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1+1+1 का अर्थ 3 नहीं 4 या 5, युद्ध की स्थिति में भारतीय चक्रव्यूह से नहीं निकल सकेंगे पाक-चीन

जनरल बिपिन रावत ने पद संभालने के साथ थिएटर कमांड के संकेत दे दिए. उनका कहना था 1+1+1 का अर्थ 3 नहीं, बल्कि 4 या 5 होना चाहिए.

Updated on: 02 Jan 2020, 04:39 PM

highlights

  • जनरल बिपिन रावत ने CDS पद संभालने के साथ थिएटर कमांड के संकेत दिए.
  • सामरिक रणनीतिक लिहाज से 1+1+1 का अर्थ 3 नहीं, बल्कि 4 या 5 होना चाहिए.
  • हाल-फिलहाल देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं.

नई दिल्ली:

पेंटागन की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन बीते कई दशकों से अपनी सैन्य तैयारियों को आधुनिक बनाता आ रहा है. इस संदर्भ में देखें तो चीनी खतरे से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र सेना कई मोर्चों पर काफी पिछड़ी हुई है. भारत सीमा पर चीनी मोर्चे को पीएलए की पश्चिमी थिएटर कमांड देखती है. इस मोर्चे पर 4057 किमी लंबी नियंत्रण रेखा लगती है. इस लिहाज से देखें तो देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने इस बाबत बेहद संतुलित बयान दिया है. साउथ ब्लॉक में तीनों सेनाओं से गार्ड ऑफ ऑनर लेने के बाद उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिमी तौर-तरीकों की नकल करने की जरूरत नहीं, बल्कि अपना तंत्र विकसित करना होगा. इस कड़ी में हम संयुक्त रूप से काम कर एक तंत्र विकसित कर लेंगे. हालांकि जनरल बिपिन रावत ने पद संभालने के साथ थिएटर कमांड के संकेत दे दिए. उनका कहना था 1+1+1 का अर्थ 3 नहीं, बल्कि 4 या 5 होना चाहिए. थिएटर कमांड दरअसल युद्धकाल में दुश्मन पर अचूक वार के लिए सेनाओं के सभी अंगों के बीच बेहतरीन तालमेल का तंत्र है. जानते हैं भारतीय संदर्भों में थिएटर कमांड के क्या मायने हैं और इसका क्या महत्व होगा...

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आखिर है क्या थिएटर कमांड
सेना के तीनों अंगों थल सेना, नौसेना और वायुसेना को साथ में रखते हुए अन्य अर्धसैनिक बलों को एक ही स्थान पर लाया जाता है. मकसद सिर्फ यही होता है कि युद्ध के दौरान उनकी मदद से एक चक्रव्यूह रचा जा सके, जिससे दुश्मन को अधिकतम क्षति पहुंचाई जा सके. इस संयुक्त कमांड का नेतृत्व वरिष्ठ कमांडर के सुपुर्द होता है. तीनों सेनाओं के बीच समन्वय से ये एक साथ काम करने को तैयार रहते हैं. इस तरह की कमांड बनाने से खर्च कम होता है. साथ ही संसाधनों का उपयुक्त इस्तेमाल होता है.

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देश में अभी भी है एक थिएटर कमांड?
हाल-फिलहाल देश में सिर्फ एक ही थिएटर कमांड है. इसकी स्थापना कारगिल युद्ध के बाद 2001 में अंडमान निकोबार में की गई थी. हालांकि आकार-संसाधनों के लिहाज से यह बहुत छोटी कमांड है. साथ ही इसके अस्तित्व में आने के बाद से लगातार मांग उठ रही है कि इसका संचालन स्थायी तौर पर भारतीय नौसेना के सुपुर्द कर दिया जाए. हालांकि हाल-फिलहाल देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं. इनमें से सात थल सेना के पास, सात वायुसेना के पास और तीन नौसेना के पास. इसके अलावा एक स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड है जो परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षा देता है और उसे संभालता है. इसकी स्थापना 2003 में की गई थी.

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इसलिए है जरूरत
इसके जरिये देश के करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल को फिर से संगठित किया जा सकेगा, जिसे अभी आधुनिकीकरण के लिए फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा वेतन और भत्तों की बढ़ती जरूरतों पर ही खर्च हो जाता है. भारत में जिस तरह के थिएटर कमांड बनाने के विकल्प सुझाए जा रहे हैं, उनमें एक यह है कि छह संयुक्त कमांड बना दी जाएं. रक्षा हलकों में चल रही चर्चाओं के अनुसार चीन सीमा और पाकिस्तान सीमा को खास मजबूत बनाने पर विचार चल रहा है. अगर प्रस्ताव पर अमल हुआ तो भारत के आधा दर्जन थिएटर कमांड हो जाएंगे.

