'वीर सावरकर अगर अंग्रेजों के पिट्ठू थे, तो इंदिरा गांधी ने ये चिट्ठी क्यों लिखी'

इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में वीर सावरकर के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था. साथ ही सावरकर ट्रस्ट को अपने पास से 11 हजार रुपए का दान भी दिया था.

इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में वीर सावरकर के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था. साथ ही सावरकर ट्रस्ट को अपने पास से 11 हजार रुपए का दान भी दिया था.

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Nihar Saxena
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Indira Gandhi

इंदिरा गांधी ने पत्र लिखकर वीर सावरकर को भारत माता का महान सपूत बताया.( Photo Credit : (फाइल फोटो))

आज भले ही कांग्रेस वीर सावरकर को भारत रत्न देने के प्रस्ताव मात्र पर बीजेपी को कठघरे में खड़ा कर रही है, लेकिन वह अकेली दोषी है भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को बिसराने के लिए. यहां तक कि मुस्लिम तुष्टीकरण के फेर में कांग्रेस के आज के नेता अपनी ही नेता और प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी के उस पत्र को भी तवज्जो नहीं देने पर आमादा है, जिसमें उन्होंने न सिर्फ वीर सावरकर की प्रशंसा की थी, बल्कि उन्हें भारत माता का महान सपूत तक करार दिया था. यह वीर सावरकर ही थे जिन्होंने महात्मा गांधी समेत कांग्रेस के तत्कालीन दिग्गज नेताओं को मुस्लिम तुष्टीकरण से बाज आने को कहा था.

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यह कहा था इंदिरा गांधी ने पत्र में
हालांकि इतिहास में वह पत्र भी दर्ज है, जो इंदिरा गांधी ने स्वतांत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक को लिखा था. 20 मई 1980 को इंदिरा गांधी ने स्मारक के सचिव पंडित बाखले को लिखा था. इस पत्र में उन्होंने लिखा था, 'मुझे आपका 8 मई 1980 को भेजा पत्र मिला. वीर सावरकर का अंग्रेजी हुक्मरानों का खुलेआम विरोध करना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक अलग और अहम स्थान रखता है. मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें और भारत माता के इस महान सपूत की 100वीं जयंती के उत्सव को योजनानुसार पूरी भव्यता के साथ मनाएं.'

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यह भी किया था इंदिरा गांधी ने
यही नहीं, इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में वीर सावरकर के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था. साथ ही सावरकर ट्रस्ट को अपने पास से 11 हजार रुपए का दान भी दिया था. और तो और, 1983 में फिल्म डिवीजन को वीर सावरकर पर एक वृत्त चित्र बनाने का आदेश भी दिया था ताकि आने वाली पीढ़ियों को 'इस महान क्रांतिकारी' के बारे में न सिर्फ पता चल सके बल्कि पीढ़ियां जान सकें कि वीर सावरकर ने देश की आजादी में क्या और किस तरह से योगदान दिया.

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कांग्रेस इस सच्चाई को बिदराने में जुटी
इंदिरा गांधी का यह पत्र ही बताता है कि उन्हें वीर सावरकर के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान का न सिर्फ भान था, बल्कि वे उनके विचारों का सम्मान भी करती थीं. यह अलग बात है कि आज सिर्फ चंद वोटों की खातिर कांग्रेस वीर सावरकर के खिलाफ दुष्प्रचार में लगी है. यहां तक कि वे अपनी ही नेता इंदिरा गांधी के पत्र और वीर सावरकर के प्रति उनकी भावनाओं का अनादर करने में लगे हैं.

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इसलिए मचा है हंगामा
दरअसल वीर सावरकर को लेकर राजनीतिक वितंडा इसलिए मचा है, क्योंकि बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव में अपने घोषणा पत्र में जीत कर आने के बाद वीर सावरकर को भारत रत्न देने का वादा किया है. इसके बाद से ही एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन औवेसी समेत मणिशंकर अय्यर और अन्य कांग्रेसी नेता वीर सावरकर को लेकर दुष्प्रचार करने में लगे हैं. कांग्रेसियों के दुष्प्रचार का सबसे बड़ा अस्त्र यही है कि वीर सावरकर अंग्रेजों के पिट्ठु थे और उन्होंने काला पानी की सजा से बचने के लिए अंग्रेज हुक्मरानों से क्षमा याचना की थी.

HIGHLIGHTS

  • इंदिरा गांधी ने पत्र में वीर सावरकर को भारत माता का महान सपूत बताया.
  • इसके पहले वीर सावरकर पर डाक टिकट भी जारी किया था सावरकर पर.
  • कांग्रेस के आज के नेता वोटों की खातिर सावरकर के खिलाफ कर रहे दुष्प्रचार.
British Stooge Indira gandhi Congress Propaganda Praising Letter Veer Savarkar
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