जम्‍मू-कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान का साथ दे रहे चीन के खिलाफ सड़क पर उतरा हांगकांग

हांगकांग के लाखों लोग चीन के ख़िलाफ़ सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रत्यर्पण क़ानून में संशोधन के विरोध में लोग सड़कों पर हैं.

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Drigraj Madheshia
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जम्‍मू-कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान का साथ दे रहे चीन के खिलाफ सड़क पर उतरा हांगकांग

प्रतिकात्‍मक तस्‍वीर

जम्‍मू-कश्‍मीर को लेकर जब पूरी दुनिया पाकिस्‍तान कसे ठेंगा दिखा चुकी है तब चीन उसके साथ खड़ा है.यह मुद्दा पाकिस्‍तान के कहने पर ही चीन संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में ले गया. लेकिन चीन अपना घर नहीं देख रहा है. हांगकांग के लाखों लोग चीन के ख़िलाफ़ सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रत्यर्पण क़ानून में संशोधन के विरोध में लोग सड़कों पर हैं. प्रस्तावित क़ानून के मुताबिक़ अगर कोई शख़्स अपराध करके हांगकांग भाग जाता है तो उसे जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेजा जाएगा.

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हांगकांग की सरकार फ़रवरी के महीने में मौजूदा प्रत्यर्पण क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव लेकर आई थी. ताइवान में एक व्यक्ति अपनी प्रेमिका की कथित तौर पर हत्या कर हांगकांग वापस आ गया था. इसके बाद ही इस क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया. हांगकांग का ताइवान के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है, इस वजह से हत्या के मुक़दमे के लिए उस शख़्स को ताइवान भेजना मुश्किल है. यह क़ानून चीन को उन क्षेत्रों से संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति देगा, जिनके साथ हांगकांग के समझौते नहीं है. हांगकांग में अंग्रेज़ों के समय का कॉमन लॉ सिस्टम है और इसका एक दर्जन से अधिक देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है. इनमें अमरीका, ब्रिटेन और सिंगापुर भी शामिल हैं.

प्रत्यर्पण कानून से क्यों डरे हैं लोग

  •  हांगकांग के लोग प्रत्यर्पण क़ानून में संशोधन के प्रस्ताव का जमकर विरोध कर रहे हैं. इनका कहना है कि इसके बाद हांगकांग के लोगों पर चीन का क़ानून लागू हो जाएगा और लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया जाएगा और उन्हें यातनाएं दी जाएंगी
  • पिछले कुछ सालों में हांगकांग की सरकार के प्रति लोगों का अविश्वास बढ़ा है कि वो बीजिंग के प्रभाव में आकर फैसले ले रही है.
  •  हालांकि सरकार ने ज़ोर देकर कहा है कि वह राजनीतिक अपराधों के ख़िलाफ़ मुक़दमा नहीं चलाएगी. कइयों को डर है कि बीजिंग हांगकांग के नागरिकों और विदेशियों के ख़िलाफ़ यह क़ानून ग़लत तरीके से इस्तेमाल करेगा.
  • हांगकांग सरकार का कहना है कि ये संशोधन जल्द से जल्द पारित नहीं होते हैं तो हांगकांग के लोगों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाएगी और शहर अपराधियों का अड्डा बन जाएगा.
  • हांगकांग का कहना है कि नया क़ानून गंभीर अपराध करने वालों पर लागू होगा, जिसके तहत कम से कम सात साल की सज़ा का है. प्रत्यर्पण की कार्रवाई करने से पहले यह भी देखा जाएगा कि हांगकांग और चीन दोनों के क़ानूनों में अपराध की व्याख्या है या नहीं.
  • इसके अलावा अधिकारियों का यह भी कहना है कि बोलने और प्रदर्शन करने की आज़ादी से जुड़े मामलों में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी.
  • हांगकांग में अमरीकी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अलावा अमरीका ने प्रस्तावित संशोधन पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि वहां रहने वाले उनके नागरिकों और व्यावसायिक हितों पर इसका ग़लत असर पड़ेगा.
  • ह्यूमन राइट वॉच, कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट, रेनबो एक्शन सहित 70 ग़ैर-सरकारी संस्थानों ने प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की.

