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इमरान खान की 'राष्ट्रीय शर्म' बनी 'सॉफ्ट डिप्लोमेसी', 2 करोड़ दें और प्रतिबंधित पक्षी का शिकार करें

पाकिस्तान में संरक्षित पक्षी होऊबारा बस्टर्ड (सोन चिरैया) को लुप्तप्राय माना गया है. इसके शिकार पर भी पाबंदी है. इसके बावजूद सरकार द्वारा शाही परिवार को शिकार की मंजूरी दी जाती है.

Updated on: 26 Dec 2019, 06:21 PM

highlights

  • सॉफ्ट डिप्लोमेसी के लिए पाकिस्तान एक विलुप्तप्राय पक्षी के शिकार की मंजूरी देता है.
  • यह अनुमति सिर्फ शाही परिवार को ही दी जाती है. वसूले जाते हैं 2 करोड़ रुपए प्रति पक्षी.
  • शिकार में बाज़ के इस्तेमाल पर 1000 डॉलर अलग से. इमरान राष्ट्रीय शर्म करार दे चुके हैं.

नई दिल्ली:

पाकिस्तान वास्तव में एक अजब-गजब देश ही है. एक तरफ वह चीन को गधों का निर्यात करने के अलावा भैंस और महंगी कारों की नीलामी से सरकारी खजाने को भरने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी तरफ सॉफ्ट डिप्लोमेसी के लिए एक ऐसे पक्षी के शिकार की अनुमति दुनिया खासकर मुस्लिम देशों के शाही परिवारों को उपलब्ध कराता है, जो विलुप्तप्राय है. इस पक्षी को आम बोलचाल की भाषा में सोन चिरैया कहा जाता है, जबकि इसका वैज्ञानिक नाम होऊबारा बस्टर्ड है. इसके शिकार पर भी पाबंदी है, लेकिन पाकिस्तान सरकार चंद लोगों को भारी-भरकम रकम के एवज में इसकी अनुमति देती है. इस बार दो करोड़ रुपए प्रति पक्षी की भारी-भरकम राशि पर बहरीन के राजा और शाही परिवार को इसके शिकार की अनुमति दी गई है. गौरतलब है कि पाकिस्तानियों को इस पक्षी के शिकार की अनुमति नहीं है.

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सॉफ्ट डिप्लोमेसी और सोन चिरैया
पाकिस्तान में संरक्षित पक्षी होऊबारा बस्टर्ड (सोन चिरैया) को लुप्तप्राय माना गया है. इसके शिकार पर भी पाबंदी है. इसके बावजूद सरकार द्वारा शाही परिवार को शिकार की मंजूरी दी जाती है. वास्तव में सोन चिरैया मुर्गी के आकार का पक्षी है, जो सर्दी के मौसम में हर साल मध्य एशिया से पाकिस्तान की तरफ माइग्रेट करती है. हर साल पाकिस्तान में 30 से 40 हजार सोन चिरैया माइग्रेट कर पहुंचती हैं, जो अगले 6 महीने तक पाकिस्तान में ही रहती हैं. पाकिस्तान इन चिड़ियों का इस्तेमाल सॉफ्ट डिप्लोमेसी के लिए करता है. IUCN (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर) की रेड लिस्ट में शामिल इस चिड़िया की तादाद 50 हज़ार से एक लाख के बीच ही बची है.

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सिर्फ शाही परिवारों को शिकार की इजाजत
2017 में लाहौर हाईकोर्ट ने सोन चिरैया के शिकार पर रोक लगाते हुए कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने सोन चिरैया को विलुप्तप्राय पक्षियों की श्रेणी में रखा है. ऐसे में सरकार इसके शिकार को रोके लेकिन तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार मामला सुप्रीम कोर्ट में ले गई. वहां तर्क दिया गया कि शाही परिवारों को शिकार की इजाजत देना पाकिस्तान की विदेश नीति का अहम हिस्सा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ रोक हटा ली. अब इमरान सरकार ने भी यही तर्क दिया है. हालांकि इमरान खान जब विपक्ष में थे, तब उन्होंने इसके शिकार की मंजूरी देने को राष्ट्रीय शर्म करार दिया था. सोन चिरैया के शिकार पर प्रतिबंध होने के बावजूद पाकिस्तान हर साल अरब के अमीर शेखों को 25-35 स्पेशल परमिट जारी करता है और इस बार इमरान सरकार ने ये परमिट बहरीन के शाही परिवार के लिए जारी किया है

