logo-image

बंगाल का कसाई पाकिस्तान का जनरल टिक्का खान, हैवानियत देख चंगेज खान भी शर्मा जाए

टिक्का खान ने एक ही रात में सात हजार लोगों का कत्ल करवा दिया था. उस रात उसने इतनी बर्बरता की कि उस दौर के लोग आज भी उसका नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं.

Updated on: 11 Apr 2020, 12:07 PM

नई दिल्ली:

युगांडा (Uganda) के तानाशाह ईदी अमीन (Idi Amin) का नाम संभवतः आज की पीढ़ी के लिए भी इतना अंजान नहीं है, जितना 'बुचर ऑफ बांग्लादेश' (Butcher Of Bangladesh) के नाम से मशहूर 4 स्टार जनरल टिक्का खान (Tikka Khan) का है. जनरल टिक्का खान को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर किए गए अत्याचारों व बर्बर हत्याकांडों के कारण 'बंगाल के कसाई' के नाम से पुकारा जाता था. पूर्वी पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल नियाज़ी (General Niyaji) ने भी टिक्का खान की बर्बरता पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि एक शांतिपूर्ण रात रुदन, मौत और बर्बरता में बदल गई. जनरल टिक्का खान ने लड़ाई की आड़ लेते हुए वह सब किया जो एक वर्दीधारी सैनिक शायद कभी न करता. टिक्का खान ने एक ही रात में सात हजार लोगों का कत्ल करवा दिया था. उस रात उसने इतनी बर्बरता की कि उस दौर के लोग आज भी उसका नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं.

पाकिस्तान का पहला थल सेनाध्यक्ष बना टिक्का खान
पाकिस्तान का पहला थल सेनाध्यक्ष बनने वाले टिक्का खान का जन्म 10 फरवरी 1915 को रावलपिंडी के पास ही एक गांव में हुआ था. भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से पढ़ाई करने के बाद 1935 में टिक्का खान ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हुआ था. उसके बाद 1940 में वह कमीशंड ऑफिसर बन गया. उसने जर्मनी के खिलाफ दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था. बंटवारे के बाद टिक्का खान पाकिस्तान चला गया और वहां की सेना में मेजर बन गया. उसने 1965 में भारत-पाक लड़ाई में भी हिस्सा लिया था.

1969 से शुरू हुई हैवानियत की दास्तां
टिक्का खान की बर्बरता की कहानी की शुरुआत 1969 से होती है, जब याह्या खान पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने. ठीक उसी समय पूर्वी पाकिस्तान (जो अब बांग्लादेश है) को अलग देश बनाने की मांग ने जोर पकड़ लिया. इसलिए टिक्का खान को वहां भेजा गया. टिक्का खान ने पूर्वी पाकिस्तान जाते ही सीधे सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी, जिसे 'ऑपरेशन सर्चलाइट' का नाम दिया गया. इस ऑपरेशन के तहत टिक्का खान के आदेश पर पाकिस्तानी सेना ने जो किया, उसे शायद ही इतिहास कभी भुला पाए. एक रिपोर्ट के मुताबिक ढाका में तो एक ही रात में सात हजार लोगों को मार दिया गया. क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या महिलाएं, किसी को भी नहीं बख्शा गया.

9 महीने में दो लाख बांग्लादेशी औरतों-लड़कियों से बलात्कार
रॉबर्ट पेन ने बांग्लादेश के इस नरसंहार पर एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने बताया है कि 1971 के महज नौ महीनों में बांग्लादेश में करीब दो लाख औरतों और लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ था. इस घटना के बाद ही टाइम मैगजीन ने टिक्का खान को 'बांग्लादेश का कसाई' कहा था. बांग्लादेश की लड़ाई खत्म होने के बाद टिक्का खान पूरी दुनिया में बदनाम हो गया. यहां तक कि पाकिस्तान में भी कई लोगों ने उसकी इस करतूत को गलत बताया, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना में उसकी पैठ और मजबूत हो गई. उसका प्रमोशन होता चला गया और तीन मार्च 1972 को वह पाकिस्तान का पहला पहला थल सेनाध्यक्ष बन गया. वह इस पद पर करीब चार साल रहा और उसके बाद सेवानिवृत हो गया. 28 मार्च 2002 को 87 साल की उम्र में रावलपिंडी में उसकी मौत हो गई.

भुट्टो से वफादारी और जिया उल हक
युद्ध के बाद पाकिस्तानी पीएम ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने टिक्का खान को 4 स्टार जनरल (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) बना दिया. इस समय पर टिक्का खान सेना और राजनीतिक गलियारों का सबसे बदनाम और अलोकप्रिय अफसर था. टिक्का खान जब रिटायर हुआ तो भुट्टो ने टिक्का खान से पूछा कि जिया उल हक को जनरल बनाना कैसा रहेगा? टिक्का खान ने इस प्रस्ताव को नकार दिया. जाहिर सी बात है कि भुट्टो ने टिक्का खान की बात नहीं सुनी. 1976 में टिक्का खान को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर सुरक्षा सलाहकार बनाया गया. इसके कुछ ही समय बाद जिया उल हक़ ने तख्तापलट किया. भुट्टो और टिक्का खान दोनों नजरबंद कर दिए गए. 1979 में भुट्टो को फांसी हुई और टिक्का खान को हाशिये पर डाल दिया गया. बाद में जब बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री बनीं, तो टिक्का खान को फिर से सुरक्षा सलाहकार बनाया गया.