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वेस्टर्न थिएटर कमांड
पाकिस्तान से सटे पंजाब के मैदानी इलाके से लेकर राजस्थान के थार मरुस्थल से लेकर गुजरात में कच्छ के रण तक इसका विस्तार होगा. इस क्षेत्र की रक्षा की जिम्मेदारी मौजूदा पश्चिमी, दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिणी कमांड पर है.

नॉर्दर्न थिएटर कमांड
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पर्वतीय क्षेत्रों में पाकिस्तान और चीन पर नजर रखने वाला कमांड. इसके अंतर्गत मौजूदा नॉर्दर्न कमांड का एरिया आता है. फिलहाल यह रक्षा पंक्ति काफी कमजोर है. युद्ध या किसी आपातकाल की स्थिति में इसे सपोर्ट देने में समय लग सकता है.

ईस्टर्न थिएटर कमांड
उत्तर-पूर्व में चीन के साथ सटे इलाके की निगरानी करने वाला कमांड. यह इलाका भौगोलिक स्तर पर अभी थल सेना और वायुसेना की ईस्टर्न कमांड के तहत आता है. संवेदनशील होने के कारण इस पर कहीं अधिक गहरी निगाहबीनी की जरूरत है.

सदर्न थिएटर कमांड
पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी समुद्री तटों की रक्षा के लिए समुद्री बेड़े और हवाई सैन्य ताकतें मौजूद हैं. अंडमान और निकोबार कमांड भी इसी में आएगी. यहां फिलहाल कारगिल युद्ध के बाद अस्तित्व में आई देश की पहली थिएटर कमांड तैनात है.

एयरोस्पेस कमांड
इस कमांड पर बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस और स्ट्रैटिजिक एयर ऑफेंसिव समेत देश के वायु क्षेत्र की रक्षा करने की जिम्मेदारी है.

लॉजिस्टिक्स कमांड
देश में एक से दूसरे थिएटर तक सैन्य बलों एवं अन्य सैन्य साज-ओ-सामान को पहुंचाने की जिम्मेदारी है. साथ ही, जल, थल और वायु, तीनों परिवहन मार्गों का इस्तेमाल करते हुए विदेशी थिएटर ऑपरेशनों तक पहुंच सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी है.

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अमेरिका, चीन का उदाहरण
अमेरिका के पास 11 एकीकृत लड़ाकू कमांड है. इनमें छह 'भौगोलिक' कमांड को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों को कवर करता है. इन्हीं में एक हिंद-प्रशांत कमांड, जो भारत समेत पूरे हिंद प्रशांत क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों पर नजर रखता है. अमेरिका के पास पांच 'फंक्शनल' कमांड हैं जो परमाणु, शस्त्रागार, विशेष अभियानों, अंतरिक्ष, साइबर स्पेस और परिवहन/आवाजाही को समर्पित हैं. चीन ने 2016 में अपनी पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के 23 लाख जवानों को पुनर्संगठित करते हुए पांच थिएटर कमांड बना दिए हैं. वेस्टर्न थिएटर कमांड भारत के साथ लगी पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा को कवर करता है जो लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैला है.

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किस-किस ने की सिफारिश
कारगिल युद्ध के बाद बनी कारगिल रिव्यू समिति के अलावा शीकाटकर समिति ने भी आंतरिक और वाह्य खतरों के मद्देनजर कंपार्टमेंट शैली में रणनीतिक सामंजस्य बनाने पर जोर दिया था. सिफारिश में कहा गया था कि उच्च स्तर पर इन सभी में आपसी तालमेल बेहद जरूरी है. हालांकि शुरुआती स्तर से ही भारतीय सेना के तीनों अंग इस पर एकराय कायम नहीं कर सके हैं. थल सेना जहां इसकी पक्षधर है, वहीं वायुसेना तो इसके सख्त विरोध में रही है. भारतीय वायुसेना का मानना है कि पहले से ही वह नई पीढ़ी के आधुनिक लड़ाकू विमानों और संसाधनों की कमी से जूझ रही है. ऐसे में थिएटर कमांड में लड़ाकू विमानों को रखने से एकीकृत बल पर असर पड़ सकता है. नौसेना भी इसके पक्ष में नहीं रही है. नौसेना मुख्यालय के पास नियंत्रण होने से उसे लगता है कि सामरिक रणनीतिक वर्चस्व पर असर पड़ सकता है.