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पवार के कुनबे की 'खाई' ने बीजेपी को दिया अजीत पवार संग प्लान-बी पर काम करने का मौका

इस प्लान-बी में पवार के कुनबे में पड़ी फूट को आधार बनाते हुए बीजेपी नेतृत्व ने अपनी बिसात बिछाई.

Updated on: 23 Nov 2019, 07:10 PM

highlights

  • पवार के कुनबे में पड़ी फूट के आधार पर बीजेपी नेतृत्व ने बिसात बिछाई.
  • अजीत और शरद के बीच हितों की लड़ाई बन गई अस्तित्व की लड़ाई.
  • कदम बढ़ाने के बाद अजीत पवार की अब वापसी के आसार नहीं.

Mumbai:

बीजेपी आलाकमान ने शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी कुनबे में पड़ी दरार का फायदा उठाते हुए रातों रात महाराष्ट्र सरकार में 'तख्तापलट' की भूमिका तैयार की. कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से शिवसेना की सरकार बनाने की कवायद को देखते हुए भी बीजेपी नेतृत्व ऊपरी तौर पर शांत बना रहा. हालांकि सूत्र बताते हैं कि शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के साथ बीजेपी नेतृत्व ने प्लान-बी पर काम करना जारी रखा था. इस प्लान-बी में पवार के कुनबे में पड़ी फूट को आधार बनाते हुए बीजेपी नेतृत्व ने अपनी बिसात बिछाई.

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कांग्रेस-एनसीपी की बैठकों में होते रहे शामिल अजीत
शुक्रवार रात तक चले घटनाक्रम में कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार के गठन का ताना-बाना बुन रही थी. तीनों पार्टियों ने शनिवार को एक बार मुलाकात के बाद राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करने का निर्णय किया था. कांग्रेस महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद बयान दिया था कि अजीत पवार भी तीनों पार्टियों की नेहरू सेंटर में हुई बैठक में मौजूद रहे थे. इसके पहले किसी पार्टी के सरकार गठन का दावा पेश नहीं करने पर राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया था.

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शनिवार सुबह आया सियासी भूकंप
शनिवार को बदले घटनाक्रम में सुबह 5.47 पर राष्ट्रपति शासन हटाया गया और कुछ घंटे बाद देवेंद्र फडणवीस राज्य के दूसरी बार सीएम पद की शपथ ले रहे थे. उनके साथ एनसीपी के विधायक दल के नेता अजीत पवार ने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली. इस खबर ने कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना खेमे के साथ-साथ राजनीतिक पंडितों तक को सन्न कर दिया. इसके बाद अब सदन में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े 145 की संख्या जुटाने की कवायद शुरू कर दी गई.

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प्रफुल्ल पटेल भी बीच में आए
एक कांग्रेस नेता के मुताबिक उनकी पार्टी को इस बात का अंदेशा था कि सरकार के गठन में देरी होने पर एनसीपी का एक धड़ा बीजेपी के साथ सरकार बना सकता है. बताते हैं कि एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल के जरिये बीजेपी नेतृत्व शरद पवार को बीजेपी की सरकार के गठन में समर्थन देने के लिए राजी करने में लगा हुआ था. इस राजीनामे के मूल में यही मंत्र बार-बार फूंका जा रहा था कि बीजेपी की सूबे में सरकार गठन में मदद कर शरद पवार और अजीत पवार प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई में राहत की उम्मीद कर सकते हैं.

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अजीत रहे भरमाते
सूत्र बताते हैं कि अजीत पवार और शरद पवार-सुप्रिया सूले के बीच खाई लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के दौरान और चौड़ी हो गई थी. हालांकि इसके पहले से ही दोनों खेमों में दूरियां बढ़नी शुरू हो गई थीं. इस बीच शरद पवार ने जब पूछताछ में शामिल होने के लिए ईडी ऑफिस पहुंचने का फैसला किया, तो उसी दिन अजीत पवार ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. अगले दिन 'भावुक' अजीत पवार ने बयान जारी किया कि राज्य सहकारी बैंक घोटाले में उनके साथ-साथ चाचा शरद पवार का नाम शामिल किए जाने से वह आहत हैं.

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अजीत के बेटे को टिकट नहीं देने से और चौड़ी हुई खाई
पवार के कुनबे में सब कुछ ठीक नहीं हैं इसके संकेत एक बार फिर पिछले हफ्ते मिले, जब अजीत पवार सिल्वर ओक में चल रही एनसीपी की बैठक से उठकर चले आए. बाहर आते ही अजीत पवार ने बयान दिया कि कांग्रेस के एनसीपी की बैठक टल गई है और इसलिए वे अपने विधानसभा क्षेत्र बारामती जा रहे हैं. बताते हैं कि अजीत पवार ने ऐसा बयान मीडिया को शरद पवार के आवास से हटाने के लिए ही दिया था. पवार के कुनबे में दो फाड़ की शुरुआत अजीत के बेटे पार्थ को टिकट नहीं देने से हुई थी. इसके अलावा शरद पवार के भाई के बेटे रोहित पवार के आगमन से यह खाई और चौड़ी हुई.