अफगानिस्तान की अनुपस्थिति में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन सम्मेलन
शिखर सम्मेलन में शामिल हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान से विदेशी बलों की वापसी की आलोचना की.
highlights
- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार चाहता है
- ताजिकिस्तान में 20 वीं काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ स्टेट्स शिखर सम्मेलन आयोजित
- मान्यता प्राप्त सरकार की कमी के कारण अफगानिस्तान को इस शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं
नई दिल्ली:
चीन और रूस के नेतृत्व वाले ब्लॉक, शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) ने शुक्रवार को ताजिकिस्तान में अपनी 20 वीं काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ स्टेट्स शिखर सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें 12 से अधिक देशों ने भाग लिया. सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग और अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति शिखर सम्मेलन के प्रमुख विषय थे. हालांकि अफगानिस्तान को एससीओ में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इस वर्ष अफगानिस्तान से किसी को भी बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था. विश्वविद्यालय के व्याख्याता आसिफ मुबलेख ने कहा, "इस दौर में अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त सरकार की कमी के कारण अफगानिस्तान को इस शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया. मुझे लगता है कि यह अफगानिस्तान के आर्थिक और क्षेत्रीय संबंधों के लिए बुरी खबर है. ”
ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने शिखर सम्मेलन में कहा कि उनका देश तालिबान से एक समावेशी सरकार बनाने की उम्मीद करता है. उन्होंने कहा कि, “तालिबान ने जिस अंतरिम कैबिनेट की घोषणा की है, उसमें राजनीतिक, जातीय और भाषाई विविधता और लैंगिक समानता पर भी विचार नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि अगले दो से तीन साल में चरमपंथ की विचारधारा बढ़ेगी और संभव है कि पड़ोसी देशों में यह विनाशकारी विचारधारा कई गुना बढ़ जाए.
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शिखर सम्मेलन में शामिल हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान से विदेशी बलों की वापसी की आलोचना की और एससीओ सदस्य देशों से अफगानिस्तान की स्थिति से निपटने के बारे में बात करने का आग्रह किया.
पुतिन ने कहा कि, "अब हमारे संगठन को एक आम सहमत लाइन का सामना करना पड़ रहा है, अफगानिस्तान से जुड़े गंभीर जोखिमों को ध्यान में रखते हुए जल्दबाजी में वापसी को पलायन भी कहा जा सकता है-अमेरिका और नाटो की सेना ने यहां से पलायन किया. ”
भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस क्षेत्र में उग्रवाद के उदय पर अपने देश की चिंता व्यक्त की, और कहा कि हाल के परिवर्तनों ने चिंताओं को बढ़ाया है. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और भरोसे की कमी से जुड़ी हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ती कट्टरता है."
उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव ने इस बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान के साथ बातचीत को सुविधाजनक बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि अफगानिस्तान की सीज हुई संपत्ति को देने से बातचीत का मार्ग प्रशस्त हो सकता है. उन्होंने कहा, "मानवीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हम विदेशी बैंकों में अफगानिस्तान के खातों पर से रोक हटाने की संभावना पर विचार करने का प्रस्ताव करते हैं."
पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने यह भी कहा कि उनका देश अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाना चाहता है और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान को आर्थिक रूप से समर्थन देने का आह्वान किया.
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