logo-image

काशी विश्वनाथ धाम के रूप में 436 साल में तीसरी बार मंदिर का जीर्णोद्धार

इसी तारीख को लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले संसद पर आतंकी हमला हुआ था. दूसरे 14 दिसंबर से खरमास भी शुरू हो रहा है.

Updated on: 13 Dec 2021, 02:15 PM

highlights

  • 55 लाख वर्ग फीट में फैला है काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर
  • पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को खुद रखी थी नींव
  • चारों दिशाओं में 32 फीट ऊंचे और 40 फीट चौड़े किले जैसे फाटक

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार से अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दो दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरान पीएम मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के फेज-1 का उद्घाटन करेंगे, जिसके निर्माण पर 339 करोड़ रुपए का खर्च आया है. इस ऐतिहासिक अवसर की महत्ता को उजागर करते ट्वीट में पीएम मोदी लिखते हैं कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से वाराणसी की आध्यात्मिक चमक विश्व के कोने-कोने में फैलेगी. यही नहीं, पीएम एम मोदी ने कॉरिडोर के लिए 13 तारीख का चयन भी खास रणनीति के तहत किया है. इसी तारीख को लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले संसद पर आतंकी हमला हुआ था. दूसरे 14 दिसंबर से खरमास भी शुरू हो रहा है. ऐसे में 13 तारीख का चयन एक खास रणनीति का हिस्सा है. 

352 साल पहले रानी अहिल्याबाई ने कराया था जीर्णोद्धार
हिंदू धर्म के लिहाज से देखें तो काशी का ज्योर्तिलिंग 12 में सबसे महत्वपूर्ण है. इसके दर्शन करने लाखों श्रद्धालू हर साल वाराणसी पहुंचते हैं. जीर्णोद्धार से पहले बाबा का मंदिर सिर्फ 3 हजार मीटर में फैला हुआ था. अब नई भव्यता के साथ पूरा मंदिर परिसर लगभग 5 लाख वर्ग फीट के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इस कॉरिडोर की नींव खुद पीएम मोदी ने 8 मार्च 2019 को रखी थी. फेज-1 के तहत 21 इमारतों का उद्घाटन पीएम मोदी करेंगे. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री और बीएचयू के एसवीडिवी के प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि 352 साल पहले रानी अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर पर सोने की परत लगाकर बाबा विश्वनाथ को भव्यता प्रदान की थी. अब बाबा विश्वनाथ को संकरी और बदबूदार गलियों के बीच से निकालकर उसे भव्य स्वरूप देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है.

यह भी पढ़ेंः 21 साल बाद हरनाज़ संधू बनीं मिस यूनिवर्स, सुष्मिता-लारा बाद तीसरी भारतीय

आसान नहीं रहा कॉरिडोर का निर्माण
लगभग 55 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्र में धाम के निर्माण की प्रक्रिया आसान नहीं थी. तंग गलियां, संकरे रस्ते, 315 भवनों का अधिग्रहण, करीब 700 परिवारों, छोटे बड़े दुकानदारों का विस्थापन आदि कई बाधाओं को पार करके काशी विश्वनाथ धाम आज के इस भव्य स्वरूप में आ सका है. वह भी बगैर किसी विवाद के घरों और दुकानों का अधिग्रहण आसान नहीं थी. काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए अधिग्रहण सबसे ज्यादा जटिल प्रक्रिया थी. यहां बसे सभी लोगो की संपत्ति का पहले जिओ टैगिंग कर पूरा विवरण जुटाया गया. फिर मुआवजे से लेकर निर्माण तक की पूरी प्रक्रिया में करीब 600 करोड़ की लागत आई.

