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'हलाल मीट' पर बवाल, जानें-'झटका मीट' क्यों है इससे अलग

हलाल की तकनीक विशिष्ट समुदाय (मुस्लिम) के निपुण लोग करते हैं. इसमें जानवर के शरीर से खून का अंतिम कतरा निकलने तक उसका जिंदा रहना जरूरी होता है. यह ‘झटका’ की तुलना में काफी दर्दनाक है.

Updated on: 30 Mar 2022, 01:19 PM

highlights

  • हलाल मीट पर मचा है बवाल
  • हिंदू वादी संगठन कर रहे हैं विरोध
  • हलाल-झटका मीट में अंतर को समझें

 

नई दिल्ली:

कर्नाटक में कुछ हिंदू वादी समूह 'हलाल मांस' के विरोध में उतर आए हैं. तो बीजेपी महासचिव सीटी रवि ने हलाल मांस को आर्थिक जेहाद तक कह दिया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर हलाल मांस है क्या? सवाल ये भी है कि हलाल मांस की जगह कौन सा मांस इस्तेमाल में लाया जाए? तो इसका जवाब है 'झटका मांस'. ऐसे में हलाल मांस और झटका मांस में अंतर को जानना भी बेहद अहम हो जाता है. आईए, जानते हैं हलाल मांस और झटका मांस में अंतर...

'हलाल मीट' क्या है?

 हलाल अरबी शब्द है और इसे इस्लामिक कानून के हिसाब से परिभाषित किया गया है. इस्लाम में हलाल मीट की प्रक्रिया का पालन करने की ही अनुमति है. इसमें जानवरों को धाबीहा यानी गले की नस और श्वासनली को काटकर मारना जरूरी माना गया है. मारते समय जानवरों का जिंदा और स्वस्थ होना भी जरूरी है. हलाल की तकनीक विशिष्ट समुदाय (मुस्लिम) के निपुण लोग करते हैं. इसमें जानवर के शरीर से खून का अंतिम कतरा निकलने तक उसका जिंदा रहना जरूरी होता है. यह ‘झटका’ की तुलना में काफी दर्दनाक है. हलाल विधि में जानवर की गर्दन को थोड़ा सा काटकर एक टब में छोड़ देते हैं. ऐसा करने से जानवर की धीरे-धीरे खून बहने से तड़प-तड़प कर मौत हो जाती है. मुस्लिमों में हलाल विधि से काटे गए जानवरों को खासकर खाया जाता है.

'झटका मीट' क्या है?

झटका (Jhatka) विधि में जानवर की रीढ़ पर प्रहार किया जाता है, जिसमें उसकी तुरंत मौत हो जाती है. कहा यह भी जाता है कि झटका विधि में जानवर को काटने से पहले शॉक देकर उसके दिमाग को सुन्न किया जाता है, ताकि वो ज्यादा संघर्ष न करे. उसके अचेत होने पर झटके से धारदार हथियार से उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया जाता है. मांसाहार करने वाले हिंदू और सिख समुदाय के लोग 'झटका' मीट खाते हैं.

दिल्ली में हलाल-झटका की जानकारी देने का कानून

दिल्ली में साल 2020 के आखिर में ही बीजेपी के नेतृत्व वाली दक्षिण दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति ने इस बात पर मुहर लगा दी थी कि रेस्तरां या दुकानों में हलाल या झटका मांस की जानकारी देनी अनिवार्य होगी. निगम ने साफ निर्देश में कहा था कि क्या उनके द्वारा बेचा या परोसा जा रहा मांस 'हलाल' या 'झटका' विधि का उपयोग करके काटा गया है? ये बात सभी को पहला होना चाहिए. जानकारी के मुताबिक, दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले चार जोन के 104 वार्डों में हजारों रेस्तरां हैं. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत रेस्तरां में मांस परोसा जाता है, लेकिन उसमें इसके बारे में नहीं बताया जाता है कि रेस्तरां द्वारा परोसा जा रहा मांस 'हलाल' विधि से काटा गया है या 'झटका' विधि से.'