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PUBG के चलते हत्या-आत्महत्या, Online Game Addiction से छुटकारा कैसे?

कई शहरों में हुई ऐसी हत्या और आत्महत्याओं की एक कॉमन वजह सामने आई- ऑनलाइन गेमिंग या हिंसक वीडियो गेम ( Online Violent Game) जैसे PUBG खेलने से रोका जाना.

कई शहरों में हुई ऐसी हत्या और आत्महत्याओं की एक कॉमन वजह सामने आई- ऑनलाइन गेमिंग या हिंसक वीडियो गेम ( Online Violent Game) जैसे PUBG खेलने से रोका जाना.

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Keshav Kumar
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ये ऑनलाइन गेम मासूम बच्चों को हिंसक बना रहे हैं( Photo Credit : News Nation)

लखनऊ में हाल ही में 16 साल के नाबालिग ने अपनी मां को 6 गोलियां मार कर जान ले ली ( Murder ). हत्या के तीन दिन बाद सड़ती लाश की बदबू से जानकारी बाहर आई. बीते 22 अप्रैल को रायगढ़ में 19 साल के दुर्गा प्रसाद ने फांसी लगाकर जान दे दी (Suicide). पिछले साल 2021 में महाराष्ट्र के जामनेर की नम्रता खोड़के, साल 2020 में मथुरा का पीयूष शर्मा और साल 2019 में हैदराबाद के एक छात्र ने खुदकुशी कर ली. कई शहरों में हुई ऐसी हत्या और आत्महत्याओं की एक कॉमन वजह सामने आई- ऑनलाइन गेमिंग या हिंसक वीडियो गेम ( Online Violent Game) जैसे PUBG खेलने से रोका जाना.

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WHO और कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी ने माना एडिक्शन

हिंसक ऑनलाइन या वीडियो गेम की लत नशे से भी बुरी साबित हो रही है. ये ऑनलाइन गेम मासूम बच्चों को हिंसक बना रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज के लेटेस्ट एडिशन में इसे बीमारी, यानी गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में चिन्हित किया है. कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी में मनोवैज्ञानिक रुन नीलसन ने बताया कि जिस तरह कोई शख्स बरसों तक निकोटिन या मॉर्फिन चीजों का इस्तेमाल करने पर उसका लती हो जाता है. उसी तरह ऑनलाइन गेम्स को भी व्यसन माना गया है.

JAMA नेटवर्क ओपन ने रिसर्च में क्या पाया

जो बच्चे गन वॉयलेंस वाले वीडियो गेम देखते या खेलते हैं, उनमें गन को पकड़ने और उसका ट्रिगर दबाने की ज्यादा इच्छा होती है. JAMA नेटवर्क ओपन ने एक रिसर्च में यह साबित किया. इस रिसर्च में 200 से ज्यादा बच्चों में 100 को नॉन वॉयलेंट वीडियो गेम और 100 को गन वॉयलेंस वाले वीडियो गेम खेलने को दिए गए. कुछ देर बाद ही पाया गया कि वॉयलेंस गेम खेलने वाले 60 फीसदी बच्चों ने तुरंत गन को पकड़ा. वहीं नॉन वॉयलेंट गेम खेलने वाले सिर्फ 44 फीसदी बच्चों ने गन को पकड़ा.

भारत में बेतहाशा बढ़ता ऑनलाइन गेमिंग कारोबार

साल 2010 से 2020 के बीच एक दशक में भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या में 22 गुना की बढ़ोतरी हुई. ऑब्जर्वर रिसर्च फॉउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल इनकी संख्या करीब 43 करोड़ है. फॉउंडेशन ने बताया कि साल 2025 तक इसके 65 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है. इसी तरह इसका कारोबार भी बेतहाशा बढ़ता जा रहा है. इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 40 फीसदी हार्डकोर गेमर्स हर महीने औसतन 230 रुपए खर्च कर रहे हैं. फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग की कमाई 13,600 करोड़ रुपए है. साल 2025 तक इसके 20 हजार करोड़ तक पहुंचने की संभावना है.

