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एयर इंडिया (Air India)( Photo Credit : फाइल फोटो)
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एयर इंडिया (Air India)( Photo Credit : फाइल फोटो)
केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने एयर इंडिया (Air India) की 100 फीसदी इक्विटी शेयर पूंजी (equity share capital) के प्रबंधन नियंत्रण और बिक्री के लिए 'सैद्धांतिक रूप से' मंजूरी दे दी है. मोदी सरकार ने एयर इंडिया में हिस्सा बिक्री के लिए बोलियां (EoI) मंगाई है. 17 मार्च तक बोली लगाई जा सकती है. मोदी सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस और AISATS में भी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. एयर इंडिया के संयुक्त उपक्रम AISATS में उसकी हिस्सेदारी 50 फीसदी है. सरकार एयर इंडिया की बिक्री तो कर रही है लेकिन इसका एक स्वर्णिम इतिहास भी रहा है. क्या है वो इतिहास और कैसे एयर इंडिया अपने स्वर्णकाल से कर्ज के जाल में फंस गई. आइये इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करते हैं.
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एअर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेस, एअर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेस, एयरलाइन एलाइड सर्विसेस और भारतीय होटल निगम में एअर इंडिया की हिस्सेदारी है. बिक्री की योजना के तहत इन कंपनियों को एक अलग कंपनी एअर इंडिया एसेट होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) को हस्तांतरित किया जाएगा. एअर इंडिया की प्रस्तावित हिस्सेदारी बिक्री के तहत ये कंपनियां हिस्सा नहीं होंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक निविदा दस्तावेजों के मुताबिक एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस पर 23,286.50 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया रहेगा. एअर इंडिया पर शेष कर्ज एआईएएचएल को ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
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फरवरी 2019 में CMD बने थे अश्विनी लोहानी
एयर इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) अश्विनी लोहानी को फरवरी 2019 में एयर इंडिया को वापस मुनाफे में लाने के साथ ही उसे उसका पुराना स्वर्णिम इतिहास वापस दिलाने के लिए लाया गया था. हालांकि वह काफी कोशिशों के बावजूद एयर इंडिया का बेड़ा पार लगाने में सफल नहीं रहे. हालांकि सीएमडी बनने से पहले लोहानी अगस्त 2017 से सितंबर 2017 के बीच एयर इंडिया को फायदे में लाने में कामयाब रहे थे. 2007 के बाद पहली बार वित्त वर्ष 2017 में एयर इंडिया को 105 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.
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2007 में हुआ था एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का विलय
गौरतलब है कि एयर इंडिया (Air India) और इंडियन एयरलाइंस (Indian Airlines) का विलय 2007 में हुआ था. विलय के बाद से ही महाराजा लगातार नुकसान में चल रही थी. सितंबर 2017 में लोहानी को एयर इंडिया से ट्रांसफर कर रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया था. लोहानी दिसंबर 2018 में रिटायर हो गए थे, लेकिन फरवरी 2019 में उन्हें एयर इंडिया का सीएमडी बना दिया गया. 2018 में सरकार एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री का प्रस्ताव लाई थी, लेकिन उस दौरान उस पर बात नहीं बन पाई थी.
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क्या है एयर इंडिया का इतिहास
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा एयर इंडिया की बिक्री के फैसले को भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राष्ट्रविरोधी करार दिया है. उन्होंने अपने बयान में कहा है कि वह सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने को मजबूर होंगे. वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी मोदी सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना की है. सिब्बल ने कहा कि सरकारों के पास जब पैसा नहीं होता है तो वे इस तरह के कदम उठाती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के पास फंड नहीं है. विकास दर 5 फीसदी से कम है और मनरेगा का करोड़ों रुपये बकाया है. ऐसे में सरकार इस तरह के कदम उठा रही है और देश की बहुमूल्य संपंत्तियां बेच रही है.