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आज ही भारत आई थीं मदर टेरेसा, जानें- क्यों सुर्खियों में मिशनरीज ऑफ चैरिटी

आज यानी सात जनवरी को ही मदर टेरेसा पहली बार भारत आई थीं. ठीक 93 साल पहले यानी साल 1929 में वह उत्तर मेसेडोनिया से वाया आयरलैंड लोरेटो कॉन्वेंट कोलकाता पहुंची थीं. आइए, मदर टेरेसा और उनकी संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बारे में विस्तार से जानते हैं.

Updated on: 07 Jan 2022, 01:48 PM

highlights

  • 1929 में मदर टेरेसा आयरलैंड से लोरेटो कॉन्वेंट कोलकाता पहुंची थीं
  • मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी बीते दिनों सुर्खियों में रही
  • मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ नाम से आश्रम खोले

नई दिल्ली:

मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी बीते दिनों सुर्खियों में रही. केंद्र सरकार ने उनकी संस्था के विदेशों से दान लेने के लिए जरूरी  FCRA रजिस्ट्रेशन को रिन्यू करने से मना कर दिया था. इस पर राजनीतिक जगत में काफी बहस हुई. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और नवीन पटनायक ने संस्था की मदद में हाथ बढ़ाया और साथ ही केंद्र पर निशाने साधे. आज यानी सात जनवरी को ही मदर टेरेसा पहली बार भारत आई थीं. आज से 93 साल पहले यानी साल 1929 में वह उत्तर मेसेडोनिया से वाया आयरलैंड लोरेटो कॉन्वेंट कोलकाता पहुंची थीं. आइए, मदर टेरेसा और उनकी संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बारे में जानते हैं.

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को मेसिडोनिया की राजधानी स्कोप्जे शहर (Skopje capital of the Republic of Macedonia) में हुआ था. उनका जन्म 26 अगस्त को हुआ था. बैप्टिज्म की वजह से वह खुद अपना जन्मदिन 27 अगस्त मानती थीं. उनके पिता का नाम निकोला बोयाजू और माता का नाम द्राना बोयाजू था. मदर टेरेसा का असली नाम ‘एगनेस गोंझा बोयाजिजू’ (Agnes Gonxha Bojaxhiu) था. अलबेनियन भाषा में गोंझा का मकलब कली होता है. उनके पिता के गुजरने के बाद माता ने ही पालन किया. पांच भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं. उनके जन्म के समय उनकी बड़ी बहन आच्च की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी. बाकी दो बचपन में ही गुजर गए थे. चर्च में गोंझा को एक नया नाम ‘सिस्टर टेरेसा’ दिया गया था.

जीवन और उपलब्धि

साल 1944 में वह सेंट मैरी स्कूल की प्रिंसिपल बन गईं. मदर टेरेसा ने जरूरी नर्सिग ट्रेनिंग पूरी करने 1948 में वापस कोलकाता का रुख किया और वहां तालतला गई में गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं. साल 1949 में मदर टेरेसा ने गरीब, असहाय और बीमार लोगों की मदद के लिए ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की. इसे 7 अक्टूबर, 1950 को रोमन कैथोलिक चर्च ने मान्यता दी.  इसी के साथ ही उन्होंने पारंपरिक वस्त्रों को त्यागकर नीली किनारी वाली साड़ी पहनने का फैसला किया. मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले. साल 1962 में भारत सरकार ने उनकी समाज सेवा और जन कल्याण की भावना की कद्र करते हुए उन्हें “पद्म श्री” से नवाजा. 1980 में मदर टेरेसा को उनके कार्यों के कारण भारत सरकार ने “भारत रत्‍न” से सम्मानित किया. दुनिया भर में फैले मिशनरी के कार्यों की वजह से मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला.

अखिरी समय

वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गईं. वही उन्हें पहला हार्ट अटैक आ गया. इसके बाद साल 1989 में उन्हें दूसरा अटैक आया. लगातार गिरती सेहत की वजह से 05 सितम्बर, 1997 को उनका निधन हो गया. उस समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं विश्व के 123 देशों में समाज सेवा में लगी थीं. समाज सेवा और गरीबों की देखभाल करने के लिए मदर टेरेसा को पोप जॉन पाल द्वितीय ने 19 अक्टूबर, 2003 को रोम में  “धन्य” घोषित किया था.

विवादों में नाम

भारत में  मदर टेरेसा और मिशनरीज ऑफ चैरिटीज पर लंबे समय से कभी प्रलोभन देकर और कभी जबरन धर्मांतरण करने के आरोप लगाते रहे हैं. हाल ही में गुजरात के वडोदरा में जिला प्रशासन के एक अधिकारी की शिकायत पर संस्था के खिलाफ युवा लड़कियों को फुसला कर ईसाई बनाने से जुड़ा एक मामला दर्ज किया. इससे पहले झारखंड और पश्चिम बंगाल में नवजात बच्चियों की खरीद फरोख्त के मामले में संस्था का नाम सुर्खियों में रहा था. वीकिपीडिया के मुताबिक मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटीज पर अब तक लगे आरोपों की सूची में मरते हुए लोगों का बपतिस्मा करके जबरन धर्मपरिवर्तन करना, गर्भपात और अन्य महिला अधिकारों का हनन करना, तानाशाहों और विवादास्पद लोगों का समर्थन करना करना, अपराधियों से पैसा लेना शामिल हैं. उनके आलोचकों का कहना है कि जब वह खुद बीमार पड़ीं तो सबसे महंगे अस्पताल में भर्ती हुईं, जबकि दूसरों को अपनी कृपा से ठीक करने का दावा करती रहीं.

पूरा मामला

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 दिसंबर को एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए मदर टेरेसा द्वारा कोलकाता में स्थापित ‘‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी'' के आवेदन को पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण खारिज कर दिया था. गृह मंत्रालय ने एक बयान में यह भी बताया था कि उसने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के किसी खाते से लेनदेन को नहीं रोका है, बल्कि भारतीय स्टेट बैंक ने सूचित किया है कि संस्था ने खुद बैंक को खातों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने भी बयान जारी कर बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसके किसी भी बैंक खाते को फ्रीज करने का आदेश नहीं दिया है. संस्था ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि FCRA न तो निलंबित किया गया है और न ही रद्द किया गया है.

दो मुख्यमंत्री

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि कि वह ओडिशा में चैरिटी की ओर से  संचालित किए जाने वाले 13 संस्‍थानों को मुख्‍यमंत्री राहत कोष की ओर से ₹ 78.76 लाख की मदद देगा. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'यह सुनकर हैरान हूं कि क्रिसमस पर केंद्रीय मंत्रालय ने भारत में मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों को सील कर दिया. उनके 22 हजार मरीजों और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं के बिना छोड़ दिया गया. जबकि कानून सबसे ऊपर है, मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए.'

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क्या है FCRA कानून

देश के एनजीओ को विदेशी रकम हासिल करने के लिए एफसीआरए के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है. एफसीआरए के तहत कुल 22,762 गैर सरकारी संगठन पंजीकृत हैं. इनमें से अब तक 6500 के नवीनीकरण के लिए आवेदन को आगे बढ़ाया गया है. इसका फायदा ऐसे एनजीओ को होगा जिनके पंजीकरण की मान्यता 29 सितंबर 2020 और 31 मार्च 2022 के बीच खत्म हो रही है और जिन्होंने प्रमाणपत्रों की वैधता समाप्त होने से पहले नवीनीकरण के लिए एफसीआरए पोर्टल पर आवेदन दिए हैं.