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बर्बादी के करीब पहुंचा आतंकवाद को प्रश्रय देने वाला 'नया पाकिस्तान'.
भारत को बर्बाद करने की धमकी देने वाले पाकिस्तान को अब अपने ही अस्तित्व के संकट से गंभीर रूप से दो-चार होना पड़ेगा. वजह यह है कि टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टाक्स फोर्स (FATF) की क्षेत्रीय इकाई एशिया पेसिफिक ग्रुप (APG) ने शुक्रवार को टेरर फंडिंग पर लगाम लगा पाने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को काली सूची (Black List) में डाल दिया है. कभी गधे तो कभी भैंस बेंच कर पैसे जुटाने के प्रयासों में लगे वजीर-ए-आजम इमरान खान के लिए यह अब तक की सबसे बुरी खबर है. यह कदम आर्थिक तौर पर दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान के लिए बर्बादी के संकेत की तरह है. अपने रोजमर्रा के खर्च तक जुटाने के लिए 'कटोरा' लेकर खड़े पाकिस्तान के लिए अब अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और मित्र देशों से आर्थिक मदद हासिल करना दुश्वार कर देगा.
पहले चीन, तुर्की और मलेशिया बने थे मददगार
ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में कुल सात घंटे से ज्यादा चली बैठक के बाद पाकिस्तान (pakistan) के खिलाफ यह फैसला आया. एपीजी ने आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) पर लगाम लगाने वाले 11 प्रभावशाली मानक तय किए थे, जिसमें से 10 पर उसकी रेटिंग खराब रही. एपीजी के इस फैसले का पाकिस्तान पर व्यापक असर होगा. अब एफएटीएफ अक्टूबर में होने वाली अपनी बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने पर फैसला लेगा. यहां बता देना जरूरी है कि इससे पहले पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल था. हालांकि चीन, तुर्की और मलेशिया की मदद से ही पाकिस्तान अब तक ब्लैक लिस्ट से बचता आ रहा था. हालांकि ग्रे लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-E-Mohammad) और लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-E-Taiba) के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 15 महीने का वक्त दिया गया था. साथ ही 27 एक्शन प्लान भी बताए गए थे. लेकिन हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में पाया गया कि पाकिस्तान ने सिर्फ दो एक्शन प्लान पर संतोषजनक काम किया है.
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'गरीबी में आटा गीला होना' जैसी स्थिति
एफएटीएफ अगर पाकिस्तान को अक्टूबर में ब्लैक लिस्ट कर देता है तो उसके लिए यह 'गरीबी में आटा गीला होना' जैस बात ही होगी. एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से पाकिस्तान पर गहरा आर्थिक प्रभाव होगा. इसके बाद संभव है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के क़र्ज़ पर भी रोक लग जाए. आईएमएफ से लोन लेने के लिए एफएटीएफ से क्लियरेंस लेना जरूरी होता है. इसके साथ ही अन्य वित्तीय संस्थाओं और देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना दुश्वार हो जाएगा. यह पाकिस्तान को दिवालिया (Bankruptcy) कर बर्बाद करने वाला घटनाक्रम होगा. गौरतलब है कि पाकिस्तान की माली हालात बहुत खराब हो चुकी है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पैसों के लिए वह चीन को हर मौसम में गधे निर्यात कर रहा है. इतना ही नहीं थोड़ा और पीछे जाए तो पैसों की कमी से जूझ रहे पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने प्रधानमंत्री आवास में रखी 8 भैंसों की भी निलामी करने का फैसला लिया था. इन भैसों को बेचकर पाकिस्तान सरकार ने करीब 23 लाख रूपये जुटाए थे.
क़र्ज़ में आकंठ डूबा है पाकिस्तान
क़र्ज़ (Debt) के बोझ तले पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है. इसकी वजह से पाकिस्तान दिवालिया होने के कगार पर है. पाकिस्तानी रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिरते जा रहा है और 150 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से पाकिस्तान का सरकारी क़र्ज़ भी बढ़ता जा रहा है. साल 2018 में जून महीने के अंत तक पाकिस्तान का कुल सरकारी क़र्ज़ 179.8 अरब डॉलर था. पाकिस्तान पर विदेशी क़र्ज़ (Foreign Debt) भी लगातार बढ़ रहा है. जो जून 2018 में 64.1 अरब डॉलर से बढ़कर जनवरी 2019 में 65.8 अरब डॉलर हो गया है. आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक नवाज शरीफ के शासन में आने के बाद इसमें 50 फीसदी का इजाफा हुआ है.
