सैकड़ों बेगुनाहों को फांसी पर लटकाने वाला यह तानाशाह भी था गांधी जी (Mahatma Gandhi) का फैन

वैसे तो महान वैज्ञानिक आइंस्‍टाइन, महान मार्टिन लूथर किंग, हास्‍य अभिनेता चार्ली चैपलिन भी प्रभावित थे, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा दुनिया का एक बड़ा तानाशाह भी बापू का फैन था.

वैसे तो महान वैज्ञानिक आइंस्‍टाइन, महान मार्टिन लूथर किंग, हास्‍य अभिनेता चार्ली चैपलिन भी प्रभावित थे, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा दुनिया का एक बड़ा तानाशाह भी बापू का फैन था.

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Drigraj Madheshia
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सैकड़ों बेगुनाहों को फांसी पर लटकाने वाला यह तानाशाह भी था गांधी जी (Mahatma Gandhi)  का फैन

चे ग्‍वेरा और महात्‍मा गांधी

#GandhiJayanti #Gandhi150 #GandhiAt150, Gandhi@150: पूरी दुनिया में 2 अक्‍टूबर को महात्‍मा गांधी (Mahatma Gandhi) का 150वीं जयंती (150th Birth Anniversary of Mahatma Gandhi ) मनाई जाएगी. दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बापू के विचारों और उनके दर्शन से वैसे तो महान वैज्ञानिक आइंस्‍टाइन, महान मार्टिन लूथर किंग, हास्‍य अभिनेता चार्ली चैपलिन भी प्रभावित थे, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा दुनिया का एक बड़ा तानाशाह भी बापू का फैन था.

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जी हां. हम बात कर रहे हैं पहले डॉक्टर फिर क्रांतिकारी बने चे ग्वेरा (Che Guevara) की. वह क्यूबा की क्रांति के हीरो फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) के सबसे खास था. फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) और चे ने सिर्फ 100 गुरिल्ला लड़ाकों के साथ मिलकर अमेरिका समर्थित तानाशाह बतिस्ता के शासन को 1959 में उखाड़ फेंका था.

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मिस्र होते हुए चे ग्वेरा (Che Guevara) भारत आए. 30 जून, 1959 की शाम को हवाई अड्डे पर विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल अधिकारी डीएस खोसला ने उनकी अगवानी की. क्यूबा के उस प्रतिनिधिमंडल में पांच लोग थे. उनके भारत दौरे का थोड़ा जिक्र जॉन ली एंडरसन की लिखी मशहूर जीवनी ‘अ रिवोल्यूशनरी लाइफ’ और वयोवृद्ध पत्रकार केपी भानुमती की किताब ‘कैंडिड कनवर्सेशंस’ में है.

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भानुमती के मुताबिक चे ने कहा, ‘आपके यहां गांधी (Mahatma Gandhi) हैं, दर्शन की एक पुरानी परंपरा है, हमारे लातिनी अमेरिका में दोनों नहीं हैं. इसलिए हमारी मन:स्थिति (माइंड-सेट) ही अलग ढंग से विकसित हुई है.’ मगर यह बात भानुमती की किताब में नहीं है, क्योंकि ‘प्रकाशक ने उनके कई अध्याय बेमुरव्वत होकर काट-छांट डाले.’

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चे के भारत-दर्शन में सबसे अहम एक बात यह थी कि उन्होंने बगैर झिझक, भारत की स्वतंत्रता में गांधी (Mahatma Gandhi) जी के ‘सत्याग्रह’ की भूमिका को पहचाना. चे ने कहा था, ‘जनता के असंतोष के बड़े-बड़े शांतिपूर्ण प्रदर्शनों ने अंग्रेजी उपनिवेशवाद को आखिरकार उस देश को हमेशा के लिए छोड़ने को बाध्य कर दिया, जिसका शोषण वह पिछले डेढ़ सौ वर्षों से कर रहा था.’ यह अलग बात है कि चे के ऊपर गांधी (Mahatma Gandhi) जी का प्रभाव बहुत दिनों तक नहीं रहा. वह क्यूबा लौटकर फिर हिंसा के उसी रास्ते पर क्यों लौट गया, जो कहीं नहीं ले जाता.

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कौन था चे ग्‍वेरा

गुवारा का जन्म अर्जेंटीना के रोसारियो में 14 जून 1928 को हुआ था. मिडिल क्लास परिवार में जन्मे गुवारा ने मेडिसिन की पढ़ाई करने से पहले दक्षिण अमेरिका के कई देशों में भ्रमण किया और वहां के हालातों को बेहद बारीकी से देखा. गुवारा खुद अस्थमा से पीडि़त थे, लेकिन अपनी इच्छा शक्ति और दृढ निश्चय के दम पर उन्होंने अपनी इस बीमारी से पीछा छुड़ाया. इसके लिए उन्होंने अपने को एक एथेलीट की तरह ही ढाला.

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क्यूबा में हुई सशस्त्र क्रांति के बड़े नायक थे. सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) ने उन्हें तीसरी दुनिया के देशों से संबंध कायम करने का जिम्मा सौंपा. वर्ष 1959 में क्यूबा में सरकार बनने के बाद कास्त्रो ने उन्हें जेल मंत्री बनाया. इस दौरान ग्‍वेरा का एक नया चेहरा देखने को मिला. उन्होंने कास्त्रो के मिशन के दौरान पकड़े गए सैकड़ों आरोपियों को बिना मामला चलाए फांसी पर लटकवा दिया.

बोल्विया में दी गई फांसी

ग्‍वेरा इसके बाद दुनिया के कई देशों में गए और क्रांतिकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया. वर्ष 1966 में वह अपनी क्रांतिकारी नीतियों को अमलीजामा पहनाने बोल्विया भी गए, लेकिन यहां पर उन्हें पकड़ लिया गया और बाद में उन्हें 9 अक्टूबर 1967 को फांसी दे दी गई.

Source : दृगराज मद्धेशिया

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