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2 करोड़ रुपये में एक चिड़िया का शिकार
इमरान खान ने बहरीन के राजा और शाही परिवार को 100 सोन चिरैया के शिकार की इजाजत दी है. शाही परिवार के सात सदस्य 100-100 पक्षियों का शिकार करेंगे. पाकिस्तान सरकार ने हर चिड़िया के लिए 2-2 करोड़ रुपए वसूले हैं. इससे पहले कतर के शेख और राजघराने के नौ अन्य सदस्यों को शिकार का परमिट दिया गया था. 'डॉन' ने अपनी एक खबर में सूत्रों के हवाले से बताया कि विदेश मंत्रालय के उप-प्रमुख प्रोटोकॉल मोहम्मद अदील परवेज ने 2019-20 में शिकार के लिए परमिट जारी किए हैं. यह परमिट बहरीन के राजा शेख हमद बिन ईसा बिन सलमान अल खलीफा, उनके चाचा शेख इब्राहीम, उनके रिश्ते के भाई (जो उनके गृह मामलों के मंत्री भी हैं) लेफ्टिनेंट जनरल शेख राशिद बिन अब्दुल्ला अल खलीफा और राजशाही के अन्य प्रभावशाली लोगों को दी गई है. खबर के मुताबिक़ सिंध प्रांत में जमशोरो जिला सहित थाने बुला खान, कोटरी, मानझंद और सेहवन तहसील में शिकार की अनुमति दी गई है. उसने कहा कि शिकारियों में एक नवंबर 2019 से 31 जनवरी 2010 के बीच तीन महीने में 10 दिन की सफारी में होऊबारा बस्टर्ड (सोन चिरैया) का शिकार करने की अनुमति दी गई.

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शिकार में बाज़ के इस्तेमाल पर 1000 डॉलर अलग से
अमीर शेख बाजों की मदद से सोन चिरैया का शिकार करते हैं. पाकिस्तान एक बाज के लिए शेखों से 1000 अमेरिकी डॉलर (यानी 1.54 लाख पाकिस्तानी रुपये) वसूलता है. प्रशासन का कहना है कि इन पैसों का इस्तेमाल इन पक्षियों की तादाद बढ़ाने में और उस इलाके के विकास के कामों में किया जाता है. 2014 में पाकिस्तान में एक रिपोर्ट लीक हुई थी जिसमें बताया गया था कि साऊदी प्रिंस ने 21 दिनों के शिकार के दौरान ऐसे 2000 पक्षियों का शिकार किया था. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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1960 से शुरू हुआ सोन चिरैया का शिकार
पाकिस्तान ने सोन चिरैया के शिकार की इजाज़त यूएई की रॉयल फैमिली को 1960 से देना शुरू किया. 1960 में शेख ज़ायेद बिन अल नाह्यान पाकिस्तान आकर सोन चिरैया का शिकार करने वाले पहले शिकारी थी. शेख ज़ायेद बिन अल नाह्यान पकिस्तान के रेगिस्तान में अपने शिकारी बाज़ के साथ पहुंचे थे. 2004 में शेख ज़ायेद बिन अल नाह्यान की मौत के बाद भी ये सिलसिला जारी है. यूएई का शाही परिवार पकिस्तान को करोड़ों डालर देता है, ताकि पाकिस्तान में सोन चिरैया की तादाद बढ़ती रहे और वे आकर इसका शिकार कर सकें. पाकिस्तान के रहीम यार ख़ान में होऊबारा रिसर्च एंड रिहेबिलेशन सेंटर भी बनाया गया है, जिसकी फंडिंग यूएई ही करता है.

