Advertisment

भीमा कोरेगांव और नक्सलियों के बीच क्या है कनेक्शन, जानें यहां

21 अक्टूबर, 2019 को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद वहां शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की साझा सरकार बन गई. यानि वो पार्टियां सत्ता में आ गईं जो भीमा-कोरेगांव केस की जांच पर सवाल उठा चुकी थीं.

author-image
Sunil Chaurasia
New Update
भीमा कोरेगांव और नक्सलियों के बीच क्या है कनेक्शन, जानें यहां

भीमा कोरेगांव और नक्सलियों के बीच क्या है कनेक्शन, जानें यहां( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

1 जनवरी, 2018 को पुणे जिले के छोटे से गांव भीमा-कोरेगांव में एक जश्न के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसा हुई थी. दो समूहों के बीच संघर्ष में एक युवक की मौत हो गई थी और चार लोग घायल हुए थे। इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद इसकी आंच महाराष्ट्र के 18 जिलों तक फैल गई। पुलिस ने कई आरोपियों के संबंध नक्सलियों से होने का आरोप लगाया. इस हिंसा के विरोध में दलित संगठनों ने बंद बुलाया था जिसमें मुंबई, नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद और सोलापुर सहित राज्य के एक दर्जन से अधिक शहरों में दलित संगठनों ने जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी।

महाराष्ट्र के पुणे से शुरू हुई जातीय हिंसा मुंबई और कई अन्य शहरों तक पहुंच गई। कई जगह दुकानों और ऑफिसों को आग के हवाले कर दिया गया। हालात बिगड़ते देख खुद राज्य के मुख्यमंत्री ने मामले में न्यायिक जांच के अलावा मृतक के परिजन को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की. 28 अगस्त, 2019 को पुणे पुलिस ने देश के अलग-अलग हिस्सों में छापे मारकर कई गिरफ्तारियां की. उस दौरान ऐसा भी कहा गया कि प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रची जा रही थी. ये वे लोग थे, जिनकी ब्रांडिंग ‘अर्बन-नक्सल’ के तौर पर की जा चुकी थी.

21 अक्टूबर, 2019 को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद वहां शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की साझा सरकार बन गई. यानि वो पार्टियां सत्ता में आ गईं जो भीमा-कोरेगांव केस की जांच पर सवाल उठा चुकी थीं. नई सरकार बनने के साथ ही केस की समीक्षा की चर्चा शुरु हो गई. 21 जनवरी, 2020 को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भीमा-कोरेगांव केस की फाइल दोबारा खोलने बात कही. 24 जनवरी, 2020 को केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने केस अचानक अपने हाथ में ले लिया.

क्या हैं आरोप

  • 19 दिसम्बर 2019 को एल्गार परिषद केस में 19 आरोपियों के खिलाफ पुणे पुलिस की ओर से  विशेष UAPA कोर्ट में ड्राफ्ट आरोप दाखिल किए गए थे.
  • इनके खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साज़िश रचने, महाराष्ट्र समेत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का केस दर्ज किया है. 
  • पुणे पुलिस ने इनके खिलाफ 16 आरोप लगाए हैं. आठ आरोपियों पर आतंक विरोधी गैरकानूनी गतिविधियां (प्रतिबंध) कानून के तहत आरोप हैं.
  • आरोपों के मुताबिक माओवादियों ने एम4 राइफलों के साथ 40,000 राउंड गोलाबारूद हासिल करने की साजिश रची थी. इसके जरिए उनका मंसूबा पहले सुरक्षाबलों पर हमले करना और फिर लोकतांत्रिक तौर पर निर्वाचित सरकार का तख्ता पलटने का था.
  • आरोपों के ड्राफ्ट में माओवादियों की ओर से रूसी ग्रेनेड लॉन्चर, जर्मन ऑटोमैटिक ग्रेनेड लॉन्चर, विस्फोटक हासिल करने की साजिश का भी जिक्र है. हथियार और गोलाबारूद एक संपर्क के जरिए नेपाल और मणिपुर के रास्ते देश में लाए जाने थे. इसके लिए आरोपियों का इरादा 8 करोड़ का फंड इकट्ठा करने का था.
  • आरोपों के ड्राफ्ट में बताया गया है कि कैसे आरोपियों ने रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची थी. इसके लिए आरोपी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जिस तरह हत्या की गई थी, वैसा ही तरीका अपनाना चाहते थे.
  • पुणे पुलिस ने 2018 में रोना विल्सन, शोमा सेन, सुधीर धावले, सुरेंद्र गेडलिंग, महेश राउत, पी वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, वरनोन गोंसालविस और अरुण फेरेरा को गिरफ्तार किया था.
  • इनमें मिलिंद तेलतुंबडे, प्रकाश उर्फ नवीन, किशन उर्फ प्रशांतो बोस, मंगलू और दीपू शामिल हैं.  
  • केस में आरोपी के तौर पर गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबडे के नाम भी हैं.
  • महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार और माओवादियों से जुड़े लोग दलितों को लामबंद करने की कोशिश में जुटे थे.
  • पुलिस के मुताबिक ये लोग महाराष्ट्र सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकना चाहते थे.
  • महाराष्ट्र पुलिस ने ये जानकारी 13 मार्च 2019 को बॉम्बे हाईकोर्ट को दी थी.

