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जगजीत सिंह और निदा फाजली... 8 फरवरी का शायराना संयोग

मुक्तदा हसन निदा फाजली ने 78 साल की उम्र में 8 फरवरी, 2016 को आखिरी सांस ली. वहीं जगजीत सिंह 8 फरवरी 1941 को पैदा हुए थे. 

Updated on: 08 Feb 2022, 12:14 PM

highlights

  • निदा फाजली की अधिकतर गजलों को गायक जगजीत सिंह ने ही आवाज दी थी
  • जगजीत सिंह के गाने के बाद निदा के गजलों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया 
  • 1990 के दशक में जगजीत सिंह ने निदा फाज़ली के दोहों का एलबम इनसाइट निकाला

New Delhi:

सुरों के सरताज जगजीत सिंह, हर्फों के उस्ताद निदा फाजली और आठ फरवरी की तारीख का अजब शायराना संयोग है. एक ने होठों से छूकर दूसरे के हाथों से लिखे को अमर कर दिया. निदा फाजली साहब आठ फरवरी को ही दुनिया से रुखसत हुए. वहीं जगजीत सिंह इसी तारीख को जग को जीतने दुनिया में आए थे. मुक्तदा हसन निदा फाजली ने 78 साल की उम्र में 8 फरवरी, 2016 को आखिरी सांस ली. वहीं जगजीत सिंह 8 फरवरी 1941 को पैदा हुए थे. 

जगजीत सिंह ने निदा फाजली से पहले दुनिया छोड़ दी थी. पूरी दुनिया में फैले निदा फाजली के प्रशंसको में अधिकतर उन्हें जगजीत सिंह की आवाज में ही सुन रहे हैं. मशहूर शायर निदा फाजली की अधिकतर गजलों को गायक जगजीत सिंह ने ही आवाज दी. इसको ऐसे भी कह सकते हैं कि निदा फाजली ने जगजीत सिंह की गायकी को नायाब नज्में और गजलें भेंट की. दुनिया भर में दोनों को चाहने वाले इनको एक साथ भी याद करते हैं. कुदरत के चलते भी ये एक ऐसा दिन दोनों के दीवानों के सामने आ गया था.

'इनसाइट' में शानदार 'जुगलबंदी'

निदा फाजली और जगजीत सिंह के शब्द और स्वर या हर्फ और अल्फाज की जोड़ी का असर खुमार की तरह छाया रहा. इन दोनों के साथ आने पर उठा नशा हमेशा बढ़ता ही देखा गया. उनके कुछ खास गानों से जब भी लोग रूबरू होते हैं, खो जाते हैं. 1990 के दशक में जगजीत सिंह ने निदा फाज़ली के दोहों का एलबम गाया था. उसने लोकप्रियता का रिकॉर्ड कायम कर दिया था. इस एलबम का नाम था इनसाइट . इसमें भारत की साझी संस्कृति और मानवीयता को बड़ी मासूमियत के साथ पिरोया गया है. बेहद सादगी भरी लिखावट और मधुर आवाज से इस एलबम का जादू अब भी लोगों के सर चढ़कर बोलता है.

निदा के लिए जगजीत ने नहीं ली फीस

फिल्मी गानों में सरफरोश का ‘होशवालों को खबर क्या, बेखुदी क्या चीज़ है’ बहुत लोकप्रिय हुआ था. साल 2012 में 8 फरवरी को जगजीत सिंह को याद करते हुए निदा साहब ने इस गाने को दोहराया था. जानकर हैरत होगी कि इस गजल को गाने के लिए जगजीत सिंह ने फिल्म बनाने वालों से कोई फीस नहीं ली थी.

यूट्यूब पर दोनों से जुड़ी बड़ी मिसाल

निदा फाजली के लिखे धूप में निकलो, घटाओ में नहाकर देखो का जगजीत सिंह के गाने के बाद कई भाषाओं मेंअनुवाद किया गया. अंग्रेजी में इसका अनुवाद करने वाले मुख्तार लायलपुरी ने ही यूट्यूब पर जगजीत सिंह के गाए और निदा के लिखे दोहा, गजल और गानों को सबसे ज्यादा अपलोड किया है.

ना था कुछ तो...

इन दोनों शाहकारों ने साथ मिलकर अंदाजे बयां और.. यानी मिर्जा गालिब को संगीत प्रेमियों के बीच भी शान और सज-धज से पेश करवाया. इसमें गालिब और उनकी रचनाओं पर निदा के नोट्स के साथ जगजीत की आवाज ने प्रशंसकों पर जादू कर दिया था. ना था कुछ... नाम से लोगों के सामने आए इस एलबम ने
लोगों के बीच अब तक अपनी खास जगह बनाई हुई है.

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और ये सुपरहिट

साल 2001 में आई अनुभव सिन्हा की हिंदी फिल्म तुम बिन में निदा के लिखे और जगजीत के गाए गजल कोई फरियाद तेरे दिल में छुपी हो जैसे...  ने तब हर घर में कब्जा जमा लिया था. इस सुपरहिट गजल के लिए लिखने और गाने वाले दोनों ने लंबा वक्त लिया था. आज भी प्रशंसकों के बीच ये गजल सुपरहिट है.