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पुतिन ने कहा, अमेरिका और नाटो देश अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए धन उपलब्ध कराएं

देश पूरी तरह से आर्थिक और सामाजिक तबाही की स्थिति में है. कई अफगान निराशा से अपनी मातृभूमि से भाग रहे हैं.

Updated on: 17 Sep 2021, 11:42 PM

highlights

  • पश्चिमी गठबंधन की सैन्य उपस्थिति के बाद एशियाई देश "आर्थिक रूप से तबाह" हो गया
  • अमेरिकी सेना की वापसी के बीच मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान में हालात बिगड़ गए
  • अफगानिस्तान आर्थिक और सामाजिक तबाही के कारण अफगान अपनी मातृभूमि से भाग रहे हैं

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक संयुक्त शंघाई सहयोग संगठन-सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान अफगानिस्तान की स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि पश्चिमी गठबंधन की सैन्य उपस्थिति के बाद एशियाई देश "आर्थिक रूप से तबाह" हो गया है. पुतिन ने कहा, "अफगानिस्तान के संघर्ष के बाद उसके पुनर्निर्माण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो देशों को अधिकांश लागतों को वहन करना चाहिए . क्योंकि वे वहां लंबे समय तक रहे, जिसके कारण अफगानिस्तान में दीर्घकालिक गंभीर परिणामों की उत्पत्ति हुई, जिसके  लिए वे सीधे जिम्मेदार हैं."

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि अफगान संपत्तियों को धीरे-धीरे स्थिर करने के लिए अमेरिका और अन्य देशों को सहयोग करना चाहिए. अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना ने दो दशक लंबे सैन्य अभियान के बाद अगस्त 2021 में अफगानिस्तान छोड़ दिया क्योंकि तालिबान ने देश पर कब्जा कर लिया था.

उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान आंदोलन द्वारा गठित सरकार समावेशी नहीं है, लेकिन चूंकि वे अब अफगानिस्तान के भविष्य के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए अन्य देशों को इसके साथ काम करना चाहिए.

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पुतिन ने कहा, "देश पूरी तरह से आर्थिक और सामाजिक तबाही की स्थिति में है. कई अफगान निराशा से अपनी मातृभूमि से भाग रहे हैं. हमें उम्मीद है कि कोई सामूहिक पलायन नहीं होगा, लाखों लोगों का पलायन नहीं होगा, लेकिन यह एक तथ्य है कि कई लोग देश छोड़कर पड़ोसी राज्यों में जाने के लिए कोशिश कर रहे हैं."

अमेरिकी सेना की वापसी के बीच मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान में हालात बिगड़ गए. तालिबान आतंकवादियों ने देश के अधिकांश प्रांतों पर कब्जा कर लिया था, और 15 अगस्त को उन्होंने काबुल पर कब्जा कर लिया, जबकि राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए और उनकी सरकार गिर गई.

सितंबर में, तालिबान ने एक नई अंतरिम सरकार बनाई जिसमें मुख्य रूप से पश्तून कबीले के लोगों  का बाहुल्य है. और इसमें कोई महिला नहीं थी, जबकि पहले तालिबान ने वादा किया था कि मंत्रिमंडल "समावेशी" होगा.