छत्तीसगढ़ में नक्सली घटनाएं

  • 2018-392  नक्सली हमले, 125  नक्सली मारे गये, 55  जवान शहीद, 98  सिविलियन की मौत
  • 2019-263  नक्सली हमले, 79  नक्सली मारे गये, 22  जवान शहीद, 55  सिविलियन की मौत
  • 2020-315  नक्सली हमले, 44  नक्सली मारे गये, 36  जवान शहीद, 75  सिविलियन की मौत

देशभर में नक्सली घटनाएं

  • 2018-833  नक्सली हमले, 225  नक्सली मारे गये, 67  जवान शहीद, 175  सिविलियन की मौत
  • 2019-670  नक्सली हमले, 145  नक्सली मारे गये, 52  जवान शहीद, 150  सिविलियन की मौत
  • 2020-665  नक्सली हमले, 103  नक्सली मारे गये, 43  जवान शहीद, 1540  सिविलियन की मौत

छत्तीसगढ़ में आधी हुई नक्सलियों की संख्या

  • छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की संख्या घटकर आधी रह गयी है.
  • छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित 13 जिलों में माओवादियों की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है.
  • नक्सली लड़ाकों और उनके मिलिशिया कैडर की संख्याबल पिछले 5-7 सालों में आधी रह गई है.
  • मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक माओवादी लड़ाकों की संख्या करीब 6000 से घटकर अब करीब 3000 रह गयी है.
  • नक्सल प्रभावित जिलों में सबसे अधिक 700 सशस्त्र एवं मिलिशिया नक्सली लड़ाके सुकमा जिले में सक्रिय हैं.
  • करीब 600 बीजापुर जिले में, 600 नारायणपुर में और 200-250 लड़ाके दंतेवाड़ा जिले में सक्रिय हैं.
  • बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, राजनांदगांव, कबीरधाम, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद और बलरामपुर में भी नक्सली सक्रिय हैं.
  • माओवादियों के गिरते कैडर संख्या का मुख्य कारण करीब 80 हजार सुरक्षाकर्मियों की तैनाती है.
  • कई बड़े नक्सली नेताओं की मौत के कारण आया वैचारिक खालीपन भी नक्सलियों की संख्या में कमी की बड़ी वजह है.
  • दिसंबर 2019 में हुई एक करोड़ से भी ज्यादा का वांछित इनामी नक्सली रमन्ना मारा गया था.
  • पिछले पांच वर्षों में कई बड़े माओवादी नेता या तो मारे गए या गिरफ्तार कर लिए गए या फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया.
  • नक्सल कैडर में वैचारिक प्रचार प्रसार को नेतृत्व देने के लिए रिसोर्स पर्सन का लगातार अभाव हो रहा है.

Source : News Nation Bureau

Bhima Koregaon and Naxal Connection naxal Bhima Koregaon and Naxal Urban Naxal Bhima koregaon
Advertisment
Advertisment
Advertisment