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गधे से भी कमाई
पाकिस्‍तान विश्‍व का ऐसा तीसरा देश बन गया है जहां पर गधों की बड़ी आबादी है. पाकिस्‍तान इकोनॉमिक सर्वे 2017-18 की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि देश में गधों की संख्‍या 53 लाख है. पंजाब लाइवस्टॉक डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक अकेले लाहौर में ही गधों की संख्या करीब 41 हजार है. हाल ही में चीन 42.5 बिलियन के ऋण प्रस्ताव रखा था और जिसके बदले में पाकिस्तान 'सभी मौसम' में गधों का निर्यात करेगा. चीनी कंपनियों ने पाकिस्तान में गधों की जनसंख्या बढ़ाने में दिलचस्पी दिखाई और 3 बिलियन डॉलर का निवेश करने को तैयार हुई हैं. गधों की नस्‍लों के हिसाब से यहां पर इनकी कीमत तय की गई है. एक गधे की खाल से पाकिस्तान को 18 से 20 हजार रुपए तक मिल जाते हैं. इस हिसाब से देखा जाए, तो पाकिस्तान को इस सौदे से काफी मुनाफा हो रहा है. पाकिस्तान में गधों के लिए अस्पताल भी बनाया गया है, जहां पर इनका इलाज मुफ्त करवाया जा सकता है. पाकिस्तान में करीब 80 लाख परिवार पशुपालन के काम में लगे हुए हैं, जिनकी आय का 35 फीसद हिस्सा पशुपालन से आता है. पाकिस्तान सरकार के अनुसार गधे न केवल नकद कमाई का जरिया हैं बल्कि ये ग्रामीण इलाकों में गरीबी हटाने और विदेशी मुद्रा कमाने का भी अहम जरिया है.

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इस कदर बदहाल है पाकिस्तान
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को दिखाने के एक नहीं तमाम कारण हैं. मसलन एक अमेरिकी डॉलर की क़ीमत 155 पाकिस्तानी रुपए हो चुकी है. इसके बावजूद कुल आबादी का 0 .6 फीसदी लोग ही टैक्स भरते हैं. हर पाकिस्तानी पर 159,000 पाकिस्तानी रुपए का कर्ज है. यानी पाकिस्तान 35.094 खरब रुपये यानी 105 अरब डॉलर का क़र्ज़दार है. बजट का 42 फीसदी हिस्सा तो कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है. 6 लाख करोड़ में से 3.56 लाख करोड़ का भारी-भरकम बजट घाटा है. पाकिस्तान चाह कर भी चीन के कर्ज़ जाल से नहीं निकल सकता. ग्वादर बंदरगाह से लेकर सीपीईसी कॉरिडोर चीन के क़ब्ज़े में है. पाकिस्तान पर एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में जाने का खतरा है. 20 करोड़ की आबादी में से 6 करोड़ गरीबी रेखा के नीचे हैं. 33 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं. 44 फीसदी छात्र कुपोषित हैं. 15 लाख बच्चे सड़कों पर रहते हैं, जिनमें 90% यौन शोषण का शिकार हैं.

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खेती पर आमजन नहीं जागीरदारों का कब्जा
पाकिस्तान की ज़्यादातर जनता के पास खेती की ज़मीन नहीं है. पाक की खेती की ज़मीन पर 246 जागीरदार परिवारों का ही क़ब्ज़ा है. भुट्टो परिवार 40,000 एकड़ ज़मीन का जागीरदार है. गुलाम मुस्तफा जतोई परिवार 30,000 एकड़ जमीन के मालिक हैं. पाकिस्तान में 80 प्रतिशत राजनेता हजारों एकड़ जमीन के मालिक हैं. पाकिस्तान की जमीन के बड़े हिस्से पर विदेशियों का कब्जा है. पाकिस्तान के कई इलाक़ों में अब भी सामंतवादी व्यवस्था है. पाकिस्तान के देहातों में 49 फीसदी लोग अब भी अशिक्षित हैं.