बिहार: क्या बच जाएगी RJD विधायक अनंत सिंह की सदस्यता? जानें पूरा मामला
मोकामा विधायक के पैतृक आवास लदमा गांव में 16 अगस्त 2019 को बाढ़ की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह की अगुवाई में 11 घंटे तक चली मैराथन छापेमारी में एक एके 47, 26 गोली, दो हैंड ग्रेनेड और एक मैगजीन बरामद हुई थी.
highlights
- एक मेडिकल बोर्ड MLA अनंत सिंह के इलाज की मॉनीटरिंग कर रहा है
- रेड में एके 47, 26 गोली, दो हैंड ग्रेनेड और एक मैगजीन बरामद हुई थी
- अनंत सिंह के बचाव में वकील ने मामले को राजनीतिक साजिश बताया है
पटना :
बिहार के चर्चित बाहुबली और पटना जिले के मोकामा विधानसभा से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक अनंत सिंह ( RJD MLA Anant Singh) को एमपी एमएलए कोर्ट में विशेष जज त्रिलोकीनाथ दुबे ने मंगलवार को दस साल की सजा सुनाई है. अनंत सिंह को उनके पैतृक आवास से अवैध हथियार यानी एके-47 और हैंड ग्रेनेड बरामदगी मामले में ये सजा सुनाई गई है. इससे पहले 14 जून को स्पेशल कोर्ट ( Special Court) में हुई सुनवाई में अनंत सिंह को दोषी करार दिया गया था. कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए 21 जून की तारीख तय की थी. इसके बाद 'छोटे सरकार' कहे जाने वाले अनंत सिंह की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है.
कानून के जानकारों के मुताबिक इस मामले में आजीवन कारावास का प्रावधान था. सुनवाई के बाद मेडिकल ग्राउंड, 60 साल से ज्यादा उम्र और 5 बार विधायक रहने जैसे तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने अनंत सिंह को न्यूनतम यानी 10 साल की सजा दी है. उनकी सारी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. तीन सेक्शन 25 (1) B, C में सजा नहीं दी गई है. एक मेडिकल बोर्ड अनंत सिंह के जारी इलाज की मॉनीटरिंग भी कर रहा है. इस मामले में दोषी केयरटेकर सुनील राम को भी 10 साल की सजा सुनाई गई है.
क्या है पूरा मामला
मोकामा विधायक के पैतृक आवास लदमा गांव में 16 अगस्त 2019 को बाढ़ की तत्कालीन एसपी लिपि सिंह की अगुवाई में 11 घंटे तक चली मैराथन छापेमारी में एक एके 47, 26 गोली, दो हैंड ग्रेनेड और एक मैगजीन बरामद हुई थी. इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस नंबर 389/19 दर्ज किया था. छापेमारी के बाद अनंत सिंह फरार हो गए थे. बिहार पुलिस लगातार अनंत सिंह की तलाश में जुटी थी. इस बीच पुलिस को चकमा देकर अनंत सिंह ने सोशल मीडिया पर कई वीडियो जारी किया था. इसको लेकर बिहार पुलिस की काफी भद पिटी थी.
दिल्ली के कोर्ट में सरेंडर
पुलिस से कुछ दिनों की आंख मिचौली के बाद अनंत सिंह ने 24 अगस्त 2019 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साकेत कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था. दिल्ली आकर एसएसपी लिपि सिंह ट्रांजिट रिमांड पर वापस ले गई और कड़ी सुरक्षा में बाढ़ कोर्ट में पेश किया था. इस मामले में अनंत सिंह करीब 34 महीने से पटना के बेऊर सेंट्रल जेल में बंद हैं. मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस ने अपना आरोप साबित करने के लिए कोर्ट में 13 गवाहों को पेश किया था. वहीं बचाव पक्ष की ओर से 34 गवाहों का बयान करवाया गया था.
ऐसे बच सकती है विधायकी
संवैधानिक प्रावधानों यानी जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार दो साल से अधिक की सजा सुनाए जाने पर विधानसभा की सदस्यता जा सकती है. अनंत सिंह को 10 साल की सजा सुनाये जाने के बाद अब बिहार विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ सकता है. उनके वकील सुनील कुमार ने बताया कि वे सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे. अगर सजा पर स्टे मिला तो अनंत सिंह की विधायकी बच सकती है. वहीं उनके मिली सजा भी साथ-साथ चलेगी. जेल में रहते हुए अनंत सिंह ने साल 2020 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर मोकामा विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत कर फिर विधायक चुने गए थे.
विधान परिषद चुनाव में ताकत
अनंत सिंह के बचाव में वकील ने मामले को राजनीतिक साजिश बताया था. उनका कहना था कि जिस घर में छापेमारी हुई वहां बीते 14 साल से ताला लगा है. उन्होंने कहा था कि फंसाने के लिए ये सब किया जा रहा है. इस बीच बेऊर सेंट्रल जेल में छापेमारी के दौरान अनंत सिंह के बैरक में मोबाइल बरामद किया गया था. इसके बाद वहां सख्ती बढ़ा दी गई थी. इसके बाद बिहार में इस साल हुए त्रिस्तरीय निकाय चुनाव में अनंत सिंह ने आरजेडी से अपने समर्थक को पटना विधान परिषद के लिए टिकट और जीत दिलवाकर अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया था.
विधायकी जाने का मामला
बिहार में इससे पहले भी अदालत से सजा दिए जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के मामले सामने आ चुके हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2010 में सीतामढ़ी जिले के परिहार विधानसभा सीट पर जीते बीजेपी नेता रामनरेश प्रसाद यादव को 2015 के मार्च महीने में एक आपराधिक मामले में दोषी पाया गया था. इस मामले में मिली सजा के बाद उन्हें विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा था.
कौन हैं बाहुबली अनंत सिंह
बेबाक बयान, दबंग स्टाइल, अनोखे ड्रेसिंग सेंस, गाड़ियों और पालतू जानवरों के शौक को लेकर सुर्खियों में रहने वाले अनंत सिंह का नाम हत्या समेत कई मामलों में जुड़ चुका है. विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए शपथ पत्र के अनुसार अनंत सिंह 1979 में पहली बार हत्या मामले में आरोपित बने थे. उनके खिलाफ प्रदेश के अलग-अलग थानों में कई मामले दर्ज हैं. अनंत सिंह पर दो भी बार जानलेवा हमला भी हो चुका है. हालांकि दोनों बार उनकी किस्मत अच्छी रही और वे बाल-बाल बच गए. मोकामा और उसके आसपास के इलाकों में उनकी काफी धाक बताई जाती है.
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राजनीतिक इतिहास
अनंत सिंह पहली बार साल 2005 में मोकामा विधानसभा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. अनंत सिंह पहले लंबे समय तक सीएम नीतीश कुमार के साथ थे. बाद में उनसे दूर हो गए. फिलहाल लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के विधायक हैं. इसके पहले उनके कांग्रेस में जाने की चर्चा भी थी, हालांकि वह परवान नहीं चढ़ सकी. हालांकि, उनकी पत्नी नीलम देवी ने मुंगेर सीट से लोकसभा चुनाव में महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमाया था. जदयू उम्मीदवार ललन सिंह के सामने उन्हें हार नसीब हुई थी.
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