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सांकेतिक चित्र.
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पी. चिदंबरम पर आज संकट के जो बादल मंडरा रहे हैं वह एक तरह से पुरानी लोकोक्ति की ही पुष्टि करते हैं कि वक्त का पहिया घूम कर फिर एक ही स्थान पर आता है. दूसरे शब्दों में कहें तो राजनीति में भी कुछ स्थायी नहीं होता.
सांकेतिक चित्र.
ईएनएक्स मीडिया घोटाले में फंसे कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. अगर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर देते हैं, तो चिदंबरम भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार होने वाले पहले कांग्रेसी नेता होंगे. फिलहाल पी. चिंदबरम को दिल्ली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत नहीं मिलने के बाद वरिष्ठ वकीलों की एक पूरी फौज उन्हें राहत पहुंचाने के लिए जोर लगा रही है. दूसरी ओर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी चिदंबरम को घेरने की तैयारी कर रखी है. जांच एजेंसियों ने इस मामले में शीर्ष अदालत में कैविएट दाखिल कर दिया है. यानी दोनों एजेंसियों ने सर्वोच्च अदालत से आग्रह किया है कि उनका पक्ष सुने बिना पी. चिदंबरम को लेकर कोई आदेश पारित नहीं किया जाए.
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वक्त का पहिया घूम कर चिदंबरम पर आया
पी. चिदंबरम पर आज संकट के जो बादल मंडरा रहे हैं वह एक तरह से पुरानी लोकोक्ति की ही पुष्टि करते हैं कि वक्त का पहिया घूम कर फिर एक ही स्थान पर आता है. दूसरे शब्दों में कहें तो राजनीति में भी कुछ स्थायी नहीं होता. देश की सियासत में एक बार फिर यही बात देखने को मिल रही है. कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम इस वक्त गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया. इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे हैं. दूसरी ओर ईडी और सीबीआई उन्हें गिरफ्तार करने के लिए तैयार हैं.
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कभी अमित शाह रहे थे जांच एजेंसियों के निशाने पर
पी. चिदंबरम के साथ आज जो कुछ हो रहा है, वह लगभग एक दशक पहले के बड़े सियासी घटनाक्रम की याद दिलाता है. उस वक्त कुछ ऐसा ही मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह के साथ हो रहा था. देश की शीर्ष जांच एजेंसियां उनके पीछे पड़ी थीं, लेकिन अब समय बदल गया है और खेल भी बदल गया है. आज जिस स्थान पर कभी पी. चिदंबरम हुआ करते थे वहां अमित शाह विराजमान हैं. इसके साथ ही अमित शाह की स्थिति को पी. चिदंबरम प्राप्त होते लग रहे हैं. जाहिर है इस तुलना को समझते हुए ही कांग्रेस पार्टी समेत अन्य विपक्ष सरकार पर जांच एजेंसियों का अपने राजनीतिक हित साधने में इस्तेमाल करने का आरोप लगा रहे हैं.
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सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में गिरफ्तार हुए थे अमित शाह
गौरतलब है कि इस कहानी के फ्लैशबैक में जाएं और समय के चक्कर को घुमाएं तो कई साल पहले विपक्षी पार्टी के तौर पर बीजेपी भी यूपीए सरकार पर ऐसा ही आरोप लगाती थी और तब गृह मंत्री पी. चिदंबरम हुआ करते थे. यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान जब पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे, उस वक्त सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला चरम पर था. इस मामले में अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी. 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था. चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे थे.
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तीन महीने जेल में रहे शाह
25 जुलाई को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार किया. इस मामले में अमित शाह तीन महीने तक सलाखों के पीछे रहे. इसके बाद उन्हें दो साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया. इसके बाद 29 अक्टूबर, 2010 को गुजरात की हाईकोर्ट ने अमित शाह को जमानत दी थी. अमित शाह की गिरफ्तारी पर भाजपा भड़की हुई थी और उसने यूपीए सरकार पर राजनीतिक बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाया था. अब कुछ ऐसा ही आरोप केंद्र की एनडीए सरकार पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लगा रहे हैं.
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2015 में आरोप मुक्त हुए अमित शाह
सोहराबुद्दीन मामले में 2012 तक अमित शाह गुजरात के बाहर ही रहे. 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात जाने की इजाजत दे दी. हालांकि, सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को गुजरात से बाहर शिफ्ट कर दिया और मुंबई भेज दिया. बाद में इस मामले की सुनवाई मुंबई की अदालत में ही हुई. लंबी सुनवाई के बाद साल 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश पी. चिदंबरम के मामले में क्या रुख अपनाते हैं.
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