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Independence Day 2021: मनाएं आजादी का जश्न, पहले जान लें कुछ रोचक किस्से

Independence Day 2021: अंग्रेजों ने 15 अगस्त को इसलिए भी चुना, क्योंकि इसी दिन दूसरे विश्व युद्ध में मित्र देशों की सेना के सामने जापान ने घुटने टेके थे.

Updated on: 11 Aug 2021, 02:11 PM

highlights

  • पाकिस्तान ने अपना आजादी का दिन 15 अगस्त के बजाय 14 अगस्त को चुना.
  • 15 अगस्त, 1947 के समय 1 डॉलर की भारतीय मुद्रा कीमत के मुकाबले 1 रुपये था

नई दिल्ली :

Independence Day 2021: 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व के जोश में यह जानना भी कम दिलचस्प नहीं है कि पहले आजादी 26 जनवरी 1948 को मिलनी तय हुई थी, लेकिन देश भर में हो रही सांप्रदायिक हिंसा के चलते फैसला बदलना पड़ा और आजादी के लिए तय हुआ 15 अगस्त 1947 का दिन. अंग्रेजों ने 15 अगस्त को इसलिए भी चुना, क्योंकि इसी दिन दूसरे विश्व युद्ध में मित्र देशों की सेना के सामने जापान ने घुटने टेके थे. और तो और, 15 अगस्त वाले दिन आजादी के एलान के बाद ज्योतिषियों ने आपत्ति जताते हुए आजादी के लिए इस दिन को शुभ नहीं माना था. अंततः यह तय हुआ कि आजादी का समारोह 14 अगस्त की रात से ही शुरू किया जाए. हुआ भी ऐसा ही. संसद के केंद्रीय कक्ष में आजादी के एलान का भव्य आयोजन हुआ. 14 अगस्त की रात को 11 बजे इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की शुरूआत हुई, जिसकी शुरूआत वंदे मातरम से हुई.

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स्वतंत्रता दिवस से जुड़े रोचक किस्से

  • पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस भी पहले 15 अगस्त ही रखा गया था. यह अलग बात है कि 14 अगस्त को रमजान का 27वां दिन था, जिसे पवित्र दिन माना जाता है. इसी कारण पाकिस्तान ने अपना आजादी का दिन 15 अगस्त के बजाय 14 अगस्त को चुना.
  • 15 अगस्त 1947 से पहले ही राष्ट्रीय ध्वज अपना लिया गया था. पहले अपनाए गए ध्वज में चरखा था. हालांकि 22 जुलाई 1947 को वर्तमान ध्वज अपनाया गया, जिसके बीच में अशोक का धर्म चक्र आया.
  • भारत देश की आजादी के जश्न के कार्यक्रम में सबसे पहले आजादी के लिए होने वाले शहीदों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया, जिसके बाद 3 वक्ताओं ने अपनी बात कही. सबसे पहले कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सदन में अपनी बात कही. इसके बाद जवाहर लाल नेहरू ने मशहूर 'नियति से मुलाकात' भाषण दिया. अमूमन माना जाता है कि पं. नेहरू ने ठीक 12 बजे अपना भाषण दिया था. हकीकत इससे अलग है.
  • भारत के स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था. लेकिन जब देश को 15 अगस्त, 1947 को आज़ादी मिली तो वे इसके जश्न में शामिल नहीं हुए. बापू आज़ादी के दिन दिल्ली से हज़ारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन पर थे.
  • भारत को 15 अगस्त को आज़ादी मिलने की पुष्टि पर जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को ख़त भेजा. इस ख़त में लिखा था कि 15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा. आप राष्ट्रपिता हैं. इसमें शामिल हो अपना आशीर्वाद दें. गांधीजी ने इस ख़त का जवाब भिजवाया 'जब कलकत्ते में हिंदु-
  • मुस्लिम एक दूसरे की जान ले रहे हैं, ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे आ सकता हूं. मैं दंगा रोकने के लिए अपनी जान दे दूंगा.'
  • पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टनी' 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था. तब नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे. इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधी उस दिन नौ बजे सोने चले गए थे.
  • 15 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया. दोपहर में पंडित नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया.
  • हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं. लेकिन 15 अगस्त 1947 को ऐसा नहीं हुआ था. लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था.
  • 15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था. इसका फ़ैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ.
  • भारत 15 अगस्त को आज़ाद जरूर हो गया, लेकिन उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था. रवींद्रनाथ टैगोर जन-गण-मन 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया.
  • 15 अगस्त 1950 को असम में भयंकर भूकंप आया था जिसमें 1500 से 3000 लोगों की मौत की खबर आई थी. ये सभी मलबे के नीचे दबकर मर गए थे.
  • 15 अगस्त 1872 को ब्रिटिश राज में भारत को आजादी दिलाने में सहायक महर्षि अरबिंदो घोष ने जन्म लिया था. बाद में उन्होंने क्रांतिकारी बनकर अंग्रेजों से लोहा लिए थे.
  • 15 अगस्त, 1854 को ईस्ट इंडिया रेलवे ने कलकत्ता (आज कोलकाता) से हुगली के लिए पहली यात्री ट्रेन चलाई गई थी. इसका संचालन साल 1855 से शुरु कर दिया गया था.
  • आजादी के समय भारत में करीब 662 रियासतें थीं जिसमें 565 रजवाड़े ब्रिटिश शासन में थे. 565 रजवाड़ों में से 552 रियासतों ने अपनी इच्छा से भारतीय परिसंघ में शामिल किया था. इसमें जूनागढ़, हैदराबाद, त्रावणकोर और कश्मीर को छोड़कर बाकी रियासतें पाकिस्तान के हक में आई थीं.
  • 15 अगस्त, 1947 के समय 1 डॉलर की भारतीय मुद्रा कीमत के मुकाबले 1 रुपये था और सोने का भाव 88 रुपये प्रति 10 ग्राम था जिसकी कीमत आज कई हजार रुपयों में है.

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आपको जानकर यह भी ताज्जुब होगी कि भारत के साथ 5 और देश 15 अगस्त को अपना आजादी का जश्न मनाते हैं. इन देशों के नाम हैं उत्तरी कोरिया, दक्षिणी कोरिया, बहरीन, कांगो औऱ लीख़्टेंश्टाइन.