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अंतर्कलह-पलायन-पराजय से जूझती कांग्रेस, चुनावी राज्यों के लिए क्या है तैयारी

कांग्रेस ( Indian National Congress ) आलाकमान के स्तर पर आगामी विधानसभा चुनावों वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत तमाम राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए नई रणनीति बनाई जा रही है.

Updated on: 26 Mar 2022, 11:22 AM

highlights

  • संगठन में नेताओं की गुटबाजी और आपसी टकराव को खत्म करने पर जोर
  • कांग्रेस में कुछ राज्यों के महासचिव और सचिवों को बदलने की तैयारी शुरू
  • सूत्रों के मुताबिक अगले 15 दिनों में पार्टी बड़े स्तर पर बदलाव कर सकती है

New Delhi:

साल 2022 की शुरुआत में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों ( Assembly Elections 2022 ) में मिली करारी हार के बाद देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में संगठन स्तर पर बड़े बदलाव की कवायद जारी है. सांगठनिक सूत्रों के मुताबिक अगले 15 दिनों में पार्टी बड़े स्तर पर बदलाव कर सकती है. इसके तहत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाएंगे. जानकारी के मुताबिक कई राज्यों में प्रदेश महासचिवों और सचिवों को भी बदला जा सकता है. इस साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वहीं कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव होंगे.

कांग्रेस ( Indian National Congress ) आलाकमान के स्तर पर आगामी विधानसभा चुनावों वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत तमाम राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए नई रणनीति बनाई जा रही है. इसमें खासकर हर राज्य में संगठन के भीतर नेताओं की गुटबाजी और आपसी टकराव को खत्म करने को अहमियत दी जा रही है. क्योंकि हाल ही में पंजाब और उत्तराखंड में कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह संगठन के अंतर्कलह को माना जा रहा है. कांग्रेस को आशंका है कि अगले चुनावी राज्यों में ये घटना दोबारा न हो जाए. इसके लिए पार्टी के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है.

हिमाचल और हरियाणा के नेताओं से मिले सोनिया-राहुल

बीते दिनों दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस सिलसिले में हिमाचल प्रदेश के नेताओं के साथ मीटिंग की. इस दौरान उन्होंने गुटबाजी खत्म करने की नसीहत दी. इसके बाद राहुल गांधी ने शुक्रवार को हरियाणा के नेताओं से इसी बारे में मुलाकात की. इस दौरान राहुल गांधी ने भी सभी नेताओं से आपसी तकरार खत्म करने और पार्टी के लिए एकजुट होकर काम करने की अपील की. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुरे प्रदर्शन के बाद से महासचिव प्रियंका गांधी चुप हैं. आइए, जानते हैं कि आगे चुनाव का सामना करने वाले चार बड़े राज्यों में कांग्रेस की क्या हालत है.

कांग्रेस आलाकमान के सामने बड़े सांगठनिक सवाल

कांग्रेस की ओर से कुछ राज्यों के संगठन में महासचिव और सचिवों को भी बदलने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए कांग्रेस आलाकमान लगातार बैठकों के जरिए रणनीति बना रही है. कांग्रेस को जमीनी मजबूती देने के लिए उच्च स्तरीय कवायद जारी है. संगठन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 10 से 15 फीसदी तक नए महासचिव बनाए जाएंगे. वहीं 20 से 25 फीसदी नए सचिव बनाए जाएंगे. कांग्रेस में वर्षों से जमे कई पुराने पदाधिकारियों को हटाया जाना तय माना जा रहा है. इसके लिए उनके सांगठनिक कामकाज का मूल्यांकन किया जा रहा है. इस रेटिंग के आधार पर बड़े फैसले लिए जा सकते हैं. 

गुजरात में बीजेपी का गढ़ छिनना सबसे बड़ी चुनौती

इस साल नवंबर महीने में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कई साल से गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के मजबूत किले को भेदना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी चुनौती मानी जा रही है. गुजरात को लेकर कांग्रेस काफी गंभीरता दिखा रही है. वहां संगठन को मजबूत करने के लिए 25 नए उपाध्यक्ष, 75 महासचिव और 17 शहर और जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं. कांग्रेस ने कुछ महीने पहले ही राजस्थान के रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाया है. पीएम मोदी और अमित शाह के गृह राज्य में देखना दिलचस्प होगा कि रघु शर्मा किस तरह कांग्रेस को खड़ा करने में सफल हो पाते हैं. इसके अलावा चुनाव में इस पर नजर रहेगी कि कांग्रेस पार्टी कितना बेहतर प्रदर्शन कर पाती है.

गहलोत-पायलट संघर्ष से राजस्थान में जूझ रही कांग्रेस

चुनाव के लिहाज से कांग्रेस के लिए राजस्थान बेहद अहम राज्य है. सबसे बड़े चुनावी प्रदेश राजस्थान में दो दशक से अधिक समय से हर पांच साल पर सरकार बदलने की परम्परा दिखती है. यहां सरकार में वापसी के लिए कांग्रेस को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है. वहीं इस राज्य में कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच पिछले तीन साल से टकराव लगातार जारी है. कांग्रेस आलाकमान की ओर से बार-बार इस टकराव को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके बावजूद विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. साथ ही कभी-कभार तो यह विवाद सरकार गिराने के कगार तक पहुंच जाता है. ऐसे में कांग्रेस दोबारा सत्ता में आने के लिए क्या कदम उठाती है और इसका जिम्मा किसको सौंपती है इस पर राजनीतिक जानकारों की नजर बनी हुई है. 

मध्य प्रदेश में सर्वेसर्वा कमलनाथ को मिलेगा मददगार

अगले साल यानी 2023 में दिसंबर महीने में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाला है. इनमें से दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान फिलहाल कमलनाथ के पास है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद मध्य प्रदेश में वही पार्टी के सर्वेसर्वा हैं. कमलनाथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. पार्टी में चर्चा है कि आने वाले दिनों में कमलनाथ के पास केवल एक जिम्मेदारी रह जाएगी. वह नेता प्रतिपक्ष रहेंगे और संगठन के अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी नए व्यक्ति को दी जाएगी. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस में नया जोश भरने के लिए कमलनाथ को पार्टनर दिए जाने पर तेजी से अमल किया जा सकता है. 

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छत्तीसगढ़ में बघेल-सिंहदेव गुटों में टकराव से संकट

जनजाति बहुल छत्तीसगढ़ में 15 साल से जमी बीजेपी की डॉ. रमन सिंह सरकार को हटाकर कांग्रेस पूरे बहुमत से सत्ता में आई थी. कांग्रेस की सरकार को यहां भी बड़ी गुटबाजी से जूझना पड़ा है. सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव गुट के बीच विवाद दिल्ली दरबार तक भी पहुंचा था. इस विवाद को खत्म कराने में कांग्रेस आलाकमान ने पुरजोर कोशिश की. यह कोशिश लगातार जारी है. बघेल को दूसरे राज्यों में भी ओबीसी चेहरा बताकर कांग्रेस चुनाव प्रचार के लिए भेजती रहती है. इसके बावजूद विधानसभा चुनाव 2023 में छत्तीसगढ़ में सरकार को बचाना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है.