logo-image

चीन के हाथों गिलगित-बाल्टिस्तान बेचेगा पाकिस्तान, भारत-US की टेढ़ी नजर

पाकिस्तान बढ़ते कर्ज का भुगतान करने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन को लीज पर दे सकता है. भारत का इस इलाके पर स्वाभाविक और ऐतिहासिक दावा है. इसके चलते दुनिया के ताकतवर देशों के बीच ये इलाका जंग का मैदान (Battlefield) बन सकता है.

Updated on: 01 Jul 2022, 06:56 PM

highlights

  • गिलगित-बाल्टिस्तान कई देशों के लिए प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन सकता है
  • आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर का यह इलाका पाकिस्तान के कब्जे में
  • पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न अंग 

नई दिल्ली:

कंगाल पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ( Pakistan) 19 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के बदले चीन को गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan) सौंपने जा रहा है. चीन ( China) के कर्ज देने की शर्तों के मुताबिक पहले कुछ साल इस इलाके को पट्टे यानी लीज पर दिया जाएगा. पाकिस्तान की ओर से कर्ज नहीं चुका पाने की हालत चीन इसे अपने कब्जे में ले लेगा. ड्रैगन के खतरनाक आर्थिक चंगुलों में फंसने के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान इलाका इन दिनों सुर्खियों में आ गया है. इन इलाकों में पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा भी शामिल है.

अल अरबिया की रिपोर्ट में काराकोरम राष्ट्रीय आंदोलन के काराकोरम नेशनल मूवमेंट के अध्यक्ष मुमताज नागरी के हवाले से कहा गया है कि गिलगित- बाल्टिस्तान आने वाले समय में वैश्विक शक्तियों के लिए प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन सकता है. नागरी के मुताबिक स्थानीय लोग इस बात से डरे हुए हैं कि पाकिस्तान बढ़ते कर्ज का भुगतान करने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन को लीज पर दे सकता है. भारत का इस इलाके पर स्वाभाविक और ऐतिहासिक दावा है. इसके चलते दुनिया के ताकतवर देशों के बीच ये इलाका जंग का मैदान (Battlefield) बन सकता है.

भारत का अभिन्न हिस्सा है गिलगित-बाल्टिस्तान

गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है. आजादी के बाद से  जम्मू-कश्मीर का यह इलाका पाकिस्तान के कब्जे में है. यह क्षेत्र उपेक्षित, अलग-थलग और लगभग अविकसित है. पाकिस्तानी संविधान में भी इस हिस्से को राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी गई है. इतना ही नहीं, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के संविधान में भी इस हिस्से को शामिल नहीं किया गया है. पिछले साल इमरान खान सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बनाने के लिए खूब हाथ पैर मारा था, लेकिन कामयाब नहीं हो सके. 7 जिलों गान्चे, स्कर्दू, गिलगित, दिआमेर, गिजर, अस्तोर और हुंजा नगर में बंटे हुए गिलगित-बालतिस्तान क्षेत्र की राजधानी गिलगित है. 

गिलगित-बाल्टिस्तान की वापसी भारत का संकल्प

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में महाराजा गुलाब सिंह राज्याभिषेक समारोह की 200वीं वर्षगांठ समारोह में 17 जून को कहा था कि 1962, 1966, 1972, 1973 में जो पाकिस्तान का आईन बनाया गया, उस पर कभी भी गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तानी हिस्से के रूप में दर्ज नहीं किया गया. हमारा एक ही संविधान है. उसमें साफ-साफ लिखा है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के अभिन्न अंग हैं. संसद के दोनों सदनों में इस पर प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित हुए हैं.

गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र की ऐतिहासिक कहानी

पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव की भी भारत ने कड़ी निंदा की थी. 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो यह इलाका किसी भी देश का हिस्सा नहीं था. क्योंकि ब्रिटेन ने साल 1935 में गिलगित एजेंसी को यह क्षेत्र 60 साल के लिए लीज पर दिया था. 1 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने लीज को खत्म कर क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया. 31 अक्टूबर 1947 को राजा हरि सिंह ने पाकिस्तान के हमले के बाद जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कर दिया. उस समय धोखा करके गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने 2 नवंबर 1947 को विद्रोह कर दिया और फिर कबाइलों का संघर्ष हुआ और मामला बिना सुलझे चलता रहा.

