकार बताए जा रहे हैं. पेट्रोल बम, तेजाब बम फेंकन के लिए गुलेल का इस्तेमाल किया गया. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) अपराध शाखा की एसआईटी की टीमों को 10-15 घरों के बाद किसी न किसी एक घर की ऊंची छत पर गुलेल मौजूद मिली है.

हिंसा में गोलियां भी खूब चली. हिंसा मामले में तीसरे नंबर पर गोली के शिकार लोग हैं. इनकी संख्या 102 है.

सरकार कर रही है 24 घंटे काम

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में जहां भाईचारे का बसेरा हुआ करता था अब वहां नफरत के राख बिखरे पड़े हैं. दिल्ली सरकार दंगा प्रभावित इलाकों में बुनियादी सुविधाएं देने के लिए 24 घंटे काम कर रही है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, डॉक्टर्स, नर्स, वालंटियर्स यहां काम कर रहे हैं. लेकिन सवाल की गलती किसकी है?

दिल्ली पुलिस पर उठ रही उंगली 

दिल्ली में हुए दंगों में पुलिस ने लापरवाही बरती. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रकाश सिंह ने का कहना है कि (दिल्ली पुलिस आयुक्त) अमूल्य पटनायक द्वारा वर्दी पर लगाया गया दाग क्षमायोग्य नहीं है. मुझे वास्तव में उनपर तरस आता है.

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दंगा स्थलों पर पुलिस के कथित रूप से समय पर नहीं पहुंचने पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने इंद्रधनुष की तरह काम किया और बारिश (दंगा) थमने के बाद नजर आई.

दिल्ली पुलिस को खुद दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार भी कटघरे में खड़ा करते हैं. उन्होंने कहा कि हिंसा में इस्तेमाल किए गए हर प्रकार के हथियारों को देखकर ऐसा लगता है कि ये दंगे पूर्व नियोजित थे. शक्तिशाली सुरक्षा उपकरण उपलब्ध होने के बावजूद पुलिस दंगाइयों को रोकने के लिए नहीं आई. ये पुलिस की नालायकी है.

पूर्व पुलिस आयुक्त अजय राज शर्मा ने कहा कि मैं अगर पुलिस आयुक्त होता तो मैं किसी भी कीमत पर दंगाइयों को कानून हाथ में नहीं लेने देता, चाहे सरकार मेरा ट्रांसफर कर देती या चाहे बर्खास्त कर देती.

इन इलाकों में दर्द का उठा सबसे ज्यादा सैलाब

दिल्ली दंगे की जांच एसआईटी की टीम कर रही है. एसआईटी टीमों की नजर यूं तो हिंसाग्रस्त हर स्थान पर है. इन सबमें मगर एसआईटी ने सबसे ऊपर रखा है जाफराबाद, मुस्तफाबाद, गोकुलपुरी, शिव विहार, शेरपुर, नूर-ए-इलाही, भजनपुरा, मौजपुर, घोंडा चौक, बाबरपुर, कबीर नगर, कर्दमपुरी और खजूरी खास, चांद बाग. दो दिन हुए हिंसा के नंगे नाच में इन्हीं इलाकों में सबसे ज्यादा तबाही हुई है.

इन्हीं इलाकों में सबसे ज्यादा बेगुनाह मारे गए. इन्हीं इलाकों में सबसे ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हुए. इन्हीं इलाकों के गली-कूचों में मौजूद छोटे-छोटे अस्पतालों में आज भी लोग इलाज करा रहे हैं. जांच कर रही दिल्ली पुलिस अपराध शाखा की टीमें उन तमाम अस्पतालों में भी शुक्रवार-शनिवार को गईं, जिनमें दंगों में घायलों का इलाज चल रहा है.