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महाराष्ट्र में Floor Test! सरकार बदलने का पूरा समीकरण और कानूनी पेंच

महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ( CM Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी ( MVA) सरकार के विश्वास मत को लेकर 30 जून गुरुवार को कार्यवाही हो सकती है.

Updated on: 29 Jun 2022, 04:49 PM

highlights

  • 30 जून को विधानसभा के विशेष सत्र बुलाए जाने की अधिसूचना जारी
  • विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की जीत हुई थी
  • शिवसेना-NCP-कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार का जाना तय

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ( CM Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी ( MVA) सरकार के विश्वास मत को लेकर 30 जून गुरुवार को कार्यवाही हो सकती है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर 30 जून को विधानसभा के एक विशेष सत्र बुलाए जाने की अधिसूचना जारी हो गई है. 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में मौजूदा सरकार के पास बहुमत है या नहीं इसका पता फ्लोर टेस्ट ( Floor Test) होने पर चल जाएगा. अगर बहुमत परीक्षण में उद्धव ठाकरे को बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस राज्यपाल से मिलकर नई सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं.  

महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव और उसके बाद विधान परिषद सदस्यों के चुनाव के दौरान हुए क्रॉस वोटिंग के बाद राजनीति में उबाल आया हुआ है. शिवसेना नेता और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद तेज हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामा सदन में बहु्मत परीक्षण तक पहुंच गई है. हालांकि फ्लोर टेस्ट के खिलाफ उद्धव ठाकरे सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इससे पहले शिव सेना के बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई में अलग गुट बना लिया है. अब शिवसेना में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुटों के बीच बयानबाजी का दौर जारी है.

सूरत-गुवाहाटी के बाद गोवा होकर मुंबई पहुंचेंगे बागी

एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए विधायक पहले गुजरात के सूरत और फिर असम के गुवाहाटी में ठहरे. अब वे सभी गोवा होते हुए मुंबई वापस लौटने की योजना बना रहे है. उन सभी को 30 जून को विधानसभा के विशेष सत्र में शामिल होना है. एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके साथ 41 विधायक हैं. इनमें 35 शिव सेना के और 07 निर्दलीय विधायक हैं. वहीं उद्धव ठाकरे का दावा है कि शिंदे के साथ गए कुछ विधायक अब भी उनके साथ हैं. मुंबई आकर वे सभी उनके पक्ष में ही खड़े होंगे.

महाराष्ट्र की 14वीं विधानसभा में दलीय समीकरण

फिलहाल कौन सरकार बना या गिरा सकता है. राज्य में दो सदन हैं विधानसभा और विधानपरिषद. विधानसभा को लोअर हाउस या निम्न सदन के तौर पर जाना जाता है. मुंबई के नरीमन प्वाइंट पर विधानसभा की शानदार इमारत है. कुल 288 सदस्यों की विधानसभा वाले महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है.  हाल ही में शिवसेना के एक विधायक का निधन हो गया है. इसके बाद सदन में 287 विधायक हैं. इसके अलावा एनसीपी के दो विधायक जेल में हैं. उन्होंने राज्यसभा और एमएलसी चुनाव में वोट नहीं दिया था. विधानसभा में भी उनके वोट को लेकर संशय बरकरार है. इसलिए सरकार के लिए कुल 143 विधायक की जरूरत होगी. 

21 अक्टूबर 2019 में हुए चुनाव के नतीजे

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ओर शिवसेना ने बतौर गठबंधन जीत हासिल की थी. दोनों ने मिलकर 161 सीटें हासिल की थीं. इसमें बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं थीं तो शिव सेना ने 56 सीटें. अब भी दोनों के पास इतनी ही सीटें हैं. शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी के बाद गठबंधन टूट गया. इसके बाद बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए उद्धव ठाकरे की अगुवाई में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन ने कुछ छोटे दलों और  निर्दलियों को सथ लेकर महाविकास अघाड़ी सरकार बना ली थी. राजनीतिक जानकारों ने इसे बेमेल विचारधारा के गठबंधन का फॉर्मूला माना था और सरकार के कार्यकाल पूरा कर पाने पर संदेह जाहिर किया था.

विधानसभा में सरकार और विपक्ष का गणित

शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार को महाराष्ट्र विधानसभा में अब तक 169 विधायकों का समर्थन था. इसमें शिवसेना के 56, एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक शामिल थे. इसके अलावा सपा के 2, पीजीपी के 2, बीवीए के 3 और 9 निर्दलीय विधायकों का समर्थन शामिल था. इसके मुकाबले महाराष्ट्र के प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के साथ 113 विधायक हैं. इसमें बीजेपी के 106, आरएसपी का 1, जेएसएस का 1 और निर्दलीय 5 विधायक शामिल हैं. विपक्ष में इसके अलावा 5 अन्य दलों के विधायक भी हैं. इसमें AIMIM के 2, सीपीआई (एम) का 1 और एमएनएस का 1 विधायक शामिल हैं. 

फ्लोर टेस्ट से पहले बागियों पर कानूनी पेंच

विधानसभा में अगर एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना के 35 और 07 निर्दलीय विधायकों को हटाएं तो महाविकास आघाड़ी गठबंधन के पास केवल 127 ही विधायक रह जाते हैं. इस परिस्थिति में गठबंधन बहुमत के आंकड़े से पीछे रह जाएगा. नतीजे में उद्धव ठाकरे सरकार गिर जाएगी. हालांकि शिव सेना के 35 विधायकों के अलग होकर गुट बनाने के फैसले में कानूनी दांवपेच हैं. स्पीकर ने 12 विधायकों को नोटिस दी हुई है. सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पीकर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग मान ली है.

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स्पीकर ही करेंगे बागियों को मान्यता का फैसला 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद स्पीकर के हाथ में ही शिवसेना के बागी विधायकों को अलग गुट के तौर पर मान्यता देने का काम भी है. राजनीतिक वजहों से ऐसा तुरंत होना मुश्किल दिख रहा है. इससे अलग अंकगणित के हिसाब से उद्धव ठाकरे सरकार संकट में घिरी है. उसके पास बहुमत के लिए जरूरी संख्या बल नहीं है. फिर भी उद्धव ठाकरे और महाविकास आघाड़ी गठबंधन के नेता दावा कर रहे हैं कि उनके पास बहुमत है. अगर वह बहुमत साबित नहीं कर पाए तो बीजेपी और शिव सेना के बागी गुट मिलकर आराम से सरकार बना सकते हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी प्लस के कुल 113 विधायक हैं. शिव सेना के 35 बागी और 07 निर्दलीय विधायक जोड़ें तो बहुमत से ज्यादा 155 नंबर होंगे.