Corona Lockdown में सड़क हादसों में 200 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई

25 मार्च से 31 मई के बीच लॉकडाउन के दौरान करीब 200 प्रवासी कामगारों की मौत घर लौटने के दौरान 1,461 सड़क दुर्घटनाओं में हुई है.

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Nihar Saxena
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Migrants Workers

कोरोना से बचे,लेकिन दुर्घटना में मौत ने दबोचा प्रवासी मजदूरों को.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से लेकर विभिन्न राज्यों की हाईकोर्ट केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों से जवाब-तलब कर चुकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी रविवार को अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में घर वापसी को आतुर मजदूरों (Migrants) की बेहाली पर न सिर्फ खेद जताया, बल्कि एक तरह से क्षमायाचना भी की. लॉकडाउन-1 की शुरुआत के साथ ही प्रवासी मजदूरों में अपने-अपने घर लौटने को लेकर हद दर्जे की व्याकुलता और चिंता देखी गई. कोई कारगर परिवहन व्यवस्था नहीं होने से सैकड़ों किमी की यात्रा पर पैदल या किसी अन्य साधन के सहारे निकले मजदूरों को कोरोना (Corona Virus) ने नहीं, बल्कि दुर्घटनाओं ने सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई. एक आंकड़े के मुताबिक सिर्फ 9 हफ्तों में ही लगभग डेढ़ हजार सड़क हादसों में दो सौ प्रवासी मजदूरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

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200 मजदूरों की गई जान
देशभर में 25 मार्च से 31 मई के बीच लॉकडाउन के दौरान करीब 200 प्रवासी कामगारों की मौत घर लौटने के दौरान 1,461 सड़क दुर्घटनाओं में हुई है. सेव लाइफ फॉउंडेशन द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इन दुर्घटनाओं में 198 प्रवासी कामगारों सहित कुल 750 लोगों की मौत हुई है. कोरोना वायरस संक्रमण चेन को तोड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण हजारों परिवार घर जाने के लिए निकल पड़े. मीडिया-ट्रैकिंग और कई सूत्रों से वेरिफिकेशन द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश दुर्घटनाएं तेज रफ्तार और ड्राइवर की थकान के कारण हुई.

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उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 94 मौतें
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 94 मौतें हुईं. इसके बाद मध्य प्रदेश (38), बिहार (16), तेलंगाना (11) और महाराष्ट्र (9) रहे. 68 दिनों के लॉकडाउन के दौरान, 1,390 लोग सड़क दुर्घटना में घायल हुए थे. उत्तर प्रदेश 30 प्रतिशत यानी 245 घायलों के साथ शीर्ष पर है. इसके बाद तेलंगाना (56), मध्य प्रदेश (56), बिहार (43), पंजाब (38) और महाराष्ट्र (36) हैं. इन सबके बीच, 68 फीसदी मौतों में पैदल यात्री, दोपहिया और तिपहिया वाहनों को शामिल किया गया है. सेवलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा, 'कोविड-19 के साथ अभी भी चारों ओर, हम बस सड़क दुर्घटना से संबंधित ट्रॉमा के साथ अत्यधिक हेल्थकेयर प्रणाली का बोझ नहीं उठा सकते. आंकड़ों से पता चलता है कि तीसरे और चौथे चरण में राज्यों से प्रतिबंधों को हटाने के साथ सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है.'

HIGHLIGHTS

  • कोरोना लॉकडाउन में हर लिहाज से मजदूरों की हुई दुर्दशा.
  • घर वापसी को बेताब दो सौ मजदूरों की जान गई लॉकडाउन में.
  • 1400 के आसपास मजदूर सड़क हादसों में हुए घायल भी.
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