गिलगित-बाल्टिस्तान में बदहाली और जन विद्रोह

बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों के पलायन के चलते गिलगित-बाल्टिस्तान की आबादी लगातार घट रही है. एक रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में होने वाली आत्महत्याओं में 9 फीसदी गिलगित-बाल्टिस्तान में होती हैं. गिलगित-बाल्टिस्तान में औसतन दो घंटे बिजली मिलती है. क्योंकि यह पाकिस्तान के राष्ट्रीय ग्रिड का हिस्सा नहीं है. इसके साथ ही गिलगित-बाल्टिस्तान का जल विद्युत या अन्य संसाधनों पर कोई नियंत्रण नहीं है. पाकिस्तान सरकार की ऐसी योजनाओं से नाराज गिलगित-बालटिस्तान के लोगों का विद्रोह और पाकिस्तानी सेना के साथ उनका संघर्ष काफी बढ़ गया है.

जनप्रतिनिधियों पर पाकिस्तानी सैनिकों का अत्याचार

स्कार्दू जिले में स्थानीय लोगों ने हाल ही में पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों और उनके वाहनों पर पथराव भी किया था. पाकिस्तानी सैनिक उनके जनप्रतिनिधियों को सरेआम पीट रहे हैं. इन बातों को लेकर भी स्थानीय लोगों में गुस्सा भड़का हुआ है. पाकिस्तानी सैनिकों ने बीते माह के अंत में स्थानीय लोगों की आवाज उठाने पर गिलगित-बाल्टिस्तान के पर्यटन और स्वास्थ्य मंत्री राजा नासिर अली खान को बुरी तरह से पीटा था. मंत्री ने स्कार्दू रोड पर सेना के अधिग्रहण को लेकर अपना विरोध जताया था. राजा नासिर अली खान पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान के समर्थक रहे हैं.

गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों के मुताबिक अगर पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन को सौंपता है तो यह पाकिस्तान से ज्यादा चीन के लिए वरदान साबित होगा. चीन के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान पाने से दक्षिण एशियाई विस्तार सीपीईसी ( CPEC) को बड़ी मदद मिलेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कदम से इस्लामाबाद को मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए एक मोटी रकम मिल सकती है मगर उससे फौरी राहत ही मिल सकती है. मगर पाकिस्तान का यह कदम अमेरिका को नाराज कर सकता है जिससे आईएमएफ बेलआउट डील से इनकार या देरी हो सकती है.

एशिया में चीन का विस्तार रोकने में लगा अमेरिका

इतना ही नहीं अमेरिका एशिया में चीन के विस्तार को रोकने के लिए कदम उठा रहा है. अमेरिका यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि किसी नए क्षेत्र पर चीन का कब्जा हो जाए. अमेरिका खुद चीन पर नजर रखने के लिए पाकिस्तान के बलोचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे क्षेत्रों पर नजर रखे हुए है. अमेरिकी कांग्रेस से जुड़ी बॉब लैंसिया का मानना है कि अगर गिलगित-बाल्टिस्तान भारत में होता और बालोचिस्तान आजाद होता तो अफगानिस्तान में अमेरिका की इतनी खराब हालत नहीं होती.

ये भी पढ़ें - ऐतिहासिक चूक: क्या डूबते पाकिस्तान को बचा पाएगा IMF का Bailout Package

आतंकवाद और मानवाधिकार हनन का मामला

दूसरी ओर पूरी तरह से पाकिस्तान सरकार और सैन्य नियंत्रण के बावजूद यह सौदा आसान नहीं होगा. स्थानीय लोगों का विद्रोह और तेज हो सकता है. इससे पहले पाकिस्तान ने 1963 में PoK में आने वाली 5 हजार वर्ग किलोमीटर एरिया में फैली शक्सगाम वैली को चीन को दे दिया था. उस घाटी पर आज भी चीन का कब्जा है. अब हुंजा घाटी को चीन को दिए जाने की अटकलों के बाद स्थानीय लोगों के विरोध और हिंसा की एक नई लहर शुरू हो गई है. आतंकवाद और मानवाधिकार हनन के मामले में पाकिस्तान और ज्यादा नीचे लुढ़क जाएगा. यह FATF में पाकिस्तान की रैंकिंग को और खराब कर देगा.