इस वैक्सीन की एक बूंद जाएगी अंदर...कोरोना महामारी हो जाएगी छूमंतर!
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की होड़ मची हुई है. इनमें सबसे आगे चीन है और फिर अमेरिका. ब्रिटेन की कंपनी फिनबोल्ड डॉट कॉम ने कोरोना वायरस रिसर्च इंडेक्स जारी करते हुए उन तमाम देशों में चल रहे रिसर्च और क्लिनिकल शोध का ब्योरा दिया है
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस (Coronavirus) अब तक दुनिया की करीब 20 लाख से भी ज्यादा बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले चुका है. जिनमें सवा लाख से ज्यादा लोग काल की भेंट भी चढ़ चुके हैं. ऐसे में पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की होड़ मची हुई है. इनमें सबसे आगे चीन है और फिर अमेरिका.ब्रिटेन की कंपनी फिनबोल्ड डॉट कॉम ने कोरोना वायरस रिसर्च इंडेक्स जारी करते हुए उन तमाम देशों में चल रहे रिसर्च और क्लिनिकल शोध का ब्योरा दिया है, जिसके मुताबिक 39 देशों में वैक्सीन बनाने की तैयारी हो रही है. 300 से ज्यादा जगहों पर शोध चल रहे हैं. चीन में सबसे ज्यादा 60 शोध संस्थान है. वहीं अमेरिका में 49 शोध संस्थान काम कर रही है.
इस रिपोर्ट में चीन और अमेरिका की तारीफ करते हुए कहा गया है कि ये दोनों ही देश इस संकट से दुनिया को उबारने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं ज्यादातर देश इस शोध में काफी पीछे चल रहे हैं जिनमें कोरोना प्रभावित देशों में दूसरे नंबर पर मौजूद स्पेन का नाम भी शामिल है. वैक्सीन बनाने की असली होड़ अमेरिका और चीन के बीच है.
अब सवाल ये है कि कोरोना वायरस का टीका या दवा बनाने के कितने करीब हैं हम और वो कौन कौन से देश हैं जहां कोरोना का वैक्सीन बनने की संभावना सबसे ज्यादा है? वैक्सीन बनाने की होड़ में चीन के बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका ही है, जहां महीने भर पहले ही वैक्सीन का इंसानों पर प्रयोग शुरू हो चुका है.
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अमेरिका में वैक्सीन तैयार !
वॉशिंगटन में 4 मरीजों को कोरोना वैक्सीन (coronavirus vaccine) दी गई है. सिएटल की काइजर परमानेंट रिसर्च फैसिलिटी में इसका प्रयोग चल रहा है. 16 मार्च को जेनिफर हैलर को पहली खुराक दी गई थी. 2 बच्चों की मां जेनिफर हैलर पर यह रिसर्च किया जा रहा है. वैक्सीन देने के बाद 6 हफ्तों तक शोध चलेगा. इनमें से चार हफ्ते पूरे हो गए हैं और अगले दो हफ्तों में यानी इस महीने के अंत तक रिसर्च का नतीजा दुनिया के सामने आ जाएगा.
खास बात ये है कि ऐसे रिसर्च में वैक्सीन का इस्तेमाल पहले किसी जानवर पर किया जाना जरूरी है पर अमेरिका में कोरोना के जबर्दस्त कहर को देखते हुए इस परीक्षण में शोधकर्ताओं को छूट दी गई थी कि वो पहले जानवरों पर इसका प्रयोग करने की जगह सीधे इंसान पर इसे आजमाएं, और वैज्ञानिकों ने वही किया. हालांकि ये वैक्सीन बनाने वाली मॉर्डन बायोटेक कंपनी का दावा है कि इसे ट्रायड और टेस्टेड प्रक्रिया के तहत तैयार किया गया है. संस्थान की डॉक्टर लिजा जैक्सन का कहना है कि अब हम टीम कोरोना वायरस हैं. इस आपातकाल में हर शख्स कुछ करना चाहता है जो वो कर सकता है .
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डॉक्टरों की तारीफ की
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस कामयाबी के लिए अपने देश के डॉक्टरों की तारीफ करते हुए कहा कि ये दुनिया में अब तक सबसे जल्दी विकसित किया गया टीका है और अमेरिका अमेरिका इस बीमारी के खिलाफ एंटी वायरल और दूसरे थेरेपी भी विकसित करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है.
कैसे तैयार की गई वैक्सीन ?
अब सवाल है कि दुनिया को कोरोना के कहर से मुक्त करने का दावा करने वाली ये वैक्सीन बनाई कैसे गई, क्योंकि मीजल्स जैसे टीके तो नष्ट किए गए या कमजोर वायरस से बनाए जाते हैं पर इस वैक्सीन को बनाने के लिए दूसरा तरीका आजमाया गया. mRNA-1273 को कोविड 19 के वायरस से नहीं बनाया गया. इस वैक्सीन के लिए लैब में पहले वायरस तैयार किया गया. वायरस के छोटे हिस्से के जेनेटिक कोड को कॉपी किया गया. जिसके जरिये ये वैक्सीन तैयार की गई. दावा है कि इस वैक्सीन की मदद से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता असली वायरस से लड़ने में कामयाब हो पाएगी. इसके लिए वैक्सीन लेने वाले सभी लोगों को प्रयोग के तौर पर वैक्सीन के अलग-अलग डोज़ दिए गए हैं.
ब्रिटेन में वैक्सीन का परीक्षण
ब्रिटेन में पूर्वी लंदन के एक क्वारंटीन सेंटर में मौजूद कुछ मरीजों पर वैक्सीन टेस्ट करने की तैयारी चल रही है. वहां इन मरीजों के अलावा कुछ दूसरे वॉलंटियर्स पर भी टेस्ट किया जाएगा. इसके तहत पहले तो उन्हें कोरोना वायरस का हल्का संक्रमण करवाया जाएगा और फिर उन्हें दोबारा स्वस्थ किया जाएगा. इसके लिए वॉलंटियर को करीब साढ़े तीन हजार डॉलर दिए जाएंगे लेकिन उन्हें प्रयोग के दौरान दो हफ्तों तक एक कमरे में रहना होगा.
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डॉक्टरों के मुताबिक इससे एंटी वायरल दवाएं और वैक्सीन तैयार करने की रफ्तार तेज़ करने में मदद मिलेगी. लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में संक्रमण रोग विभाग के डॉ. जॉन ड्रेगोनिंग के मुताबिक, 'ये रेस आपस में नहीं, बल्कि वायरस से है. नई वैक्सीन तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर कोशिश जारी है. हम देख रहे हैं कि बीते कई सालों से अलग-अलग स्तर पर जो तैयारियां की गई हैं. उनके क्लीनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं.'
इसके अलावा विल्टशर के एक रिसर्च सेंटर में जानवरों पर वैक्सीन का परीक्षण शुरू हो चुका है जबकि ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी में इंसानों पर शुरुआती सेफ्टी ट्रायल शुरू होने वाले हैं.
ऑस्ट्रेलिया में वैक्सीन का परीक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और अमरीकी कंपनी इनोवियो फ़ार्मास्युटिकल्स के बनाए वैक्सीन का जानवरों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है और अगर ये वैक्सीन इंसानों पर परीक्षण में सफल पाए जाते हैं तो ऑस्ट्रेलिया की साइंस एजेंसी इस प्रयोग को आगे बढ़ाएगी.
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