विश्‍वनाथ मंदिर का इतिहास
मुगल शासक औरंगजेब के फरमान से 1669 में आदि विश्‍वेश्‍वर के मंदिर को ध्‍वस्‍त किए जाने के बाद 1777 में मराठा साम्राज्‍य की महारानी अहिल्‍याबाई ने विश्‍वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. फिर 1835 में राजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्‍वर्ण मंडित कराया तो राजा औसानगंज त्रिविक्रम सिंह ने मंदिर के गर्भगृह के लिए चांदी के दरवाजे लगवाए थे. काशी विश्‍वनाथ से संबंधित महत्‍वपूर्ण कालखंड पर नजर डालें तो औरंगजेब से पहले 1194 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने काशी विश्‍वनाथ मंदिर पर हमला किया था. 13वीं सदी में एक गुजराती व्‍यापारी ने मंदिर का नवीनीकरण कराया तो 14वीं सदी में शर्की वंश के शासकों ने मंदिर को नुकसान पहुंचाया. 1585 में एक बार फिर टोडरमल ने काशी विश्‍वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था. अब 436 साल में तीसरी बार मंदिर का जीर्णोद्धार विश्‍वनाथ धाम के रूप में हुआ है.

यह भी पढ़ेंः CDS रावत हेलीकॉप्टर हादसा: वीडियो और रिकॉर्ड करने वाला जांच के दायरे में

विश्‍वनाथ धाम में ये होगा बेहद खास

  • जयपुर यानी पिंक सिटी की तरह चुनार के गुलाबी पत्‍थरों से सजा विश्‍वनाथ धाम
  • विश्‍वनाथ दरबार और गंगा की अविरल धारा दिखेगी भक्तों को गंगा व्‍यू गैलरी से  
  • पाइप लाइन से विश्‍वनाथ मंदिर गर्भगृह तक आएगी गंगा की धारा
  • पहला ऐसा आध्‍यात्मिक केंद्र जहां भारत माता की भी प्रतिमा
  • आदि शंकराचार्य और महारानी अहिल्‍याबाई की भी प्रतिमा लगी
  • मुख्‍य मंदिर परिसर का विस्‍तार कर 80 फीट लंबे और 40 फीट चौड़ा परिक्रमा पथ
  • 157 जोड़ी खंभों पर बना है परिक्रमा मंडप
  • 352 साल बाद ज्ञानवापी मंडप-कूप और आदि विश्‍वेश्‍वर के नंदी मुख्‍य मंदिर का हिस्‍सा
  • चारों दिशाओं में 32 फीट ऊंचे और 40 फीट चौड़े किले जैसे फाटक
  • विशाल मंदिर चौक में एक समय में रह सकेंगे 50 हजार श्रद्धालु
  • शिव वन में दिखेंगे रुद्राक्ष, हरसिंगार, मदार आदि के वृक्ष
  • वाराणसी गैलरी में दिखेगी इतिहास से लेकर पहचान से जुड़ी हर चीज
  • कॉरिडोर एरिया के मकानों में कैद रहे 27 प्राचीन मंदिरों की मणिमाला
  • मंदिर परिसर में संगमरमर पर उकेरा गया है काशी के महात्‍म्‍य का चित्रात्‍मक वर्णन

निर्माण से जुड़ी खास बातें

  • चुनार के बलुआ पत्‍थर के अलावा सात प्रकार के लगे हैं पत्‍थर
  • मकराना के दूधिया मार्बल से फ्लोरिंग
  • जैसलमेर का मंडाना स्‍टोन घाट किनारे सीढि़यों पर
  • वैदिक केंद्र, संग्रहालय व खास भवनों में ग्रेनाइट और कोटा
  • भूकंप और भूस्‍खलन से बचाने को पत्‍थरों को पीतल की प्‍लेटों से जोड़ा गया
  • 18 इंच लंबी तथा 600 ग्राम वजनी पीतल की प्‍लेटों को 12 इंच की गुलिल्यों से कसा गया
  • पीतल और पत्‍थरों के बीच की जगह भरने के लिए केमिकल लेपाक्‍स अल्‍ट्रा फिक्‍स का इस्‍तेमाल

श्रद्धालुओं के लिए खास सुविधाएं

    • तीन विश्रामालय, वैदिक केंद्र स्‍प्रिचुअल बुक स्‍टोर
    • कल्‍चरल सेंटर, टूरिस्‍ट फैलिसिटेशन सेंटर, सिटी म्‍यूजियम
    • मोक्ष भवन में 18 दंपतियों के रहने की सुविधा
    • भोगशाला व दशनार्थी सुविधा केंद्र, पुजारी विश्राम कक्ष
    • गंगा तट से विश्‍वनाथ मंदिर जाने के लिए लगा है एस्‍केलेटर