पढ़िए बुलंद हौंसले और मजूबत इरादों वाली दिव्यांग डांसर ज्योति की कहानी, जो बनी युवाओं की प्रेरणा
आज हर युवा की प्रेरणा बन चुकी ब्लॉकबस्टर डांसर ज्योति का एक हाथ दूसरे हाथ से छोटा है लेकिन इसके बावजूद भी डांस में अपना भविष्य बनाती गई. ज्योति मुंबई की तंग बस्ती में पली बढ़ी है और स्कूल के समय से उन्होंने डांस सीखना और कॉम्पटीशन में भाग लेना शुरू किया था.
नई दिल्ली:
कहते है हौंसले अगर बुलंद हो तो आप किसी भी मुकाम पर पहुंच सकते है. अगर आप मजबूत इरादें रखतें है तो फिर किसी भी तरह को मुश्किल आपकी मंजिल की रोड़ा नहीं बन सकती है. हम आज आपको ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी के बारें में बताने जा रहे है, जिनके सपनों के बीच में उनकी दिव्यांगता भी नहीं आ पाई. हम बात कर रहे मुंबई की रहने वाली 29 वर्षिय कलाकार ज्योति मस्तेकर की, जो 10 नंवबर को 14वें 'दिव्यांग टैंलेंट शो' में डांस परफॉर्म करने वाली है. ये शो नारायण सेवा संस्थान द्वारा मुंबई में कराया जा रहा है.
आज हर युवा की प्रेरणा बन चुकी ब्लॉकबस्टर डांसर ज्योति का एक हाथ दूसरे हाथ से छोटा है लेकिन इसके बावजूद भी डांस में अपना भविष्य बनाती गई. ज्योति मुंबई की तंग बस्ती में पली बढ़ी है और स्कूल के समय से उन्होंने डांस सीखना और कॉम्पटीशन में भाग लेना शुरू किया था.
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पिता की मृत्यु के बाद भी हौंसला रहा जिंदा
ज्योति मस्तेकर डांस के क्षेत्र में पूरी लगन से अपनी प्रतिभा को निखारने में लगी हुई थी. लेकिन उनके हौंसले को धक्का तब लगा जब उनके पिता ने अचानक दुनिया को अलविदा कह दिया. ज्योति को उनके पिता ने ही डांस के लिए प्रेरित किया था और घर के इकलौते सहारा थे. पिता की मृत्यु के बाद पूरा घर बिखर गया मजबूरन उनकी मां को लोगों के घरों में काम कर के घर की जरूरत पूरी करने लगी. घर में आर्थिक तंगी होने के बावजूद ज्योति के हौंसले नहीं टूटे और वो अपने सपनों के लिए मेहनत करती रही.
हर बाधाओं को किया पार
नृत्य जैसी कला के प्रति लोगों की रूढ़िवादी जैसी बेकार की मानसिकता के कारण शादी होने के बाद ज्योति को कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा. लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी ज्योति ने खुद को कभी झुकने नहीं दिया. ज्योति दिनों-दिन कला क्षेत्र में नए आयाम छूने के लिए अग्रसर होते हुए विभिन्न डांस ग्रुप्स के साथ नृत्यांगना के तौर पर उनके साथ जुड़ती चली गई. उन्होंने अलग- अलग दिव्यांग डांस ग्रुप्स के डांस परफॉर्म दिया इसके साथी ही वो लावणी, बॉलीवुड, फ्रीस्टाइल जैसे अन्य नृत्यरूपों का भी प्रदर्शन करती है. ज्योति ने नृत्य करने के लिए कई पूर्वाग्रहों, पक्षपात और भेदभावों का सामना किया. लेकिन उन्होंने हार न मानते हुए अपने इरादों को चट्टान का रूप देकर कठिनाइयों से भरे तूफानों का सामना किया.
नारायण सेवा संस्थान के प्रेसीडेंट प्रशांत अग्रवाल ने बताया, 'पहली बार जब मैं जब ज्योति से मिला तो उनकी बेबाकी और कुछ कर दिखाने के जज्बे को देखकर चौंक गया, मुझे लगा ही नहीं कि वो कमजोर है या मजबूर. इसलिए दिव्यांग टैलेंट शो के जरिए हम कई सारी जिंदगियों में ज्योति लाना चाहते है और उनके साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना चाहते है.'
बता दें कि आज ज्योति एक पत्नी और एक 4 साल के बेटे की मां है, जिसका नाम विहान है. वो अपने परिवार के जीवन को संवारने और सुखद बनाने के लिए दृढ़ निश्चय के अपने लक्ष्य पाने में लगी हुई है.
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