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Corona Lockdown ! कोरोना ने नहीं सड़क हादसों ने 10 दिन में छीनी 100 से अधिक जिंदगी

सोमवार से लॉकडाउन 4.0 (Lockdown 4.0) भी शुरू हो जाएगा. इस दौरान अपने-अपने घर पहुंचाने की बेताबी में निकले लाखों प्रवासी श्रमिकों में औरैया हादसे की तरह शिकार बने सैकड़ों ऐसे अभागे भी हैं, जो कोरोना से जुड़े कारणों के कारण असमय ही मौत के ग्रास बन गए.

Updated on: 16 May 2020, 11:32 AM

नई दिल्ली.:

औरैया में शनिवार की सुबह डीसीएम और ट्रक की भिड़ंत में 24 प्रवासी श्रमिकों की मौत ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण को रोकने के लिए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू से शुरू हुआ लॉकडाउन (Lockdown) का सिलसिला बदस्तूर जारी है. 18 मई से तमाम तरह के नए नियम-कायदों के साथ लॉकडाउन 4.0 भी शुरू हो जाएगा. इस दौरान अपने-अपने घर पहुंचाने की बेताबी में निकले लाखों प्रवासी श्रमिकों में औरैया हादसे की तरह शिकार बने सैकड़ों ऐसे अभागे भी हैं, जो कोरोना से जुड़े कारणों के कारण असमय ही मौत के ग्रास बन गए. जाहिर है कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूरों (Migrant Labours) और गरीबों पर पड़ा है. उनके सामने न सिर्फ खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया, बल्कि उन्हें कमाई का भी कोई जरिया नहीं दिख रहा है. इसी वजह से वह अपने-अपने गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं. पलायन करने वाले मजदूर हादसों का शिकार भी हो रहे हैं. पिछले 10 दिनों के अंदर हुए अलग-अलग हादसों में अब तक 99 मजदूरों की मौत हो चुकी है और 93 मजदूर जख्मी हुए हैं.

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सिर्फ 10 दिन में हादसों ने छीनी 100 जिंदगियां
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान मौत के सैकड़ों ऐसे मामले सामने आए हैं, जो सीधे-सीधे तो कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े नहीं हैं, लेकिन इससे जुड़ी अन्य समस्याएं इनका कारण हैं. एक अध्ययन में यह खुलासा किया है. इसके मुताबिक 19 मार्च से लेकर दो मई के बीच 338 मौतें हुईं है, जो लॉकडाउन से जुड़ी हुई हैं. आंकड़े बताते हैं कि 80 लोगों ने अकेलेपन से घबरा कर और संक्रमित पाए जाने के भय से खुदकुशी कर ली. इसके बाद मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है प्रवासी मजदूरों का. बंद के दौरान जब ये अपने घरों को लौट रहे थे तो विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में 51 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई. इसमें बीते 10 दिनों में मारे गए 99 मजदूरों की संख्या औऱ जोड़ी जा सकती है.

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शराब नहीं मिलने से भी मरे सबसे ज्यादा
विड्रॉल सिम्टम्स (शराब नहीं मिलने से) से 45 लोगों की मौत हो गई और भूख एवं आर्थिक तंगी से 36 लोगों की जान गई. शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा, संक्रमण से डर से, अकेलेपन से घबरा कर, आने-जाने की मनाही से बड़ी संख्या में लोगों ने आत्महत्याएं की हैं. बयान में कहा गया, उदाहरण के तौर पर विड्रॉल सिम्टम्स से ठीक तरह से निपट नहीं पाने से सात लोगों ने आफ्टर शेव लोशन अथवा सेनेटाइजर पी लिया, जिससे उनकी मौत हो गई. कंटेनमेंट सेंटर्स में रह रहे प्रवासी मजदूरों ने संक्रमण के भय से, परिवार से दूर रहने की उदासी जैसी हालात में आत्महत्या कर ली अथवा उनकी मौत हो गई.