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निर्यात कम आयात ज्यादा
पाकिस्तान का निर्यात कम है और आयात (Import) इसका लगभग दोगुना. पाकिस्तान पेट्रोलियम, इंडस्ट्रीज मैटेरियल और खाद्य तेल जैसी जरूरी चीजों का आयात करता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार (International Market) में इन चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि पाकिस्तान से निर्यात होने वाले कॉटन की कीमत लगातार घट रही है. ऐसे में वह लगातार दबाव में है. डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत लगातार घट रही है. पिछले कुछ अरसे में इसने निर्यात (Export) बढ़ाने के लिए रुपये की कीमत घटाई है लेकिन इससे भी फायदा नहीं हो रहा है. गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर से पाकिस्तानी रुपये का चार बार अवमूल्यन (Devaluation) हो चुका है.
जबरदस्त बिजली संकट
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) की रफ्तार पर बिजली संकट (Electricity Crisis) का ग्रहण लगा हुआ है. देश में बिजली की भारी कमी है. साल 2000 से इसने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को तबाह कर रखा है. सीपीईसी (CPEC) परियोजनाओं से इस संकट से निजात की उम्मीद है लेकिन इसका काम ही बेहद धीमा चल रहा है. देश में बिजली की कमी 5000 मेगावाट तक पहुंच चुकी है. इस हालात में सुधार के बगैर पाकिस्तानी इकनॉमी में रफ्तार की उम्मीद बेमानी है.
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टैक्स चोरी
पाकिस्तान की 20 करोड़ आबादी में सिर्फ पांच लाख लोग टैक्स (Tax Payers) देते हैं. परियोजनाएं और निवेश (Investment) की स्थिति बद् से बद्तर है. आलम यह है कि बगैर सही अप्रैजल के मंजूर कर दिए जाते हैं. ऊपर से बिजली संकट ने उद्योग जगत (Industries) का बुरा हाल कर दिया है. पाकिस्तान में अधोसंरचना (Infrastructure) में सुधार बेहद धीमा है. निवेशक इसलिए यहां नहीं आ रहे हैं. इमरान खान (Imran Khan) ने अपने चुनावी वादे में टैक्स चोरों पर कड़ी कार्रवाई की वादा किया था, लेकिन वह भी खोखला ही निकला है.
सीपीईसी का पंगा
चीन पाकिस्तान में सीपीईसी परियोजनाओं (CPEC Project) में 60 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है, लेकिन सीपीईसी परियोजनाएं काफी धीमी गति से चल रही है और कई जगह ठेकेदारों का पेमेंट न होने से यह काम भी रुक गया है. इसमें कई चीनी कंपनियां भी हैं. इन कंपनियों को विदेशी मुद्रा में भुगतान की वजह से भी उसका खजाना खाली हो रहा है.
गरीबों और गरीबी से बेखबर हुक्मरान
देश के हुक्मरानों का गरीबी (Poverty) घटाने पर ध्यान नहीं है. जब बाहर से पैसा आता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था थोड़ी रफ्तार पकड़ती है लेकिन लेकिन यह पैसा खत्म होते ही यह फिर लड़खड़ा जाती है. जून में खत्म हुए वित्त वर्ष (Financial Year) में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के 4.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान लगाया गया, जबकि पिछले साल इसके 5.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था. पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था को देखते हुए मूडीज ने उसकी क्रेडिट आउटलुक (Credit Outlook Rating) रेटिंग घटा कर निगटिव कर दी है. गरीबी का आलम यह है कि जम्म-कश्मीर मसले पर जोश में होश खोते हुए लिए गए एकतरफा फैसला का और भी ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पाकिस्तान और उसकी आवाम पर पड़ा है. ईद जैसे त्योहार को भी लोग जबर्दस्त महंगाई (Inflation) के कारण सामान्य अंदाज में नहीं मना सके.
HIGHLIGHTS
- एफएटीएफ की क्षेत्रीय ईकाई एपीजी ने डाला पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में.
- बद्हाल अर्थव्यवस्था और महंगाई से जूझ रहा पाकिस्तान हो जाएगा बर्बाद.
- इमरान खान के लिए आगे है चुनौतियों का पहाड़. अस्तित्व का संकट.