संघ ने लिखी महाराष्ट्र में सियासी भूकंप लाने की पटकथा, अंजाम तक पहुंचाया देवेंद्र फडणवीस ने
महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापटक की पटकथा काफी पहले से लिखी जा रही थी, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका महती थी. पवार कुनबे में फूट का फायदा उठा कर संघ अजित पवार को अपने खेमे में लाने में कामयाब रहा.
highlights
- अजित पवार के ममेरे भाई और संघ के करीबी जगदीश कदम ने बुना ताना-बाना.
- जगदीश कदम के ही संकेत पर देवेंद्र फडणवीस ने अजित संग शुरू की बातचीत.
- शरद पवार को बीजेपी के समर्थन का खुला संकेत भी दे गए थे अजित पवार.
Mumbai:
महाराष्ट्र में चल रही सियासी उठापटक की पटकथा काफी पहले से लिखी जा रही थी, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका महती थी. पवार कुनबे में फूट का फायदा उठा कर संघ अजित पवार को अपने खेमे में लाने में कामयाब रहा. सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि अजित पवार ने एनसीपी से 'विद्रोह' करने से पहले मुखिया शरद पवार से साफ-साफ बीजेपी को समर्थन देने को कहा था, जिसे सीनियर पवार ने खारिज कर दिया था. हालांकि वह दीवार पर लिखी इबारत को पढ़ने में नाकाम रहे और अजित पवार ने ऐन मौके देवेंद्र फडणवीस के साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. हालांकि रविवार को शिवसेना सांसद संजय राउत और अन्य एनसीपी नेताओं के बयानों से ऐसा लग रहा है कि शरद पवार ने अपनी 'खोई ताकत' वापस हासिल कर ली है.
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जगदीश कदम ने समझाया अजित पवार को
शनिवार को महाराष्ट्र की राजनीति में आए सियासी भूकंप में संघ की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. संघ काफी समय से अजित पर अपनी निगाहें गड़ाए बैठा था. अजित को एनसीपी में दो फाड़ करने के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी अजित के ही ममेरे भाई जगदीश कदम को सौंपी गई थी, जिसकी भनक संघ के शीर्ष नेतृत्व को छोड़ और किसी को नहीं थी. गौरतलब है कि जगदीश कदम संघ से जुड़े हुए हैं और वह संघ द्वारा संचालित डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के वाइस प्रेसिडेंट हैं. कदम ने ही अजित को अपने विश्वास में लेकर इस हद तक आगे बढ़ने के लिए राजी किया. इसके लिए कदम ने पवार के कुनबे में पड़ी 'फूट' का ही सहारा लिया.
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फिर देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की होने लगी बात
सूत्रों का कहना है जगदीश कदम के संकेत पर ही देवेंद्र फडणवीस ने अपनी तरफ से अजित पवार को फोन किया. इसके बाद दोनों के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत हुई. सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस इसके बाद से हर रोज एक-दूसरे के संपर्क में रहे. उनके बीच हो रही बातचीत की भनक सिर्फ दो और नेताओं को थी. इनमें से एक थे धनंजय मुंडे और दूसरे थे सुनील तटकरे. तटकरे जूनियर पवार के करीबी हैं, तो मुंडे देवेंद्र फडणवीस के विश्वस्त. जैसे-जैसे देवेंद्र फडणवीस से बातचीत आगे बढ़ रही थी, अजित पवार एनसीपी के विधायकों को साधने में जुट गए थे. बड़ी और रोचक बात यह है कि बीजेपी संग सरकार गठन की इस पूरी कवायद के बीच अजित पवार शिवसेना को समर्थन के मसले पर कांग्रेस-एनसीपी की बैठकों में भी लगातार शामिल होते रहे.
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शरद पवार को दिए थे अजित ने खुले संकेत
हालांकि अजित पवार ने 17 नवंबर को पुणे में शरद पवार के घर हुई बैठक में खुलकर संकेत दे दिए थे. बताते हैं कि एनसीपी नेताओं संग बैठक में अजित ने साफ-साफ प्रस्ताव दिया था कि एनसीपी को बीजेपी की सरकार को समर्थन देना चाहिए. हालांकि शरद पवार ने उनके प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था, क्योंकि एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना की बातचीत निर्णायक मोड़ तक पहुंच गई थी. हालांकि शरद पवार यह भांपने में नाकाम रहे कि अजित ने ऐसा प्रस्ताव 'खारिज' होने के लिए नहीं दिया था. शनिवार सुबह सियासी भूकंप लाकर अजित ने जता दिया कि वह बीजेपी को समर्थन देने का निर्णय पहले ही कर चुके थे.
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