logo-image

Happy Friendship Day 2023: मोदी-शाह से लेकर राजीव-अमिताभ तक, जानें पॉलिटिक्स के 'जिगरी यारों' के किस्से 

अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस (International Friendship Day) के मौके जानें सियासी दोस्ती के किस्से. सियासत में भी दोस्ती के कई उदाहरण हैं.

Updated on: 05 Aug 2023, 03:43 PM

highlights

  • Happy Friendship Day 2023
  • सियासत में दोस्ती के किस्से.
  • सियासी गलियारों में दोस्ती की कहानियां. 

नई दिल्ली:

International Friendship Day 2023: राजनीति (Politics) को लेकर अक्सर ये कहा जाता रहा है कि सियासी तौर पर ना तो कोई दुश्मन होता है और ना ही दोस्त. राजनीति पूरी तरह से संभावनाओं का खेल है और मकसद होता है सिंहासन के शीर्ष तक पहुंचना. लेकिन सियासत में भी दोस्ती का खासा रंग चढ़ता है. सियासी गलियारों में भी दोस्ती की कई ऐसी कहानियां हैं, जो अपने जमाने में काफी मशहूर रहीं. अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस (International Friendship Day) के  मौके पर हम सियासी दोस्ती के किस्सों से आपको रूबरू करवाएंगे. 

दोस्ती के किस्से 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह, देश के पूर्व पीएम राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन, नीतीश कुमार और लालू यादव, अमर सिंह और मुलायम सिंह यादव की दोस्ती ऐसे तमाम उदाहरण हैं, जिनकी मित्रता के बारे में हम सभी जानते हैं. सियासी पिच पर कभी एक साथ बैटिंग करने वाले इनमें से कई दिग्गजों के रास्ते भले ही अगल हो गए हों लेकिन मित्र तो मित्र ही होता है. मित्रता दिवस के इस अवसर पर हम आपको ऐसे ही कुछ दोस्तों  के बारे में बताने जा रहे हैं जो पहले अच्छे दोस्त थे, लेकिन सियासत ने दोस्ती के बीच मतभेद को बढ़ा दिया.

अटल और आडवाणी की दोस्ती 

अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) की दोस्ती, इन दोनों दिग्गज नेताओं का रिश्ता दोस्ती से भी बढ़कर था. दोनों लगभग साथ में सियासत में आए थे और संघर्ष भी साथ-साथ किया. 1998 में जब बीजेपी इकलौती बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तब रथयात्रा को लेकर चर्चित हुए आडवाणी ने अपनी राजनीतिक महात्वाकांक्षा को किनारे रखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता प्रशस्त किया था.

नरेंद्र मोदी और अमित शाह की मित्रता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) बीजेपी में अमित शाह (Amit Shah) पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं. दोनों के बीच दोस्ती करीब 40 साल पुरानी है. दोनों आरएसएस के जरिए एक दूसरे से मिले थे. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो अमित शाह गृह राज्य मंत्री बने. आज जब मोदी प्रधानमंत्री हैं तो अमित शाह गृह मंत्री हैं. आज की भारतीय राजनीति में कोई भी अमित शाह और मोदी की दोस्ती के आस-पास नहीं नजर आता है. मोदी और शाह की सफल जोड़ी में दोस्ती तो है कि साथ ही सियासी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में दोनों की कड़ी मेहनत भी नजर आती है. 

लालू प्रसाद यादव और नीतीश की मित्रता 

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad yadav) और वर्तमान सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की दोस्ती भी किसी  से छिपी नहीं है. दोनों के बीच पहले से ही गहरी मित्रता रही है. लेकिन सियासत में कई बार वो दौर भी आया जब दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी नजर आए. दोनों की दोस्ती के बीच बार दरार भी देखने को मिली. कई बार नीतीश कुमार ने सियासी पैंतरे बदले और लालू की दोस्ती को ताक पर रखकर बीजेपी के पाले में खड़े नजर आए. फिलहाल दोनों के बीच अभी भी दोस्ती है, लेकिन ये संबंध सियासत की जरूरत से अधिक कुछ और नहीं कहा जा सकता है. 

राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की दोस्ती 

अमिताभ (Amitabh Bachchan) जब राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) से मिले थे, तब वो सिर्फ 4 साल के थे. वहीं राजीव गांधी की उम्र 2 साल थी. उनकी पहली मुलाकात उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद यानी आज के प्रयागराज में 'बिग बी' के जन्मदिन की पार्टी पर हुई थी. अमिताभ की मां तेजी बच्चन और राजीव गांधी की मां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी संबंध थे. अमिताभ को इंदिरा अपना तीसरा बेटा मानती थीं. इंदिरा गांधी की मौत के बाद अमिताभ उनकी अंतिम यात्रा में पहुंचे और पूरे समय उनके शव के पास ही बैठे रहे थे. राजीव गांधी ने सोनिया गांधी के बारे में सबसे पहले अमिताभ बच्चन को ही बताया था. 

अमर और मुलायम की यारी 

अमर सिंह और मुलायम सिंह के बीच दोस्ती कितनी गहरी थी, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मुलायम सिंह ने अमर सिंह को पार्टी का महासचिव बना दिया था. पहली बार 2002 में जब सैफई महोत्सव हुआ था तो अमर सिंह अमिताभ बच्चन से लेकर कई बॉलीवुड हस्तियों को लेकर यहां पहुंचे थे. जिस तरह से बॉलीवुड की तमाम हस्तियां सैफई पहुंची थीं उससे ना सिर्फ सैफई के लोग हैरान थे बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में इसकी चर्चा हुई थी. अमर सिंह और मुलायम सिंह की पहली मुलातात एक हवाई यात्रा के दौरान हुई थी. वर्ष 1996 में जब मुलायम सिंह यादव हवाई यात्रा कर रहे थे तो उसी फ्लाइट में मुलायम सिंह की मुलाकात बिजनेसमैन अमर सिंह से हुई थी. उस वक्त मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री थे.

खराब हुए रिश्ते

2010 वो साल था जब अमर सिंह सपा से दूर होते चले गए. दो दशक तक पूर्वांचल की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने वाले अमर को जब साल 2010 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया गया तो उन्होंने पू्र्वांचल को अलग राज्य घोषित करने की मांग के साथ अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच का गठन किया. अमर सिंह पर मुलायम परिवार को तोड़ने का आरोप भी लगा. मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव ने ही अमर सिंह पर आरोप लगाया कि वो उनके परिवार को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. अखिलेश ने अमर सिंह को बाहरी व्यक्ति तक बता दिया था.