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उत्‍तर प्रदेश के बंटवारे पर केंद्र सरकार के वो सवाल, जिनका अब तक नहीं मिला जवाब

तत्‍कालीन मायावती सरकार ने एक प्रस्ताव को 21 नवंबर को विधानसभा में पारित कराया था, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ सवालों के साथ इसे वापस कर दिया.

नई दिल्‍ली:

सोशल मीडिया पर चल रही उत्‍तर प्रदेश के विभाजन (Uttar Pradesh Partition) की खबरों के साथ ही समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के बयान के बाद से इसे लेकर सरगर्मी और बढ़ गई है. सोशल मीडिया पर एक लिस्‍ट भी वायरल हो रही है जिसमें बकायदा प्रदेश में शामिल होने वाले जिलों के नाम भी हैं. हालांकि सरकार इन खबरों को फेक बता रही है. जहां तक उत्‍तर प्रदेश के विभाजन (Uttar Pradesh Partition) की बात है तो तत्‍कालीन मायावती सरकार ने एक प्रस्ताव को 21 नवंबर को विधानसभा में पारित कराया था, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ सवालों के साथ इसे वापस कर दिया.

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उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक पूर्वाचल में 32, पश्चिम प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखण्ड में सात जिले शामिल होने थे. समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और कुछ अन्य दलों ने उस प्रस्ताव का विरोध किया था. विधानसभा में उत्‍तर प्रदेश के बंटवारे का प्रस्‍ताव पास कराने के बाद तत्‍कालीन मायवती सरकार ने केंद्र को भेज दिया. लेकिन केंद्र सरकार ने कई स्पष्टीकरण मांगते हुए वापस भिजवा दिया. मायावती का वह विभाजन (Uttar Pradesh Partition) -कार्ड 2012 के चुनाव में नहीं चला और सपा की सरकार बन गई.

केंद्र ने राज्‍य सरकार के सवाल
1. नौकरशाही का बंटवारा कैसे?
2. कर्ज के पैसे का बंटवारा कैसे?
3. बंटवारे का बोझ कौन-कैसे सहेगा?
4. सीमाएं कैसे तय की जाएगी?
5. चारों राज्यों की राजधानियां कहां होंगी?
6. पेंशन का बोझ बांटने की क्‍या योजना है?
7. राजस्व साझेदारी व्यवस्था किस तरह से होगी?

ऐसे होता विभाजन (Uttar Pradesh Partition)

उत्तर प्रदेश का विभाजन (Uttar Pradesh Partition) अगर चार विभिन्न राज्यों में होता तो पूर्वांचल में 24 जिले आते. इनमें वाराणसी, गोरखपुर, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, बस्ती जैसे जिले उल्लेखनीय हैं. इसी तरह बुंदेलखंड राज्य बना तो तीन मंडल और 11 जिले चले जाते. इनमें झांसी, महोबा, बांदा, हमीरपुर, ललितपुर, जालौन जैसे जिले शामिल होते. पश्चिम प्रदेश बनने पर आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली जैसे जिले शामिल होते. अवध प्रदेश में लखनऊ, देवीपाटन, फैजाबाद, इलाहाबाद, कानपुर इसके हिस्से होते.

सोशल मीडिया में अभी जो लिस्‍ट वायरल हो रही वो ये है..

इस लिस्‍ट के मुताबिक वर्तमान उत्‍तर प्रदेश बना रहेगा और इसके अलावा दो नए राज्‍य बनाए जाएंगे- पूर्वांचल (गोरख प्रांत) और बुंदेलखंड. गोरख प्रांत (पूर्वांचल) की राजधानी गोरखपुर तो बुंदेलखंड की राजधानी प्रयागराज को बनाने की बात कही जा रही है. गोरख प्रांत (पूर्वांचल) में देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, बलिया, मऊ, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, अम्बेडकर नगर, अयोध्या , सुल्तानपुर ,अमेठी, बाराबंकी, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और वाराणसी को शामिल करने की बात कही जा रही है.

प्रस्‍तावित बुन्देलखण्ड में प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर, मिर्जापुर, संत रविदास नगर, सोनभद्र, कानपुर, कानपुर देहात, औरैया को लेने का दावा किया जा रहा है.

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शेष बचे उत्‍तर प्रदेश में लखनऊ, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज, बरेली, बदायू , बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद व कन्नौज सहित कुल 20 जिले शामिल होंगे.

इस लिस्‍ट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बंटवारे की कोई योजना नहीं है. योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने इस तरह का कोई प्रस्ताव भी नहीं है. सोशल मीडिया पर इससे संबंधित जो भी खबरें चल रही हैं, वे झूठी हैं.