पाकिस्तान के ये घुसपैठिए चट कर जा रहे हैं 35000 लोगों का खाना, राजस्थान के इतने जिले प्रभावित
पाकिस्तान से सटे राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों में सीमा पार से घुसपैठ जारी है.
नई दिल्ली:
पाकिस्तान (Pakistan) ने एक बार फिर भारत की चिंता बढ़ा दी है. इस बार आतंकी हमले से नहीं बल्कि पाकिस्तान (Pakistan) से आने वाले टिड्डियों (Grasshoppers) के दल से है. पाकिस्तान से सटे राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों में सीमा पार से टिड्डी दलों (Grasshoppers) की घुसपैठ अभी जारी है. पिछले तीन माह से जारी टिड्डी दलों का हमला अगले एक माह तक जारी रहने की संभावना जताई जा रही है. टिडि्डयों के हमले से खेत और किसान बर्बाद हो रहे है. चारों जिलों में टिड्डी हमले से राजस्थान में अब तक 25 हजार से अधिक हेक्टेयर जमीन प्रभावित हुई है.
टिड्डे की ख़ास बातें
- टिड्डों की कुल 11 हज़ार प्रजातियां हैं
- टिड्डे की पांच आंखें होती हैं , दो बड़ी आंखें और तीन छोटी आंखें होती हैं
- टिड्डे के कान उनके सर वाले हिस्से में नहीं बल्कि पेट के हिस्से में होती है
- टिड्डे की हर प्रजाति ख़ास तरह की आवाज़ निकालती हैं , दूसरे से अलग होते हैं
- टिड्डे लम्बी छलांग भी लगा सकते हैं , और उड़ भी सकते हैं
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- टिड्डे की लम्बाई 1 -7 सेंटीमीटर तक हो सकती है
- ये अपने लम्बाई से 20 गुना ज़्यादा छलांग लगा सकते हैं
- टिड्डे हर साल करोड़ों का फसल बर्बाद कर देते हैं
- अमेरिका में हर साल 1.5 अरब डालर कीमत की चारागाह का नुकसान कर देते हैं
- पृथ्वी टिड्डों का अस्तित्व डायनासोर से भी पुराना है
टिड्डे का एक छोटा झुंड 35,000 लोगों जितना खाना खा जाता है
- टिड्डे का झुंड एक दिन में 150 किमी तक हवा के साथ उड़ सकता है
- टिड्डे का झुंड हर दिन ताजा खाना खाता है और व ह अपने वजन जितना खा सकता है
- एक छोटा झुंड एक दिन में लगभग 35,000 लोगों जितना खाना खाता है.
- टिड्डे फसल चट करते समय उसमें लार्वा छोड़ देते हैं.
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- 7 से 12 दिन के भीतर लार्वा विकसित टिड्डे में बदल जाते हैं
- टिड्डी दल के लाखों टिड्डे एक साथ खेत पर हमला करते हैं.
- ये धान, गेंहू, मक्का और ज्वार की फसल को चट कर जाते हैं.
- ये फसलें एशिया ,दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका का मुख्य आहार हैं
- कीटनाशक का छिड़काव इन टिड्डों के खिलाफ कारगर होता है.
- छिड़काव से कीड़ों की कम संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है.
- संख्या ज्यादा हुई तो नियंत्रण करना काफी मुश्किल होगा.
- एक महीने में टिड्डों की टोली 1,000 किलोमीटर की यात्रा कर सकती है.
कहां से आते हैं टिड्डे - कहां चले जाते हैं
- टिड्डे वही होते हैं जहां का मौसम असंतुलित होता है
- ये झुंडों में उड़कर कई किलोमीटर , एक देश से दूसरे देश पहुंच जाते हैं
- अक्सर ये गरम दिनों में ही झुंडों में उड़ा करती हैं
- बारिश के दिनों और सर्द मौसम में में इनकी उड़ानें बंद रहती हैं
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- गर्मी के मौसम में टिड्डे अफ्रीका से भारत आते हैं
- पतझड़ के मौसम में टिड्डे ईरान और अरब देश चले जाते हैं
- ईरान अरब देशों से ये रूस , सिरिया, मिस्र और इजरायल की तरफ चले जाते हैं
- इसके बाद इनमें से कुछ भारत और अफ्रीका लौट आते हें
- यहां मानसून के मौसम में इनका प्रजनन होता है
जब टिड्डे के आतंक से डर गए थे अफ़्रीकी देश
- टिड्डों ने 2016 में अफ़्रीकी देशों जाम्बिया, जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका और घाना में बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद कर दी थी
- टिड्डों के आतंक पर काबू पाने के लिए तब 13 अफ़्रीकी देशों ने एक साथ इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी
- टिड्डों से ये देश इतने घबरा गए थे की , यूँ तक को दखल देकर एक कारगर योजना के लिए मीटिंग बुलानी पड़ी थी
26 साल पहले भी हुआ था ऐसा ही हमला
पाक सीमा से सटे राजस्थान के रेगीस्तानी इलाकों में करीब 26 साल पहले साल,1993 के अगस्त के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर तक पड़ौसी देश से आने वाले टिड्डी दलों का ऐसा ही हमला हुआ था. उस समय किसानों की फसल को काफी नुकसान हुआ था,आखिरकार वायुसेना के विमानों की मदद से कीटनाशक का स्प्रे की टिड्डी दलों पर काबू पाया गया था.
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