Punjab Congress: इस घर को आग लग गई घर के चिराग से... कलह से घिरी कांग्रेस
विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होने के बाद तो रार कुछ ज्यादा ही बढ़ गई. स्थिति यह आन पहुंची है कि कांग्रेस के धुरंधर नेता ही एक-दूसरे खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं.
highlights
- पंजाब कांग्रेस की आंतरिक कलह कहीं चुनावों पर न पड़े भारी
- सीएम चन्नी और सूबे के अध्यक्ष सिद्धू में नहीं बैठ रही पटरी
- कई कांग्रेसी नेता ही ठोंक रहे एक-दूसरे के खिलाफ ताल
नई दिल्ली:
दिल के फफोले जल उठे दामन की आग से, इस घर को आग लग गई घर के चिराग से... फिलवक्त यह शेर पंजाब (Punjab) कांग्रेस की आंतरिक कलह पर बिल्कुल मौजूं बैठता है. कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) को सीएम पद से हटाने और चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के सिर ताज सौंपने के बाद लगा था कि सब ठीक हो जाएगा. यह अलग बात है कि ऐसा नहीं हुआ. सीएम चन्नी और सूबे में कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) आमने-सामने हैं. इस बीच विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होने के बाद तो रार कुछ ज्यादा ही बढ़ गई. स्थिति यह आन पहुंची है कि कांग्रेस के धुरंधर नेता ही एक-दूसरे खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं. बची-खुची कसर सिद्धू के रणनीतिकार मोहम्मद मुस्तफा सरीखे नेताओं के भड़काऊ बयान पूरी कर दे रहे हैं. करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर कैप्टन, आप और शिअद भी बेअदबी मामले समेत पाकिस्तान कनेक्शन को लेकर कांग्रेस (Congress) पर हमलावर हैं. ऐसे में यह आशंका जताने वाले भी कम नहीं हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने अगर जल्द आंतरिक कलह पर काबू नहीं पाया तो हो सकता है कि उसे एक और प्रदेश से हाथ धोना पड़ जाए.
कांग्रेस के मंत्री ने कांग्रेस प्रत्याशी के निष्कासन की मांग की
कलह का ताजा कारण बना है मंत्री राणा गुरजीत सिंह का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा गया पत्र. इसमें गुरजीत सिंह ने सुखपाल सिंह खैरा को पार्टी से निष्कासित करने की मांग की है और इसके लिए मनी लांड्रिंग के मामले को आधार बनाया है. गौरतलब है कि ईडी ने बीते साल खैरा को पीएमएलए के तहत गिरफ्तार किया था. ईडी ने आरोप लगाया गया था कि खैरा मामले में दोषियों और फर्जी पासपोर्ट रैकेट चलाने वालों के सहयोगी थे. इस बार खैरा भोलाथ से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और फिलहाल जेल में बंद है. यहां यह भूलना नहीं चाहिए कि पंजाब में कांग्रेस नशे के खिलाफ मुखर रही है. ऐसे में अब पार्टी के भीतर ही आवाज उठने लगी है कि नशे के सौदागरों से ताल्लुक रखने वाले खैरा को टिकट देने से आमजन में गलत संदेश जाएगा.
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कैप्टन के करीबी भी हैं राणा गुरजीत
हालांकि हकीकत में राणा गुरजीत सिंह अपने बेटे को टिकट नहीं मिलने से नाराज है. वह चाहते थे कि सुल्तानपुर लोधी से उनके बेटे राणा इंदर प्रताप सिंह को टिकट दिया जाए. यह अलग बात है कि कांग्रेस आलाकमान ने एक परिवार एक टिकट सिद्धांत का पालन करते हुए गुरजीत सिंह को कपूरथला से टिकट दे दिया. ऐसे में राणा इंदर बतौर निर्दलीय कांग्रेस उम्मीदवार नवतेज सिंह चीमा के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं. यहां यह जानना भी कम दिलचस्प नहीं होगा कि राणा गुरजीत सिंह पंजाब कैबिनेट के सबसे रईस मंत्री हैं और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेहद करीबी भी माने जाते हैं. जाहिर है इस कारण कांग्रेस की फजीहत हो रही है.
टिकट बंटवारे पर भी आंतरिक कलह हावी
कुछ यही मामला सीएम चन्नी के साथ भी है, जिनके भाई को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, तो वह भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी समर में उतर कांग्रेस के लिए किरकिरी बनने का काम कर रहे हैं. सीएम चन्नी के भाई का टिकट कटने के पीछे सूबे में कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का हाथ बताया गया. इसके पहले सिद्धू नए-नए सीएम बने चन्नी को सरकार कैसे चलाएं जैसे मसले पर पत्र लिख उनके सम्मान पर चोट पहुंचा चुके थे. इसकी तीखी प्रतिक्रिया भी सीएम चन्नी की ओर से आई थी. बाद में आलाकमान को हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन दोनों के बीच कसक अभी भी बाकी है. इसका असर टिकट बंटवारे में साफतौर पर देखा जा सकता है. इनकी रार की वजह से ही कांग्रेस शेष प्रत्याशियों का चयन नहीं कर सकी है. शनिवार को इस बाबत बुलाई गई बैठक भी बेनतीजा रही थी.
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प्रत्याशियों के चयन पर भी एकमत नहीं हो पा रहे नेता
बताया जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस की 31 उम्मीदवारों की दूसरी सूची लटक गई है. स्क्रीनिंग कमेटी इन 31 सीटों पर एक-एक उम्मीदवार का नाम तय नहीं कर सकी है. छन कर आती खबरों के मुताबिक पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए बुलाई गई कांग्रेस मुख्य चुनाव समिति की बैठक में पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच मतभेद उभर गए. इस कारण उम्मीदवारों को लेकर अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका. इन सीटों से 13 विधायक भी हैं. भोआ सीट से मौजूदा विधायक जोगिंदर पाल के नाम पर आम राय नहीं बनी. सीएम चन्नी और सुनील जाखड़ इस मसले पर अलग-अलग राय रख रहे थे. यहां भी सिद्धू ने बलराम जाखड़ की साइड ली, जबकि चन्नी चाहते हैं कि जोगिंदर पाल सिंह को रिपीट किया जाए. कुछ ऐसा ही मसला खेमकरण सीट पर सुखपाल सिंह भुल्लर को लेकर भी है. यह सारे मसले यही संकेत यही दे रहे हैं कि कांग्रेस के खिलाफ आम आदमी पार्टी और बीजेपी भले ही ताल ठोंक रही हों, लेकिन सूबे के कांग्रेसियों में जारी सिर फुटव्वल कहीं न कहीं उसकी संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह जरूर लगा रही है.
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