क्या कहते हैं बाल मनोवैज्ञानिक और डॉक्टर्स

डॉ. योगिता कदयान ने कहा कि गेमिंग एडिक्शन बढ़ते बच्चों के विकास के लिए बहुत बड़ी बाधा है. वे गेम्स के अलग-अलग लेवल पार करने को अपनी उपलब्धि मानते हैं. इसी एक्साइटमेंट के लिए वह कुछ भी कर गुजरने से हिचकते नहीं है. बाकी नशे या एडिक्शन की तरह गेमिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त लोग इसी पर दांव लगाते रहते हैं. वहीं, फोर्टिस हेल्थकेयर में डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज की हेड डॉ. कामना छिब्बर के मुताबिक माता-पिता या अभिभावकों सतर्क रहने की जरूरत है. उन्हें सबसे पहले पहचानने की कोशिश करनी चाहिए कि क्या सही में उनके बच्चों ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन है या नहीं.

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बच्चा एडिक्शन का शिकार है या नहीं? ऐसे पहचानें

बाल मनोवैज्ञानिकों और डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे अगर थोड़ी देर के लिए ऑनलाइन गेम खेल रहा है और उसकी वजह से उसके बाकी कामों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ रहा हो तो इसे लत या एडिक्शन नहीं कहना चाहिए. वहीं नीचे लिखे तरीकों से भी बच्चों में वीडियो गेम की लत के बारे में जाना जा सकता है.

- बच्चे की रूटीन लाइफ में बदलाव नजर आने लगे. उसकी डेली लाइफ PUBG या वैसे वीडियो गेम के आसपास केंद्रित होने लगे. इसको अलार्मिंग स्थिति समझना चाहिए.

- बच्चों का स्वभाव आक्रामक और गुस्सैल होने लगा हो. वीडियो गेम खेलने से मना करने पर एग्रेसिव होने लगे, चीखने या गाली-गलौज करने लगे तो यह चेतावनी है.

- अगर बच्चों में वीडियो गेम की लत लग जाए तो आमतौर पर वह गुमसुम रहने लगता है. उसकी याददाश्त में कमी आने लगती है. ऐसा दिखे तो डॉक्टर्स या मनौवैज्ञानिकों से मिलने की जरूरत है.

ऑनलाइन गेम एडिक्शन से बच्चों को बचने के तरीके

- सबसे पहले बच्चों को एहसास दिलाएं ऑनलाइन गेम एडिक्शन से नुकसान होता है. उन्होंने बात मान ली तो आप जीत गए. यह सुधार की ओर पहला कदम है.

- माता पिता या अभिबावक बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं. उनके साथ खेंलें. उनसे बातें करें और उनकी बातों को समझने की कोशिश करें.

- ऑनलाइन गेमिंग गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामानों को बेडरूम में न रखें. उसे दूसरी जगह रखें.

- इन सब के बावजूद अगर बच्चों के एडिक्शन कम होते न दिखें तो थैरेपी के लिए उचित परामर्श देने वाले डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक से मिलें.

सरकार ने 59 ऐप्स पर लगाया था प्रतिबंध 

साल 2020 में 3 सितंबर को भारत सरकार ने देश की संप्रुभता, अखंडता और सुरक्षा को प्रभावित करने वाली हरकतें करने वाले 118 ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया था. इनमें PUBG भी शामिल था. भारत में बैन होने के बावजूद PUBG की APK फाइल को डाउनलोड करके जुगाड़ से खेला जा रहा है. वहीं कई राज्यों में इंटरनेट एडिक्शन जैसी बीमारी के इलाज के लिए डिजिटल डी-एडिक्शन सेंटर बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें - World Bank ने क्यों दी Great Inflation की चेतावनी? क्या है बड़ी वजह

संविधान में बेटिंग और गैम्बलिंग राज्य के विषय

साल 2019 में आई अच्युतानंद मिश्रा की एक स्टडी के मुताबिक भारत में हिंसक ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है.संविधान के मुताबिक देश में बेटिंग और गैम्बलिंग राज्य के विषय हैं. विभिन्न राज्यों में इसको लेकर अलग-अलग नियम-कानून लागू होते हैं. कुछ राज्यों में ऑनलाइन गैम्बलिंग और वीडियो गेम में अश्लीलता वगैरह रोकने को लेकर पर कानून हैं. मगर ऑनलाइन गेमिंग और उनसे बढ़ने वाली हिंसक प्रवृत्ति पर रोकथाम के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है.

HIGHLIGHTS

  • हिंसक ऑनलाइन या वीडियो गेम की लत नशे से भी बुरी साबित हुई
  • 2010 से 2020 तक देश में ऑनलाइन गेम खेलने वाले 22 गुना बढ़े
  • ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन बच्चों के विकास के लिए बहुत बड़ी बाधा
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