हांगकांग में चीन की ज़बरदस्ती

  • हांगकांग चीन का एक स्वायत्त द्वीप है और चीन इसे अपने संप्रभु राज्य का हिस्सा मानता है.
  • साल 1997 में जब हांगकांग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने 'एक देश-दो व्यवस्था' की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी क़ानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी.
  • साल 2014 में हांगकांग में 79 दिनों तक चले 'अम्ब्रेला मूवमेंट' के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी थी. इस आंदोलन के दौरान चीन से कोई सहमति नहीं बन पाई थी.
  • विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया था. आज़ादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उस पार्टी के संस्थापक से इंटरव्यू करने पर एक विदेशी पत्रकार को वहां से निकाल दिया गया था.
  • साल 2003 में भी राष्ट्रीय सुरक्षा पर लाए गए क़ानून के विरोध में प्रदर्शन हुए थे. उस समय चीन को पीछे हटना पड़ा था. हालांकि अभी के वक़्त में बीजिंग की पकड़ हांगकांग पर कहीं अधिक मज़बूत है.
  • 2014 में लोकतंत्र के समर्थन में हुए प्रदर्शन के बाद चीन का दबदबा दुनिया भर में बढ़ा है. इसकी अर्थव्यवस्था तेज़ी से मज़बूत हुई है.

हांगकांग- चीन और ब्रिटेन का इतिहास

  • 1 जुलाई 1997 को ब्रितानी हुकूमत ने हांगकांग को चीन के हवाले किया था. इस मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हांगकांग में मौजूद थे.
  • प्रथम अफीम युद्ध में चीन को हराने के बाद ब्रितानी हुकूमत ने 1842 में पहली बार हांगकांग द्वीप पर कब्जा किया था. दूसरे अफीम युद्ध में बीजिंग को 1860 में कोवलून से भी पीछे हटना पड़ा.
  • ये द्वीप के सामने जमीनी इलाके का हिस्सा था.इस इलाके में अपने नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए सन् 1898 में ब्रिटेन ने चीन से अतिरिक्त इलाके लीज पर लिए और वादा किया कि वो 99 साल बाद चीन को सौंप देगा.
  • ब्रितानी हुक़ूमत में हांगकांग बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ा और दुनिया का बड़ा वित्तीय और व्यावसायिक केंद्र बन गया.इसके बाद 1982 में लंदन और बीजिंग के बीच इन इलाकों को चीन को सौंपे जाने की जटिल प्रक्रिया शुरू हुई.
  • चीन के मुकाबले हांगकांग में बिल्कुल अलग किस्म की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था विकसित हो चुकी थी. जबकि चीन में 1949 से ही एक पार्टी, कम्युनिस्ट शासन कायम था.

हांगकांग- चीन: एक देश, दो व्यवस्था

चीन एक देश दो व्यवस्था के सिद्धांत के तहत हांगकांग पर शासन करने के लिए सहमत हुआ, जहां अगले 50साल तक उसे विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर राजनीतिक और आर्थिक आजादी हासिल होती इस समझौते के बाद हांगकांग विशेष प्रसासनिक क्षेत्र बन गया. यानी इसके पास अपनी कानूनी व्यवस्था, कई राजनीतिक पार्टी व्यवस्था और बोलने और इकट्ठा होने की आजादी थी. इन विशेष अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र के पास अपना छोटा संविधान है. इसे 'बेसिक लॉ'कहा जाता है, जो घोषित करता है कि इसका मूल उद्देश्य 'सार्वभौमिक मताधिकार' और 'लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं' के मार्फ़त इस इलाके का नेता यानी मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष चुनना है.

हांगकांग में अब कैसा प्रशासन है?

मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव 1200 सदस्यों वाली चुनाव समिति करती है. इसके अधिकांश सदस्यों को बीजिंग समर्थक के रूप में देखा जाता है. यहां की संसद को लेजिस्लेटिव काउंसिल कहा जाता है. इसके आधे सदस्य सीधे तौर पर चुने गए प्रतिनिधि और आधे पेशवर या विशेष समुदायों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं. राजनीतिक कार्यकर्ता कहते हैं कि यह चुनावी प्रक्रिया किसी भी सदस्य को खारिज करने का बीजिंग को अधिकार देती है. लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता सालों से इसबात के लिए अभियान चलाते रहे हैं कि हांगकांग के लोगों को अपना नेता चुनने का अधिकार मिले. साल 2014 में बीजिंग ने कहा था कि वो मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष के सीधे चुनाव की इजाजत देगा, लेकिन केवल पहले से अधिकृत उम्मीदवारों की सूची से ही इनका चुनाव होगा. लेकिन पूरी तरह लोकतंत्र चाहने वाले लोगों की ओर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

2014 में हफ्तों तक शहर का मुख्य हिस्सा बंद रहा. बाद में चीन ने अपने इस कदम को वापस ले लिया. हांगकांग में ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस बात से चिंतित हैं कि चीन हांगकांग की राजनीति में कई तरीके से हस्तक्षेप कर रहा है और यहां के उदार राजनीतिक परंपरम्पराओं को नजरअंदाज कर रहा है. इसलिए हांगकांग में विभाजन तेज होता जा रहा है. यहां एक पक्ष बीजिंग समर्थक है जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक पक्ष को मानता है.दूसरा पक्ष लोकतंत्र समर्थकों का है जो हांगकांग की स्वायत्तता और उसकी अलग पहचान को मजबूत करना चाहते हैं. आम तौर पर हस्तानांतरण की सालगिरह पर दोनों राजनीतिक पक्षों की ओर से विशाल प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं.

2047 के बाद क्या होगा? क्या चीन एग्रीमेंट ख़त्म होने के बाद भी हांगकांग पर क़ब्ज़ा जारी रखेगा

  • हस्तानांतरण के समय चीन अगले पचास सालों तक हांगकांग को स्वायत्तता देने के लिए राज़ी हुआ था. लेकिन2047 के बाद स्वयत्ता देने के लिए उसके पास कोई मजबूरी नहीं होगी.
  • हालांकि कुछ लोग पूरी आजादी की मांग करते हैं लेकिन चीन इससे पहले ही इनकार कर चुका है.
  • संभावना है कि- चीन मौजूदा स्वायत्तता और बेसिक लॉ की सीमा कुछ और समय के लिए बढ़ा सकता है.
  • संभावना है कि- चीन मौजूदा कुछ अधिकारों के जारी रखने की इजाज़त दे देगा, पर सभी को नहीं.
  • संभावना है कि- हांगकांग अपना विशेष स्टेटस खो सकता है और बिना स्वायत्तता के चीन के किसी प्रांत की हैसियत में आ सकता है.
  • संभावना है कि- राजनीति से प्रेरित युवा पीढ़ी की संख्या बढ़ने के साथ इस शहर के भविष्य को लेकर राजनीतिक संघर्ष और बढ़ेगा.

हांगकांग पर्यटक स्थल

हांगकांग अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. हांगकांग में आप थीम पार्क,म्यूजियम, गगन चुम्बी इमारतों, शॉपिंग और व्यंजनों का मजा ले सकते हैं. हांगकांग के आकर्षण पर्यटन स्थल सभी को लुभाते हैं इसीलिए यहां सलों भर दुनिया भर से आने वाले यात्रियों के लिए एक बेहद दिलचस्प छुट्टी मनाने का परफेक्ट डेस्टिनेशन हैं. आकार में छोटा होते हुए भी हांगकांग में आपको भरपूर देखने की जगहें और घूमने के स्थान मिल जाएंगे, जो कि आपकी छुट्टियों को हमेशा के लिए यादगार बना देंगे.

यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं हांगकांग डिज्नीलैंड, ओशियन पार्क, मैडम तुसाद म्यूजियम, स्टार फेरी, सिम शा त्सुई प्रोमाडे, मंदिर स्ट्रीट नाइट मार्केट, बिग बुद्ध और पो लिन मठ और पूजा के कई अन्य स्थान. खरीदारी और मॉल और डिपार्टमेंट स्टोर्स जाने के लिए सिटी प्लाज़ा, डिज़ाइन गैलरी, एलेमेंट्स, ई-मैक्स वॉयर हाउस, फ़ैशन वॉक,फेस्टिवल वॉक, हार्बर सिटी, होराइजन प्लाजा, हिसन प्लेस, आईस्क्वायर, लैंडमार्क और लैंगम प्लेस.

Source : शंकरेष के.

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