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बीजेपी-शिवसेना की तीन दशक पुरानी दोस्‍ती में दरार, महाराष्‍ट्र की कुर्सी के लिए दरक रहे रिश्‍ते

महाराष्‍ट्र का पॉलिटिकल ड्रामा अभी तक चल रहा है. आइए जानें बीजेपी-शिवसेना के बीच कैसे से थे रिश्‍ते और क्‍यों इस मुकाम तक पहुंच गए हैं.

नई दिल्‍ली:

महाराष्‍ट्र में मुख्‍यमंत्री को लेकर बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) में खींचतान जारी है. बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) का गठबंधन करीब तीन दशक पुराना है जो 1989 में शुरू हुआ था। 1995 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) के साथ गठबंधन कर शानदार सफलता हासिल की. जब शिवसेना (Shiv Sena) -भाजपा के गठबंधन में पहली बार महाराष्ट्र में सरकार बनी उस वक्त शिवसेना (Shiv Sena) के मनोहर जोशी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। शिवसेना (Shiv Sena) के संस्‍थापक बाला साहेब ठाकरे और बीजेपी (BJP) के बीच रिश्‍तों में कभी दरार नहीं आई. यह स्‍थिति तबतक ठीक रही जबतक बीजेपी (BJP) छोटे भाई की भूमिका में रही और बाला साहेब ठाकरे जीवित थे. लेकिन इस बार मिलकर चुनाव लड़ने और गठबंधन को स्‍पष्‍ट बहुमत मिलने के बावजूद राज्‍य राष्‍ट्र्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है. दोनों दलों के रिश्‍तों के बीच सीएम की कुर्सी ने दरार डाल दी है. महाराष्‍ट्र का पॉलिटिकल ड्रामा अभी तक चल रहा है. आइए जानें बीजेपी-शिवसेना (Shiv Sena) के बीच कैसे से थे रिश्‍ते और क्‍यों इस मुकाम तक पहुंच गए हैं.

  1. साल 1989 में शिवसेना (Shiv Sena) और बीजेपी (BJP) के बीच गठबंधन हुआ. दोनों ही पार्टी हिंदुत्व के मुद्दे पर एक साथ आई. कई बार उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में यह बात कही भी है. इसके बाद दोनों पार्टियों ने कई लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया.
  2. साल 1995 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना (Shiv Sena) -बीजेपी (BJP) गठबंधन को बहुमत मिला. शिवसेना (Shiv Sena) की ओर से पहले मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने और फिर नारायण राणे. बीजेपी (BJP) ने गोपीनाथ मुंडे को राज्य के गृह मंत्री बनाया. शिवसेना (Shiv Sena) -बीजेपी (BJP) गठबंधन की सरकार 1999 तक चली.
  3. साल 1999 में राज्य में फिर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने शिवसेना (Shiv Sena) -बीजेपी (BJP) गठबंधन को सत्ता से बेदखल किया. साल 2004 और 2009 में शिवसेना (Shiv Sena) -बीजेपी (BJP) ने साथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा. सभी चुनाव में इस गठबंधन को करारी हार झेलनी पड़ी.
  4. साल 2014 में हुए आम चुनाव में भी बीजेपी (BJP) ने शिवसेना (Shiv Sena) के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा. बीजेपी (BJP) को 23 सीट मिली वहीं शिवसेना (Shiv Sena) 18 सीटों पर जीती. बीजेपी (BJP) के इसी शानदार प्रदर्शन के बाद दोनों पार्टियों के रिश्ते में खटास आई. उसी साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) गठबंधन करने के लिए 288 में से 144 सीटें चाहती थीं. मगर शिवसेना (Shiv Sena) 119 से अधिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं थी.
  5. चुनाव से पहले शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा से 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया था. 2014 के अक्टूबर में नरेन्द्र मोदी की लहर पर सवार होकर भाजपा ने यहां की 288 सदस्यीय विधानसभा में से 122 सीटें जीत ली जबकि शिवसेना (Shiv Sena) को 63 सीटें मिली।
  6. दोनों पार्टियां अपने दम पर चुनाव में उतरी. बीजेपी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनी मगर जादुई आंकड़े से दूर ही थी. तब शरद पवार की एनसीपी की मदद से देवेंद्र फडणवीस सूबे के मुखिया बने. शिवसेना (Shiv Sena) कुछ दिनों तक विपक्ष में बैठी और एकनाथ शिंदे विपक्ष के नेता बने. लेकिन कुछ महीनो बाद शिवसेना (Shiv Sena) महाराष्ट्र की सत्ता में शामिल हुई. मगर दोनों के बीच रिश्तों में खटास जारी रही.
  7. बीएमसी चुनाव में बीजेपी (BJP) ने सत्ताधारी शिवसेना (Shiv Sena) के खिलाफ मोर्चा खोला. दोनों एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरे. चुनाव के बाद एक बार फिर दोनों पार्टियां साथ में आ गईं, लेकिन अब बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) पहले जैसे दोस्त नहीं रहे.
  8. शिवसेना (Shiv Sena) हमेशा मोदी सरकार पर हमलावर रही हैं. चाहे बात नोटबंदी की हो या जीएसटी की, शिवसेना (Shiv Sena) ने मोदी को निशाने पर लेते हुए इसे गलत कदम करार दिया, राम मंदिर पर शिवसेना (Shiv Sena) लगातार बीजेपी (BJP) सरकार पर हमलावर रही है
  9. रिश्ते इतने बिगड़ गए की 23 जनवरी 2018 को शिवसेना (Shiv Sena) ने औपचारिक तौर पर रिश्ता खत्म होने का ऐलान कर दिया. यह एलान शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की जयंती पर किया था
  10. इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ लड़ा , बीजेपी (BJP) को 23 सीटें और शिवसेना (Shiv Sena) को 18 सीटें मिली
  11. 2019 का विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ लड़ा ,बीजेपी (BJP) को 105 और , शिवसेना (Shiv Sena) को 56 सीटों पर जीत मिली है , लेकिन इस जीत के बाद से ही सीएम की कुर्सी को लेकर दोनों पार्टियों की तल्खी बढ़ती जा रही है