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कोरोना के साये तले इतर कारणों से प्रवासी मजदूरों की जान लेने वाले हादसे

  • 25 मार्च को लॉकडाउन की वजह से पहली मौत तमिलनाडु में हुई थी. केरल में काम करने वाले 10 मजदूर अपने घर तमिलनाडु लौट रहे थे. इन मजदूरों ने घर जाने के लिए तमिलनाडु के थेनी में बने जंगल का रास्ता चुना. तभी जंगल में आग लग गई. इस आग में दादी के. विजयामनी (43) और उनकी 1 साल की पोती की मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद वी. मंजुला (46) और एस. माहेश्वरी (43) ने बाद में दम तोड़ दिया था.
  • 27 मार्च को हैदराबाद में 8 प्रवासी मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.
  • 28 मार्च को बिहार के भागलपुर में 4 मजदूरों की मौत हो गयी थी.
  • 28 मार्च को गुजरात के वापी में 2 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी.
  • 28 मार्च को महाराष्ट्र के मुंबई के विरार में मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर एक सड़क दुर्घटना में 4 मजदूरों की मौत और तीन गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. 7 मजदूर पैदल अपने घरों की ओर जा रहे थे. तभी भारोल गांव के पास तेजी से आ रहे आयरस टेंपो ने इन्हें कुचल दिया.
  • 29 मार्च को हरियाणा के कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे एक तेज रफ्तार कैंटर वाहन ने सड़क पर पैदल चल रहे 8 लोगों को कुचल दिया. इनमें 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.
  • 31 मार्च को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में 3 मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.
  • 1 अप्रैल को हरियाणा के गुरुग्राम में 5 मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.
  • 30 अप्रैल को दिल्ली से पैदल घर जाने के लिए निकले फतेहपुर जिले के तीन मजदूर गुरुवार तड़के सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए. घटना अलीगढ़ के मडराक क्षेत्र में हाईवे बाईपास पर हुई हादसे में एक ही परिवार के तीन मजदूरों की मौत हो गई जिसमें एक महिला भी शामिल थी.
  • 30 अप्रैल को बिहार में 2 मजदूरों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.
  • 5 मई को मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहने वाले कुछ मजदूर मथुरा से निकले थे. निकलते ही एक टेम्पो और ट्रक के बीच सीधी भिड़ंत हो जाने से 7 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जबकि 2 लोग बुरी तरह घायल हो गए थे.
  • 6 मई को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में साइकल से छत्तीसगढ़ के लिए निकले मजदूर की अपनी पत्नी संग मौत हो गई थी.
  • 8 मई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले मध्य प्रदेश के 18 मजदूर की मालगाड़ी से कटकर मौत हो गयी. ये सभी रात को थक कर रेलवे ट्रैक पर ही सो गए थे और खाली मालगाड़ी ने उन्हें रौंद कर रख दिया था.
  • 10 मई को मुंबई से उत्तर प्रदेश लौट रहे तीन प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई. इनमें दो पैदल जा रहे थे, जबकि एक की मौत ट्रक में अचानक तबीयत खराब होने की वजह से हुई.
  • 11 मई को घर लौटते वक्त अलग-अलग घटनाओं में 11 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई है, जबकि अन्य 14 घायल हो गए. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर, बड़वानी, सागर और शाजापुर जिलों में 11 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है, जबकि 14 अन्य घायल हैं. ये सभी महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना से उत्तर प्रदेश जा रहे थे.
  • 13 मई को मध्य प्रदेश के गुना में रात 60 से अधिक मजदूरों को लेकर जा रही बस का एक्सीडेंट हो गया. इस हादसे में 8 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक घायल हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में रोडवेज बस ने मजदूरों को कुचल दिया है, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई .
  • 16 मई को उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में प्रवासी मजदूरों से भरी डीसीएम में ट्रक ने टक्कर मार दी जिससे 24 मजदूरों की मौत हो गई. इस घटना में 15 लोग घायल हैं.